नई दिल्ली: मशहूर शायर राहत इंदौरी नहीं रहे. उन्हें दो बार हार्ट अटैक आया और उन्हें बचाया नहीं जा सका. राहत इंदौरी को रविवार को कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद श्री ऑरोबिंदो अस्पताल में भर्ती कराया गया था. अस्पताल के डॉक्टर विनोद भंडारी ने बताया कि उन्हें 60 फीसदी निमोनिया भी था.


राहत इंदौरी ने आज ही सवेरे अपने कोरोना पॉजिटिव होने की जानकारी दी थी. उन्होंने ट्वीट कर कहा था, "कोविड के शुरुआती लक्षण दिखाई देने पर कल मेरा कोरोना टेस्ट किया गया, जिसकी रिपोर्ट पॉज़िटिव आई है.ऑरोबिंदो हॉस्पिटल में एडमिट हूं. दुआ कीजिये जल्द से जल्द इस बीमारी को हरा दूं. एक और इल्तेजा है, मुझे या घर के लोगों को फ़ोन ना करें, मेरी ख़ैरियत ट्विटर और फेसबुक पर आपको मिलती रहेगी."



आज अचानक राहत साहब के यू गुज़र जाने पर उनके तमाम आशिक सदमे में हैं. किसी को यकीन नहीं हो रहा कि महफिलों और मुशायरों की कई सालों तक रौनक रहे राहत इंदौरी अब इस दुनिया में नहीं रहे. राहत इंदौरी कोरोना काल में भी सोशल मीडिया के ज़रिए जागरूकता फैलाते देखे जाते रहे. अब उनके निधन के बाद उनको पसंद करने वाले तमाम लोग उन्हें उनके बेहतरीन शायरी के ज़रिए याद कर रहे हैं.



यहां पढ़ें राहत इंदौरी की ज़िंदादिल शायरी के कुछ नमूनें:-


"जो आज साहिबे मसनद हैं कल नहीं होंगे
किराएदार हैं ज़ाती मकान थोड़ी है


सभी का ख़ून है शामिल यहां की मिट्टी में
किसी के बाप का हिन्दोस्तान थोड़ी है"


"बुलाती है मगर जाने का नईं
वो दुनिया है उधर जाने का नईं


है दुनिया छोड़ना मंज़ूर लेकिन
वतन को छोड़ कर जाने का नईं


जनाज़े ही जनाज़े हैं सड़क पर
अभी माहौल मर जाने का नईं


सितारे नोच कर ले जाऊंगा
मैं ख़ाली हाथ घर जाने का नईं


मिरे बेटे किसी से इश्क़ कर
मगर हद से गुज़र जाने का नईं


वो गर्दन नापता है नाप ले
मगर ज़ालिम से डर जाने का नईं


सड़क पर अर्थियां ही अर्थियां हैं
अभी माहौल मर जाने का नईं


वबा फैली हुई है हर तरफ़
अभी माहौल मर जाने का नईं"


"ज़ुबां तो खोल, नज़र तो मिला, जवाब तो दे
मैं कितनी बार लुटा हूं, मुझे हिसाब तो दे"


"लोग हर मोड़ पे रुक रुक के संभलते क्यों हैं
इतना डरते हैं, तो घर से निकलते क्यों हैं"


"शाखों से टूट जाएं, वो पत्ते नहीं हैं हम
आंधी से कोई कह दे कि औकात में रहे"


"एक ही नदी के हैं ये दो किनारे दोस्तों
दोस्ताना ज़िंदगी से, मौत से यारी रखो"


"प्यास तो अपनी सात समंदर जैसी थी
नाहक हमने बारिश का एहसान लिया"


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