उरी के गांवों में घर-घर जाकर लगाई जा रही वैक्सीन, विशेष टीम का किया गठन
कुछ ऐसे भी गांव है, जहां जाने के लिए सेना से भी मदद लेनी पड़ी है क्योंकि यह गांव पाकिस्तानी सेना के पोस्ट और कैंप के ठीक निशाने पर है और ऐसे ही गांवों के रास्ते घुसपैठ होती रहती है.
उरी: बारामुला जिले का उरी कई कारणों से खबरों में रहा है. पाकिस्तान से सटे इस सीमावर्ती इलाके में गोलाबारी और घुसपैठ की खबरें आती ही रहती है लेकिन आज एक अच्छी खबर भी आयी है. उरी के बोनियार में स्वास्थ्य विभाग ने घर-घर जाकर हर गांव में लोगों को वैक्सीन लगाने का बीड़ा उठाया है. इस इलाके में ज्यादातर गांव दूर-दूर फैले हुए हैं और कुछ गांव तो ऐसे भी है जो सरहद पर लगी बाड़ से आगे है. इसी कारण यहां के लोगों पर कोरोना वैक्सीनेशन ड्राइव से वंचित रहने का खतरा है.
कुछ ऐसे भी गांव है, जहां जाने के लिए सेना से भी मदद लेनी पड़ी है क्योंकि यह गांव पाकिस्तानी सेना के पोस्ट और कैंप के ठीक निशाने पर है और ऐसे ही गांवों के रास्ते घुसपैठ होती रहती है. वैक्सीन टीम के एक सदस्य का कहना है कि गनीमत यह है कि इस समय दोनों देशो के बीच युद्धविराम लागू है और गोलाबारी रुकी हुई है. इसलिए हम लोगों को वैक्सीन आसानी से लगा सके.
नहीं आ सकते अस्पताल
बोनियार के ब्लॉक मेडिकल अफसर डॉ. परवेज मसूदी के अनुसार उनके इलाके में ज्यादातर गांव इतने दूर है कि वह लोग न तो अस्पताल आ सकते हैं और न ही कोरोना वैक्सीन के लिए लगाए जाने वाले कैंप में आ सकते हैं. इसलिए प्रशासन ने इन गांव के लिए विशेष टीम का गठन करके घर-घर जाकर वैक्सीन लगवाने का प्रबंध किया है. इन गांव में मोबाइल सेवा मुश्किल से मिलती है और इंटरनेट की तो बात ही करना गलत है. ऐसे में यहां के लोगों तक पहुंचने के लिए आशावर्कर और स्वास्थ कर्मियों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा लेकिन प्रशासन ने इन गांव के लिए 80% वैक्सीन लगाने का लक्ष्य तय करते हुए यह विशेष ड्राइव शुरू किया है.
स्थानीय लोगों की तरफ से कोरोना वैक्सीनेशन की इस विशेष मुहिम को सराहा गया है. गांव के सरपंच रफी अहमद के अनुसार आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ है कि प्रशासन या स्वस्थ विभाग के लोग इस तरह उनके इलाके में आए हों लेकिन अब जब वैक्सीन लगाने के लिए प्रशासन ने इतना जोखिम उठाया है तो लोगों को भी वैक्सीन लगाने में कोई देरी नहीं करनी चाहिए.
आने वाले दो हफ्तों में करीब 100-120 ऐसे गांव में सभी लोगों, जिनमें 18-44 साल और 45+ की श्रेणी में आने वाले लोग शामिल है, उनको वैक्सीन लगाई जानी है. यह ग्रुप हाई रिस्क ग्रुप में आते हैं और जम्मू-कश्मीर में प्रशासन ने 30 जून तक 45+ में 100 प्रतिशत और 18-44 साल श्रेणी में 75 प्रतिशत वैक्सीनेशन का लक्ष रखा है.
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