ट्रंप ने चलाया मध्यस्थता प्रस्ताव का तीर, मगर निशाने पर भारत से अधिक चीन
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट कर कहा है कि अमेरिका भारत और चीन के बीच जारी विवाद को हल करने के लिए मध्यस्थता के लिए तैयार है.
नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार भारत के सीमा विवाद पर मध्यस्थता पेशकश की गुगली फेंक सबको चौंका दिया. ट्रंप ने ट्वीट कर कहा कि भारत और चीन के बीच जारी सीमा विवाद के बीच अमेरिका ने दोनों देशों को मध्यस्थता का प्रस्ताव दिया है. हालांकि राष्ट्रपति ट्रंप के इस बयान पर अभी तक न तो भारत की तरफ से कोई प्रतिक्रिया आई है और न ही चीन की तरफ से कुछ कहा गया.
राष्ट्रपति ट्रंप के ट्वीट के मुताबिक अमेरिका ने भारत और चीन को अपने इस प्रस्ताव के बारे में बता दिया है. हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह साफ नहीं किया कि उन्होंने या अमेरिका सरकार ने इस बाबत प्रस्ताव भारत और चीन को कब व कैसे दिया? बहरहाल, सीमा पर आमने सामने खड़े होने के बावजूद भारत और चीन दोनों के ही इस प्रस्ताव को सहज स्वीकार करने की उम्मीद नहीं है.
We have informed both India and China that the United States is ready, willing and able to mediate or arbitrate their now raging border dispute. Thank you!
— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) May 27, 2020
रणनीतिक मामलों के जानकार प्रो. हर्ष पंत कहते हैं कि राष्ट्रपति ट्रंप के प्रस्ताव को दोनों पक्षों की तरफ से स्वीकार कि जाने की संभावना नजर नहीं आती. मगर यह भी साफ है कि इस तीर में भारत की बजाए ट्रंप के निशाने पर चीन है. यह दुनिया के मंच पर दिखाने का कोशिश भी है कि एक विश्व शक्ति बनने की चाह रखने वाला चीन अपनी सीमाओं पर विवादों को भी नहीं संभाल पा रहा है. अधिकतर देशों के साथ उसके विवाद चल रहे हैं. अमेरिका बीते कुछ समय से हांगकॉन्ग के हालात, ताइवान के तनाव और अब भारत के साथ चीन के सीमा विवाद को लेकर चीन के प्रेशर पाइंट पर दबाव बना रहा है.
हालांकि यह पहला मौका नहीं है कि राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत के सीमा विवाद पर सीधे मध्यस्थता का प्रस्ताव दिया हो. इससे पहले राष्ट्रपति ट्रंप ने जुलाई 2019 में पाकिस्तान और भारत के बीच कश्मीर मामले पर मध्यस्थ की भूमिका निभाने की पेशकश कर चुके थे. हालांकि अगस्त 2019 में फ्रांस के बियारिट्ज में हुई जी7 शिखर बैठक के हाशिए पर मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति ट्रंप के प्रस्ताव को यह कहते हुए ठुकरा दिया था कि भारत ऐसे मामलों के लिए उन्हें कष्ट नहीं देना चाहता.
बहरहाल इससे बेपरवाह ट्रंप अपना मध्यस्थता प्रस्ताव दोहराते रहे. सितंबर 2019 में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के साथ मुलाकात में भी उन्होंने यह बात कही. वहीं 25 फरवरी 2020 को अपनी भारत यात्रा के दौरान भी इस बात को दोहराया. यह बात और है कि अमेरिकी राष्ट्रपति का यह मध्यस्थता प्रस्ताव बयानों और ट्वीट से आगे नहीं बढ़ पाया.
रोचक बात है कि राष्ट्रपति ट्रंप आज भले ही भारत और चीन के बीच मध्यस्थता की बात कर चुके हैं. लेकिन उन्हें इस मामले की पेचीदगियों की कितनी जानकारी है इसकी बानगी जनवरी 2020 में वाशिंगटन पोस्ट के पत्रकार फिलिप रकर और कैरोल लियोनिंग की किताब में नजर आती है. ए वेरी स्टेबल जीनियस- डोनाल्ड ट्रंप्स टेस्टिंग ऑफ अमेरिका नामक किताब में राष्ट्रपति ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी की एक मुलाकात का जिक्र करते हुए लिखा गया कि बैठक के दौरान ट्रंप ने
बिजनेस मैन से राजनेता बने ट्रंप 2017 में दक्षिण चीन सागर के विवाद में भी मध्यस्थ की भूमिका निभाने की पेशकश कर चुके हैं. इसके अलावा तुर्की और कुर्दों के बीच भी समझौता कराने का प्रस्ताव दे चुके हैं. हलांकि यह बात और है कि राष्ट्रपति ट्रंप के प्रस्ताव को किसी पक्ष ने अभी तक स्वीकार नहीं किया है.
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