नई दिल्ली: देश के सबसे प्रतिष्ठित संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की सिविल सेवा परीक्षा-2017 में हरियाणा की छोरी अनु कुमारी ने दूसरा अंक हासिल किया है. अनु को महिला कैंडिडेट में शीर्ष रैंक मिला. सोनीपत की रहने वाली अनु ने कामयाबी के झंडे यूं ही नहीं गाड़े हैं. एमबीए करने के बाद करीब 9 सालों तक नौकरी की. इस दौरान पढ़ाई से नाता टूटा. शादी के साथ घरेलू जिम्मेदारी बढ़ी. बच्चे हुए. लेकिन करीब 10 साल बाद एक बार फिर पढ़ाई की ओर लौटने का फैसला किया. और मकसद था आईएएस बन देश सेवा करना.
एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए अनु ने कहा कि उनके लिए दोबारा पढ़ाई की तरफ आना मुश्किल था. इसकी दो वजहें थी. पहला कि पढ़ाई छोड़े हुए 10 साल हो गए थे. उसके बाद मेरे लिए दोबारा पढ़ाई में आना, उससे लिंक जोड़ पाना मुश्किल था. दूसरा इमोशनल एंगल भी था. मैंने अपने छोटे से बेटे को अपनी मां के घर पर छोड़ दिया था. तब वह मात्र 3 साल का था. और मैं पढ़ाई के लिए मौसी के घर आ गई. वहीं रहकर पढ़ाई की. बच्चे को साथ रखने पर पढ़ाई में में दिक्कत होती थी. ये मेरे लिए मुश्किल था. भगवान की दया से आज मैं सफल हो गई. मेरी मां ने बेटे का बहुत ख्याल रखा.
परिवार का मिला समर्थन
दिल्ली यूनिवर्सिटी से फिजिक्स (भौतिकी) में बीएससी (ऑनर्स) और आईएमटी नागपुर से एमबीए (फाइनेंस और मार्केटिंग) करने के बाद अनु ने करीब 9 साल तक जॉब किया. उन्होंने कहा, ''शादी के बाद थोड़ा चैलेंज बढ़ गया था. लेकिन मुझे परिवार वालों ने बहुत समर्थन दिया. मेरे पिता, मां, भाई और बहन ने हमेशा साथ दिया. रिजल्ट को लेकर मुझसे ज्यादा मेरे परिवार वालों को भरोसा था. मुझे विश्वास नहीं हो रहा है कि मैं सफल हो चुकी हूं.''
अनु कुमारी आगे कहती हैं, ''हरियाणा को एक पुरुष प्रधान राज्य माना जाता है और माना जाता है कि यहां लड़कियों को अधिक समर्थन नहीं मिलता है. लेकिन मेरे पिताजी ने मेरा बहुत अधिक साथ दिया. उन्होंने हमेशा यही कहा कि मेरी बेटी ही मेरा बेटा है. बहुत प्रोत्साहित किया. मैं हरियाणा और देश के माता-पिता से निवेदन करना चाहूंगी कि प्लीज आप अपने बेटियों को जरूर पढ़ाइए.''
कैसे की पढ़ाई?
एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए अनु ने कहा, ''यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करने के लिए मैं 12 से 14 घंटे तक पढ़ाई करती थी. मैं 10 से 4 बजे तक सोती थी. उसके बाद मैं सुबह में लगातार पढ़ाई ही करती थी.''
उन्होंने यूपीएससी की पढ़ाई कर रहे छात्रों को भी सफलता के गुर सिखाए. उन्होंने कहा, ''आप जिस भी स्टेज पर हैं. आप विश्वास रखिए. यूपीएससी में हार्ड वर्क नहीं स्मार्ट वर्क की जरूरत है. सतत प्रयास करते रहिए. सफलता आपके कदम चूमेगी. सही स्ट्रेटजी अपनाइए, टेस्ट सीरीज हल कीजिए. सही लोगों से सलाह लीजिए.''
पहली बार में एक नंबर से छूटा था प्री
अनु ने बताया कि तकनीकी तौर पर यह मेरा दूसरा प्रयास था. पहली बार मेरे भाई ने अपने मन से मेरे लिए फॉर्म भर दिया था. मैंने डेढ़ महीने पढ़ाई की थी. और यूपीएससी प्री एग्जाम दिया और मेरा मात्र एक नंबर से छूट गया था.
यूपीएससी सेकेंड टॉपर ने क्यों चुना आईएएस?
अनु कुमारी ने बताया कि देश में रहकर देश की सेवा करना मेरे लिए महत्वपूर्ण है. देश में अच्छे बदलाव लाना है. आईएएस मुझे इसलिए अच्छा लगा. युवा के पास बहुत एनर्जी होती है. वह ग्राउंड लेवल पर बदलाव ला सकते हैं. कई उदाहरण हैं जब युवा अधिकारियों ने बदलाव किये. उन्होंने आगे कहा कि मैं जहां भी रहूंगी महिलाओं और बच्चों के लिए सही वातावरण बनाने की कोशिश करूंगी.