तमिलनाडु में शनिवार को हुए शहरी निकाय चुनावों में 60.70 प्रतिशत मतदान हुआ. चुनाव में मुख्य मुकाबला विपक्षी दल अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) और द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के बीच है. तमिलनाडु राज्य चुनाव आयोग (TNSEC) के अनुसार कुल 21 नगर निगमों में हुए चुनावों में से ग्रेटर चेन्नई कॉरपोरेशन में सबसे कम 43.59 प्रतिशत मतदान हुआ जबकि करुर में सबसे ज्यादा 75.84 प्रतिशत मतदान हुआ है.


नीलगिरि में हुआ सबसे कम मतदान


एक चरण में राज्य में 21 निगमों, 138 नगरपालिकाओं, 490 शहर पंचायतों और 649 शहरी स्थानीय निकायों में 12,838 पदों के लिए चुनाव हुए. इन चुनावों में कुल 74,416 मतदाताओं की किस्मत दांव पर लगी है. एसईसी ने बताया कि धर्मापुरी नगर पालिका में शानदार 81.37 प्रतिशत मतदान हुआ और नीलगिरी में सबसे कम 59.98 प्रतिशत मतदान हुआ. कुल मिलाकर शहर पंचायतों और नगर पालिकाओं में क्रमश: 74.68 और 68.22 फीसदी मतदान हुआ जबकि अत्यधिक शहरीकृत नगर निगमों में बेहद कम 52.22 फीसदी मतदान हुआ.


22 फरवरी को घोषित किए जाएंगे नतीजे


तमिलनाडु में एक दशक से अधिक समय बाद स्थानीय निकाय चुनाव कराए गए हैं. आखिरी बार 2011 में चुनाव कराए गए थे, जब राज्य में अन्नाद्रमुक सत्ता में थी. वहीं बीजेपी की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने शनिवार को शहरी निकाय चुनाव में फर्जी मतदान का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि केंद्रीय राज्य मंत्री एल. मुरुगन के स्थान पर पहले ही किसी अन्य व्यक्ति द्वारा मतदान किया जा चुका था.


हालांकि बाद में मुरुगन ने यहां एक मतदान केंद्र पर वोट डाला, जिसकी तस्वीरें बीजेपी की प्रदेश इकाई ने साझा कीं. वहीं अन्नामलाई अपने आरोप पर कायम रहे और उन्होंने दावा किया कि उनकी पार्टी द्वारा विरोध जताए जाने के बाद अधिकारियों ने मुरुगन को मतदान करने की अनुमति दी.


विपक्ष ने सरकारी तंत्र के दुरुपयोग का लगाया आरोप


इससे पहले अन्नामलाई ने ट्वीट कर आरोप लगाया,''जिस स्तर पर सरकारी तंत्र का दुरुपयोग किया जा रहा है वह आज बेहद साफ हो गया. द्रमुक पार्टी के कार्यकर्ता कोयंबटूर समेत पूरे तमिलनाडु में मतदान केंद्रों के बाहर पैसे बांट रहे हैं. अन्ना नगर पूर्व चेन्नई मतदान केंद्र में केंद्रीय राज्य मंत्री मुरुगन के स्थान पर किसी अन्य व्यक्ति द्वारा मतदान कर दिया गया.''


केंद्रीय मंत्री द्वारा वोट डाले जाने के बाद अन्नामलाई ने ट्वीट कर कहा कि बीजेपी द्वारा विरोध दर्ज कराये जाने के बाद चुनाव अधिकारियों ने केंद्रीय मंत्री को वोट डालने दिया. उन्होंने दावा किया कि निर्वाचन आयोग ने इसे एक 'लिपिकीय भूल' करार दिया है जो पूरी तरह अस्वीकार्य है.


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