नई दिल्ली: मुसलमानों के मन में व्याप्त भ्रांतियों को दूर करने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने उन तक उन्हीं की भाषा में अपने विचार पहुंचाने का निर्णय लिया है. इसके लिए संघ प्रमुख की किताब 'भविष्य के भारत' का उर्दू में ट्रांसलेशन किया गया है. जिसे उर्दू में 'मुस्तकबिल का भारत' के नाम से जाना जाएगा. इस किताब का विमोचन आने वाली पांच अप्रैल को संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल और शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक करेंगे.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के इतिहास में ये पहली बार किसी संघ प्रमुख की किताब का उर्दू में ट्रांसलेशन किया गया है. दरअसल, बीते दिनों विज्ञान भवन में सर संघचालक मोहन भागवत की तीन दिन के व्याख्यान माला में भागवत ने देश के मुसलमानों को साफ मैसेज दिया था कि हिंदू राष्ट्र की परिकल्पना बिना मुसलमानों के नहीं हो सकती. उन्होंने कहा था कि संघ हिंदुस्तान में रहने वाले सभी लोगों को हिंदू मानता है, चाहे उनकी पूजा पद्धति कोई भी हो.
कई भाषाओं में किताब
इसी क्रम में 'भविष्य के भारत' नाम की ये पुस्तक हिंदी, अंग्रेजी, तमिल, पंजाबी, कन्नड़ सहित कई भाषाओं में आ चुकी है. देश के बड़े अल्पसंख्यक वर्ग तक संघ की सोच पहुंचाने के लिए अब इस पुस्तक का उर्दू में अनुवाद कराने का निर्णय किया गया. इस पुस्तक को संघ प्रमुख मोहन भागवत ने लिखा है. इससे पहले भी कई पुस्तकें संघ प्रमुख की आ चुकी हैं लेकिन ये पहली बार है जब किसी किताब का उर्दू में ट्रांसलेशन किया गया है.
संघ से जुड़े राजीव तुली कहते हैं कि संघ मुसलमानों तक पहुंचने और उनकी सोच को बदलने के लिए, साथ ही संघ भविष्य के भारत के बारे में क्या सोचता है, इस बारे में अल्पसंख्यक समुदाय को बताने के लिए इस किताब का उर्दू अनुवाद करा रहा है.
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