वाशिंगटन: अमेरिका में भारतीय राजदूत ने कहा है कि भारत और अमेरिका में आयुर्वेदिक चिकित्सक और रिसर्चर कोरोना वायरस से निपटने के लिए आयुर्वेद के क्लीनिकल ट्रायल की योजना बना रहे हैं.


अमेरिकी में भारतीय राजदूत तरनजीत सिंह संधू ने बुधवार को इमिंनेट भारतीय-अमेरिकी वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों और डॉक्टरों के एक ग्रुप के साथ एक वर्चुअल मीटिंग में कहा कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई ने दोनों देशों के वैज्ञानिक समुदाय एक साथ ला दिया है. हमारे संस्थान भी जॉइंट रिसर्च,  शिक्षण और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए सहयोग कर रहे हैं. वैज्ञानिक ज्ञान और अनुसंधान संसाधनों का आदान-प्रदान कर रहे हैं.


इंडो-यूएस साइंस एंड टैक्नोलॉजी फोरम (आईयूएसएसटीफ)  हमेशा अपनी गतिविधियों के माध्यम से साइंस-टैक्नोलॉजी और इनोवेशन को बढ़ावा देने में सहायक रहा है. कोविड-19 की से निपटने के लिए आईयूएसएसटीफ ने जॉइंट रिसर्च और स्टार्ट-अप इंगेजमेंट के लिए एक कॉल दिया था. इसमें बड़ी संख्या में आए प्रस्तावों की दोनों पक्षों के विशेषज्ञ फास्ट ट्रैक मोड पर   समीक्षा कर रहे हैं.


भारतीय दवा कंपनियों की भूमिका महत्वपूर्ण


संधू ने कहा कि भारतीय दवा कंपनियां कम लागत वाली दवाओं और टीकों के उत्पादन में सबसे आगे हैं और इस महामारी के खिलाफ लड़ाई में यह कंपनियां महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी. उनके अनुसार इस मामले में  अमेरिका संस्थानों के साथ भारतीय वैक्सीन कंपनियों के बीच कम से कम तीन प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है. दोनों देशों के विशेषज्ञ कोरोना वैक्सीन के विकास में तेजी लाने के लिए रिसर्च में लगे हैं.


यह सहयोग न केवल भारत और अमेरिका के लिए फायदेमंद होगा, बल्कि विश्वभर के उन अरबों लोगों के लिए भी फायदेमंद होगा जिन्हें कोरोना से लड़ने के लिए वैक्सीनेशन की जरूरत होगी.


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