दिल्ली-मुंबई में दुश्मनों को हवा में मारने की तैयारी, US से मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदेगा भारत
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, हाल ही में रक्षा मंत्रालय की डिफेंस एक्युजेशन काउंसिल यानि डीएसी की मीटिंग में वायुसेना के लिए जरूरी इस रक्षा प्रणाली की जरूरत को देखते हुए 'एसेप्टेंश ऑफ नैसेसिटी' (ACCEPTANCE OF NECESSITY) मंजूरी दे दी गई है.
नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली और मुंबई जैसे महानगरों को एयर सुरक्षा प्रदान करने के लिए रक्षा मंत्रालय अमेरिका से मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदने की तैयार कर रही है. अमेरिका के वाशिंगटन शहर पर भी यही मिसाइल प्रणाली तैनात है ताकि दुश्मन के किसी भी विमान, ड्रोन या फिर मिसाइल हमले को वक्त रहते हवा में नेस्तानबूत कर दिया जाए. रक्षा मंत्रालय की रक्षा खरीद परिषद ने वायुसेना को ये प्रणाली देने की मंजूरी दे दी है. अमेरिका में इस प्रणाली को नेशनल एडवांस सर्फेस टू एयर मिसाइल यानि एनएसैम के नाम से जाना जाता है.
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, हाल ही में रक्षा मंत्रालय की डिफेंस एक्युजेशन काउंसिल यानि डीएसी की मीटिंग में वायुसेना के लिए जरूरी इस रक्षा प्रणाली की जरूरत को देखते हुए 'एसेप्टेंश ऑफ नैसेसिटी' (ACCEPTANCE OF NECESSITY) मंजूरी दे दी गई है. डीएसी यानि रक्षा खरीद परिषद की अध्यक्ष रक्षा मंत्री हैं और तीनों सेनाओं के प्रमुख और रक्षा सचिव इसके सदस्य होते हैं. इस मिसाइल प्रणाली की कीमत करीब एक बिलियन डॉलर है.
माना जा रहा है कि 6 सितंबर को राजधानी दिल्ली में अमेरिका के रक्षा और विदेश सचिवों के साथ होने वाली 'टू प्लस टू मीटिंग' में इस मिसाइल प्रणाली को खरीदने पर भारत की रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री बातचीत कर सकती हैं. अगर भारत को ये एनएसैम मिसाइल प्रणाली मिलती है तो ये पहली बार होगा कि नॉटो से बाहर किसी देश को ये सिस्टम मिलेगा. अभी तक अमेरिका के अलावा स्पेन, हॉलैंड और नोर्वे जैसे देशों को ही मिसाइल सिस्टम दिया गया है.
जानकारी के मुताबिक, राजधानी दिल्ली की हवाई सुरक्षा बेहद जरूरी है. इसी के लिए इस प्रणाली को खरीदा जा रहा है. ताकि अमेरिका के 9-11 जैसा हमला रोका जा सके. एनएसैम मीडियम रेंज नेटवर्क सेंट्रिक डिफेंस सिस्टम है, जो किसी भी अवांछित विमान, ड्रोन या फिर मिसाइल को हवा में ही मार सकने में सक्षम है.
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अभी तक राजधानी दिल्ली की हवाई सुरक्षा लड़ाकू विमान और रशियन मिसाइल से की जाती है. अगर कोई विमान राजधानी दिल्ली और खासतौर से वीवीआईपी जोन में घुसने की कोशिश करेगा तो वायुसेना के लड़ाकू विमान चंद मिनटों में ही उसे मार गिरा सकते हैं. अगर ये विमान या फिर मिसाइल लड़ाकू विमान की रेंज से बाहर निकल जाते हैं तो वायुसेना की मिसाइलें इन्हें अपना निशाना बना सकती हैं. लेकिन ये काफी पुरानी पड़ चुकी हैं और बदलते वक्त के साथ वायुसेना को स्टेट ऑफ द आर्ट मिसाइल सिस्टम की जरूरत थी जो अमेरिका की एनएसैम पूरा कर सकती है.
आपको यहां पर ये भी बता दें कि रशिया से मिलने वाली एस-400 मिसाइल प्रणाली खरीदने पर बातचीत आखिरी दौर में हैं. लेकिन ये मिसाइल सिस्टम लंबी दूरी के लिए हैं यानि 400 किलोमीटर दूर ही दुश्मन के लड़ाकू विमान या फिर मिसाइल को हवा में ही ढेर कर देने के लिए.
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