Fake Call Center: दिल्ली पुलिस ने फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़ कर 9 लोगों को गिरफ्तार किया है. ये लोग यूएस और कनाडा के लोगों को तकनीक के नाम पर ठग रहे थे. उनसे डॉलर के हिसाब से मोटी रकम वसूल रहे थे. सबसे अहम बात ये है कि ये लोग यूएस और कनाडा के नागरिकों के कंप्यूटर में एक पॉप-अप लिंक भेज कर दहशत भर देते कि उनके कंप्यूटर में रैनसमवेयर जैसा कोई वायरस आ गया है.


घबराहट में जब लोग उसका निदान पूछते तो उसी पॉप-अप लिंक के माध्यम से एक टोल फ्री नंबर दिया जाता, जो इस कॉल सेंटर का होता और फिर जैसे ही कॉलर इनके पास कॉल करता. ये लोग उससे अच्छी खासी रकम ठग लेते थे. पुलिस का कहना है कि इस मामले में यूएस और कनाडा में भी इन ठगों के साथी जरूर है, जो वहां बैठकर रकम को कैश करवाते हैं और फिर हवाला के माध्यम से भारत में पैसा इन्हें पहुंचा देते हैं. 


आरोपियों के ये हैं नाम


गिरफ्तार आरोपियों के नाम भुवनेश सहगल (30), हरप्रीत सिंह (29), पुष्पेंद्र यादव (26), सौरभ माथुर (27), उबैद उल्लाह (25), सुरेंद्र सिंह (37), योगेश (21), भव्य सहगल (25) और गुरप्रीत सिंह (25) बताये गये हैं.


क्या है मामला


पश्चिम जिले की डीसीपी उर्वीजा गोयल ने बताया कि जिले के साइबर सेल को सूचना मिली थी कि कुछ लोग मोती नगर के सुदर्शन पार्क से कॉल सेंटर की आड़ में विदेशी नागरिकों को ठगने का धंधा चला रहे हैं. वे लोग कॉल सेंटर में बैठकर ठग खुद को एक बड़ी साफ्टवेयर कंपनी के आधिकारिक तकनीकी सहायता अफसर बताते हैं और मदद करने के नाम पर अमेरिका और कनाडा में रहने वाले लोगों से रकम ठगते हैं.


सूचना के आधार पर साइबर सेल में इंस्पेक्टर अरुण चौहान की देखरेख में पुलिस टीम ने बताये गये पते पर छापा मारा. जहां कई लोग काम कर रहे थे. पुलिस टीम ने पाया कि 9 लोग कालिंग के दौरान खुद को माइक्रोसॉफ्ट के तकनीकी सहायता अधिकारी बता रहे थे. सभी को गिरफ्तार कर लिया गया.


पॉप-अप लिंक भेज कर करते थे ठगी


डीसीपी उर्वीजा गोयल ने बताया कि पूछताछ में आरोपियों ने खुलासा किया कि ये लोग यूएस और कनाडा के नागरिकों के लैपटॉप/कंप्यूटर की स्क्रीन पर पॉप-अप लिंक भेजते थे. उस लिंक में वार्निंग होती कि आपके कंप्यूटर में रैनसम वायरस जैसा वायरस आ गया, जिससे आपका कंप्यूटर हैक हो गया है. डर की वजह से लोग उसका निवारण जानने के लिए उस लिंक पर क्लिक करते तो उन्हें एक टॉल-फ्री नम्बर नज़र आता. जैसे ही उसे डायल किया जाता, कॉल इस सेंटर में आती और फिर ये ठग अपना काम शुरू कर देते.


ई-चेक से ली जाती पेमेंट


पुलिस का कहना है कि विदेशी लोगों से ई चेक के माध्यम से पेमेंट करने को कहा जाता. जो कनाडा या यूएस के बैंक एकाउंट में ही की जाती. वहाँ कोई ऐसा व्यक्ति इनसे मिला हुआ है, जो इनके लिए बैंक एकाउंट ऑपरेट करता है. वह व्यक्ति ई चेक को कैश करवा कर हवाला के माध्यम से रकम इन तक पहुंचवाता है.


ये हुई बरामदगी


पुलिस का कहना है कि ये लोग वीओआईपी तकनीक से कालिंग करते थे ताकि कॉल इंडियन कालिंग गेटवे से होती हुई न जाये. इनके पास से 6 कंप्यूटर, 1 लैपटॉप, 2 इंटरनेट राउटर, 9 मोबाइल फोन, टेलीकम्युनिकेशन सॉफ्टवेयर, इंटरनेट कॉलिंग के लिए वीओआईपी, चीटिंग स्क्रिप्ट और डाटा आदि बरामद किया गया है.


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