UPSC Lateral Entry Row: यीपीएससी में लेटरेट एंट्री वाले विज्ञापन को लेकर हुए हंगामे के बाद केंद्र सरकार ने मामले पर यू-टर्न ले लिया और इसे वापस लेने के लिए कहा है. सरकार ने ये कदम क्यों उठाया इसको लेकर भी कई सवाल आने लगे. ऐसे में केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जवाब दिया है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सामाजिक न्याय के प्रति हमेशा अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है.


उन्होंने आगे कहा कि UPSC में  लेटरल एंट्री का जो पारदर्शी निर्णय लिया था उसमें आरक्षण का सिद्धांत लगे ऐसा निर्णय लिया गया है. सूचना और प्रसारण मंत्री ने कहा, "माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज बाबा साहब भीमराव अंबेडकर जी के संविधान के प्रति प्रतिबद्धता को एक बार पुनः बेहद महत्वपूर्ण निर्णय से प्रतिस्थापित किया है. यूपीएससी ने लैटरल एंट्री के लिए एक बेहद ट्रांसपेरेंट मेथड अपनाया था. उसमें भी अब रिजर्वेशन का प्रिंसिपल लगे हमने ऐसा निर्णय लिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सामाजिक न्याय के प्रति हमेशा अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है." 


'सभी जगह आरक्षण का सिद्धांत लागू किया गया'


उन्होंने आगे कहा, "पहले ओबीसी कमिशन जो एक साधारण बॉडी थी हमने उसे संवैधानिक दर्जा दिया. नीट हो, मेडिकल एडमिशन हो, सैनिक विद्यालय या नवोदय विद्यालय हों, हमने सभी जगह रिजर्वेशन के प्रिंसिपल को लागू किया है. यही नहीं हमने बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के पंच तीर्थ को भी गौरवपूर्ण स्थान दिलाया है. आज बेहद गौरव की बात है कि भारत की राष्ट्रपति भी आदिवासी समाज से आती हैं." 


'पीएम मोदी के निर्णयों में दिखती है सामाजिक न्याय की तस्वीर'


केंद्रीय मंत्री ने कहा, "आज मोदी जी के सैचुरेशन प्रोग्राम के तहत देश के अंतिम व्यक्ति तक सभी योजनाओं को पहुंचाया जा रहा है. इसका अधिकतम लाभ हमारे एससी, एसटी और ओबीसी समाज के लोगों को ही मिल रहा है. समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंच कर उसे न्याय दिलाने की मोदी जी की प्रतिबद्धता आज के यूपीएससी के लैटरल एंट्री में रिजर्वेशन के प्रिंसिपल को लगाने के निर्णय में भी झलकती है." 


'क्या कांग्रेस ने रिजर्वेशन के प्रिंसिपल को ध्यान में रखा था?'


अश्विनी वैष्णव ने सवार करते हुए कहा, "2014 से पहले यूपीए की सरकार में रिजर्वेशन के प्रिंसिपल्स का कोई ध्यान नहीं रखा जाता था. फाइनेंस सेक्रेटरी लेटरल एंट्री से लिए जाते थे और रिजर्वेशन के प्रिंसिपल को ध्यान में नहीं रखा जाता था. डॉक्टर मनमोहन सिंह जी, डॉ मोंटेक सिंह अहलूवालिया और उससे पहले डॉ विजय केलकर जी भी लेटरल एंट्री से ही फाइनेंस सेक्रेटरी बने थे. क्या कांग्रेस ने उस वक्त रिजर्वेशन के प्रिंसिपल का ध्यान रखा था? यूपीएससी में लेटरल एंट्री से ट्रांसपेरेंसी लाई जा रही थी और अब उसमें रिजर्वेशन का प्रिंसिपल लाकर सोशल जस्टिस का ध्यान रखते हुए संविधान के प्रति प्रतिबद्धता स्पष्ट की गई है."


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