UPSC Result 2022: 'फर्जी है डॉक्यूमेंट', सिविल सेवा में सेलेक्शन का दावा करने वाले 2 कैंडिडेट्स के खिलाफ UPSC ले सकता है एक्शन
UPSC 2022 Exam Result: सिविल सेवा परीक्षा के नतीजे मंगलवार को घोषित किए गए थे, लेकिन दो उम्मीदवारों ने फर्जी दस्तावेज दिखा कर परीक्षा पास करने का दावा किया था.
UPSC Civil Services Result 2022: बीते मंगलवार (23 मई) को यूपीएससी 2022 के नतीजों की घोषणा के बाद से 2 रैंकों को लेकर विवाद भी मच गया. इसको लेकर यूपीएससी अपना रुख साफ कर दिया है. संघ लोक सेवा आयोग ने कथित रूप से चयन का दावा करने वाले दो उम्मीदरवारों (आयशा मकरानी और तुषार कुमार) के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई करने की बात की है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, यूपीएससी ने शुक्रवार (26 मई) को एक बयान जारी करके कहा, "दोनों व्यक्तियों के दावे झूठे हैं. उन्होंने अपने दावों को साबित करने के लिए अपने पक्ष में जाली दस्तावेज बनाए हैं." बयान में कहा गया कि ऐसा करके, मकरानी और तुषार दोनों ने केंद्र सरकार (कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग) के अधिसूचित सिविल सेवा परीक्षा, 2022 के नियमों के प्रावधानों का उल्लंघन किया है. इसलिए परीक्षा नियमों के प्रावधानों के अनुसार, यूपीएससी दोनों उम्मीदवारों के खिलाफ धोखाधड़ी करने के लिए आपराधिक और अनुशासनात्मक दंडात्मक कार्रवाई पर विचार कर रहा है.
यूपीएससी के बयान में क्या कहा गया?
बयान में कहा गया, "यूपीएससी की प्रणाली मजबूत होने के साथ-साथ पूरी तरह सुरक्षित है और ऐसी गलतियां संभव नहीं हैं." यूपीएससी भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS), भारतीय विदेश सेवा (IFS) और भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के अधिकारियों का चयन करने के लिए हर साल तीन चरणों-प्रारंभिक, मुख्य और साक्षात्कार में सिविल सेवा परीक्षा आयोजित करता है.
विवरण शेयर करते हुए आयोग ने कहा कि सलीमुद्दीन मकरानी की बेटी आयशा मकरानी, जिसने यूपीएससी के अंतिम चयन की सिफारिश का दावा किया है, पाया गया है कि उसने अपने पक्ष में दस्तावेजों से जालसाजी की है.
आयशा मकरानी के कम नंबर आए
बयान में कहा गया कि आयशा मकरानी का वास्तविक रोल नंबर 7805064 है. उसने 5 जून, 2022 को आयोजित प्रारंभिक परीक्षा में भाग लिया और सामान्य अध्ययन पेपर-एक में केवल 22.22 अंक और सामान्य अध्ययन पेपर-दो में 21.09 अंक प्राप्त किए.
यूपीएससी ने कहा, "परीक्षा नियमों की जरूरत के अनुसार, उसे पेपर- दो में कम से कम 66 अंक प्राप्त करने की जरूरत थी. वह न केवल पेपर-दो में क्वालीफाई करने में विफल रही है, बल्कि पेपर-एक के कट-ऑफ मार्क्स से भी कम अंक प्राप्त किए हैं. कट-ऑफ मार्क्स वर्ष 2022 की प्रारंभिक परीक्षा के लिए अनारक्षित वर्ग के वास्ते 88.22 अंक थे."
'प्रारंभिक परीक्षा के चरण में फेल हुई मकरानी'
यूपीएससी के बयान में कहा गया कि इसलिए, आयशा मकरानी प्रारंभिक परीक्षा के चरण में ही विफल हो गई और परीक्षा के अगले चरण में आगे नहीं बढ़ सकी. यूपीएससी के मुताबिक दूसरी ओर, रोल नंबर 7811744 वाले नजीरुद्दीन की बेटी आयशा फातिमा वास्तविक उम्मीदवार हैं, जिन्होंने यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा, 2022 के अंतिम परिणाम में 184वां रैंक हासिल किया है.
इसी तरह, हरियाणा के रेवाड़ी के बृजमोहन के पुत्र तुषार के मामले में, उसने सिविल सेवा (प्रारंभिक) परीक्षा, 2022 के लिए आवेदन किया था और इस परीक्षा के लिए उसे रोल नंबर 2208860 आवंटित किया गया था. यूपीएससी ने कहा कि वह प्रारंभिक परीक्षा में शामिल हुआ और उसने सामान्य अध्ययन के पेपर-एक में माइनस 22.89 अंक और सामान्य अध्ययन के पेपर-2 में 44.73 अंक हासिल किए. परीक्षा नियमों के अनुसार, उन्हें पेपर-दो में कम से कम 66 अंक प्राप्त करने की आवश्यकता थी.
'तुषार भी प्रारंभिक परीक्षा में ही फेल हो गया'
बयान में कहा गया कि इस तरह, तुषार भी प्रारंभिक परीक्षा के चरण में ही फेल हो गया और परीक्षा के अगले चरण में आगे नहीं बढ़ सका. बयान में कहा गया, "दूसरी ओर, यह पुष्टि की जाती है कि बिहार के निवासी अश्विनी कुमार सिंह के पुत्र तुषार कुमार, जिनका रोल नंबर 1521306 है, वास्तविक उम्मीदवार हैं, जिन्होंने यूपीएससी की परीक्षा में 44 वां रैंक हासिल किया है."
मीडिया चैनल ने गैरजिम्मेदाराना ढंग से खबर दी- आयोग
आयोग ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक/प्रिंट मीडिया में इन दोनों के बारे में काफी खबरें आई हैं. बयान में कहा गया, ऐसे मीडिया चैनल में से एक ने गैरजिम्मेदाराना ढंग से खबर दी कि यूपीएससी ने उपरोक्त दोनों मामलों में से एक में अपनी गलती को सुधार लिया है और इस मामले की जांच कर रहा है कि ऐसी गलती कैसे हुई.
मीडिया पर पर भी उठाए सवाल
बयान में कहा गया है कि कई अन्य मीडिया चैनल और सोशल मीडिया पोर्टल ने भी बिना किसी सत्यापन के इस खबर को प्रसारित किया. यूपीएससी ने कहा कि उक्त मीडिया चैनल ने गैर पेशेवराना रुख को प्रदर्शित किया.
बयान में कहा गया, "यह दोहराया जाता है कि कथित प्रकृति की ऐसी किसी भी गलती को दूर करने के लिए यूपीएससी की प्रणाली मजबूत और चाक चौबंद है. मीडिया से यह अपेक्षा की जाती है कि वे अपने प्रिंट/चैनल के जरिए से ऐसे फर्जी दावों के समाचार प्रसारित/प्रकाशित करने से पहले यूपीएससी से ऐसे दावों की सत्यता की पुष्टि करें."