नई दिल्ली: एविएशन की दुनिया की बड़ी कंपनी, बोइंग ने भारतीय नौसेना के लिए अपने एडवांस फाइटर जेट, एफ-ए/18 ब्लॉक-थ्री ‘सुपर होर्नेट’ देने का प्रस्ताव दिया है. कंपनी ने इसके लिए अमेरिकी नौसेना के साथ मिलकर भारतीय मानकों पर अपने इस ‘ब्लॉक-थ्री’ फाइटर जेट का सफल परीक्षण करने का दावा भी किया है. कंपनी ने दावा किया है कि इससे भारत और अमेरिकी नौसेना के बीच ‘कम्पेटिबिलिटी’ बढ़ेगी.


अमेरिकी कंपनी बोइंग ने सोमवार को एक वर्चुअल प्रेस कॉन्फेंस के दौरान दावा किया कि अमेरिकी नौसेना के साथ मिलकर कंपनी ने एफ-ए/18 सुपर होर्नेट का भारत के एयरक्राफ्ट कैरियर के लिए ‘स्की-जंप’ परीक्षण किया, जो सफल रहा. बोइंग-डिफेंस के इंडिया फाइटर्स सेल्स प्रमुख, अंकुर कांगलेकर के मुताबिक, ये टेस्ट अमेरिका के एक नेवल एयर स्टेशन (पैटूक्सेंट नदी, एमडी) में किया गया, जिसमें भारतीय नौसेना जो ‘स्टोबार’ यानी शॉर्ट टेकऑफ बट अरेस्टेड रिकवरी तकनीक इस्तेमाल करती है, उसके तहत ही किया गया. अंकुर कांगलेकर के मुताबिक, ये स्की-जंप का पहला टेस्ट था, जिससे पता चलता है कि एफ-ए/18 सुपर होर्नेट भारतीय नौसेना के विमानवाहक युद्धपोतों से ऑपरेट कर सकता है.


आपको बता दें कि भारतीय नौसेना अपने एयरक्राफ्ट कैरियर, आईएनएस विक्रमादित्य के लिए रूसी फाइटर जेट, मिग-29के इस्तेमाल करती है. भारतीय नौसेना का एक स्वदेशी विमानवाहक युद्धपोत, विक्रांत कोच्चि शिपयार्ड में जल्द बनकर तैयार होने वाला है. लेकिन हाल ही में मिग-29के के कम से कम तीन क्रैश के मामले सामने आ चुके हैं. पिछले महीने की 26 तारीख को ही गोवा के पास एक मिग-29के अरब सागर में क्रैश हो गया था, जिसमें एक पायलट की मौत हो गई थी. उसके बाद से ही मिग29के जेट्स को बदलने की चर्चा शुरू हो गई है. लेकिन आपको यहां पर ये भी बता दें कि भारतीय नौसेना और रक्षा मंत्रालय की तरफ से अभी तक इस तरह के फाइटर जेट्स के लिए कोई टेंडर-प्रक्रिया शुरू नहीं की गई है.


बोइंग कंपनी हालांकि, अमेरिकी नौसेना के लिए भी लड़ाकू विमान बनाती रही है, लेकिन क्योंकि अमेरिकी विमानवाहक युद्धपोत कैटापुल्ट तकनीक इस्तेमाल करती है, इसीलिए बोइंग ने अब भारतीय नौसेना के स्की-जंप तकनीक के जरिए अपने एफ-ए/18 सुपर होर्नेट का टेस्ट किया है. ये टेस्ट किसी एयरक्राफ्ट कैरियर पर नहीं, बल्कि जमीन पर स्की-जंप प्लेटफार्म बनाकर किया गया है.


बोइंग कंपनी का दावा है कि सुपर होर्नेट भारत की युद्धक-क्षमता तो बढ़ाएगा. ये बेहद ही मुनासिब दामों में भी उपलब्ध होगा. कंपनी बाइ-इंडिया, फॉर-इंडिया के तहत भी इस प्रोग्राम को आगे बढ़ा सकती है. कंपनी का दावा है कि इसके साथ ही सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि ये बोइंग के पी8आई टोही विमानों के साथ मिलकर फोर्स ‘मल्टी-प्लायर’ का काम करेगा, जिन्हें भारतीय नौसेना पहले से ही ऑपरेट करती है, समंदर में निगरानी करने के लिए इस्तेमाल करती है. बोइंग का दावा है कि एफ-ए/18 की लाइफ-साईकिल करीब 10 हजार घंटे उड़ान की है, जिससे ये एक लंबे समय तक भारतीय नौसेना को अपनी सेवाएं दे सकेगा और जरूरत पड़ने पर अपग्रेड भी किया जा सकता है.


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