'मिडिल ईस्ट में बड़े खिलाड़ी के रूप में उभर रहा भारत', अमेरिकी मैगजीन ने क्यों कही ये बात?
India-Middle East Relations: अमेरिकी मैगजीन ने लिखा कि नई दिल्ली के इजराइल के साथ सबसे अच्छे संबंध हैं. जब मध्य पूर्व की बात आती है, तो भारत ईरान पर अमेरिका और इजराइल से अलग हो जाता है.
!['मिडिल ईस्ट में बड़े खिलाड़ी के रूप में उभर रहा भारत', अमेरिकी मैगजीन ने क्यों कही ये बात? US Magazine Foreign Policy article on emergence of India as major player in Middle East 'मिडिल ईस्ट में बड़े खिलाड़ी के रूप में उभर रहा भारत', अमेरिकी मैगजीन ने क्यों कही ये बात?](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/07/01/721b714870eb8030895d785085d98e331688209518179432_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
US Magazine On India: अमेरिका की प्रमुख मैगजीन 'फॉरेन पॉलिसी' (Foreign Policy) ने अपने लेटेस्ट आर्टिकल में मिडिल ईस्ट में भारत के अहम शक्ति के रूप में उभरने के बारे में लिखा है. इसे पिछले कुछ सालों में इस क्षेत्र में सबसे दिलचस्प भूराजनीतिक घटनाक्रम में से एक के रूप में देखा जा रहा है. इस आर्टिकल में इजराइल, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) सहित क्षेत्र के प्रमुख देशों के साथ भारत के गहरे और बढ़ते संबंधों पर प्रकाश डाला गया है.
इसमें कहा गया है कि ये देश बदलती अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में भारत के उभार का लाभ उठाने के इच्छुक नजर आ रहे हैं. इसके आर्टिकल के लेखक स्टीवन ए. कुक ने तर्क दिया कि इस बात की बेहद कम संभावना है कि अमेरिका इस घटनाक्रम में हस्तक्षेप कर सकता है.
अमेरिकी मैगजीन का भारत पर लेख
उन्होंने कहा कि अमेरिका इस घटनाक्रम से लाभ भी उठा सकता है. अगर अमेरिका के पश्चिम एशियाई साझेदार देश वाशिंगटन के विकल्प की तलाश में हैं, तो बेहतर होगा कि नई दिल्ली इन विकल्पों में से एक हो. उन्होंने लिखा कि अमेरिका अब इस क्षेत्र में निर्विवाद रूप से सबसे शक्तिशाली नहीं रह सकता, लेकिन भारत के पश्चिम एशिया में अपनी उपस्थिति का विस्तार करने की सूरत में, न तो रूस और न ही चीन वह भूमिका निभा सकते हैं.
मिडिल ईस्ट में भारत का एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभरा
कुक ने लगभग एक दशक पहले की अपनी भारत यात्रा को याद करते हुए जिक्र किया कि उस समय उनके मन में यह बात आई थी कि भारतीय पश्चिम एशिया में बड़ी भूमिका निभाना नहीं चाहते हैं. हालांकि, उन्होंने कहा कि उनकी यात्रा के बाद से 10 सालों में चीजें बदल गई हैं.
उन्होंने लिखा कि अमेरिकी अधिकारी और विश्लेषक चीन के हर कूटनीतिक कदम से प्रभावित हैं और मध्य पूर्व में चीनी निवेश को संदेह की नजर से देखते हैं. हालांकि वाशिंगटन इस क्षेत्र में वर्षों में सबसे दिलचस्प भूराजनीतिक विकासों में से एक को नजरअंदाज कर रहा है वो है मिडिल ईस्ट में भारत का एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभरना.
यूएई और सऊदी अरब से बढ़ते संबंध का किया जिक्र
लेख में कहा गया है कि जब खाड़ी देशों की बात आती है, तो संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब तेजी से भारत के साथ संबंधों का विस्तार करने के तरीके तलाश रहे हैं. ये एक महत्वपूर्ण बदलाव है क्योंकि दोनों देशों, विशेष रूप से सऊदी अरब लंबे समय से पाकिस्तान के साथ गठबंधन में है. इसमें कहा गया है कि भारत की ओर झुकाव कुछ हद तक इस्लामी चरमपंथ को रोकने में साझा हित से पैदा होता है, लेकिन ज्यादा झुकाव आर्थिक है. इसमें भारत और दोनों देशों के बीच बढ़ते आर्थिक संबंधों का जिक्र किया गया.
इजराइल के साथ सबसे अच्छे संबंध
इजराइल के साथ भारत के मजबूत संबंधों पर, इसने कहा कि नई दिल्ली के सबसे विकसित संबंधों में से इजराइल के साथ सबसे अच्छे संबंध हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2017 में इजराइल का दौरा करने के बाद दोनों देशों के संबंध तेजी से विकसित हुए हैं, विशेष रूप से उच्च तकनीक और रक्षा के क्षेत्र में. कुक ने तर्क दिया कि अमेरिका-भारत संबंधों के सभी सकारात्मक माहौल के बावजूद, ये असंभव लगता है कि नई दिल्ली वह रणनीतिक भागीदार बनना चाहता है जिसकी वाशिंगटन कल्पना करता है.
भारत की शक्ति को गंभीरता से लेने का समय आ गया
लेख में कहा गया कि वाशिंगटन को मध्य पूर्व में भारत के आर्थिक और सुरक्षा संबंधों के विस्तार के बारे में अपनी अपेक्षाओं पर संयम रखना चाहिए. इसमें कहा गया है कि इसकी संभावना नहीं है कि भारत अमेरिका के साथ खड़ा होगा, लेकिन ये भी संभावना नहीं है कि नई दिल्ली वाशिंगटन को कमजोर कर देगी जैसा कि बीजिंग और मॉस्को दोनों ने किया है. लेख में कहा गया है कि क्षेत्र में नई दिल्ली की शक्ति को गंभीरता से लेने का समय आ गया है.
(इनपुट पीटीआई से भी)
ये भी पढ़ें-
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)