State Dinner In June: दुनिया का सबसे बड़ा सुपर पावर अमेरिका एक बार फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वागत के लिए तैयारियां करने में जुट गया है. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन इस साल जून में स्टेट डिनर के लिए पीएम नरेंद्र मोदी को बुलावा भेजना चाहते हैं. बताया जा रहा है कि इसके लिए व्हाइट हाउस में योजना को अंतिम रूप दिया जा रहा है. रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि स्टेट डिनर के समय में कुछ बदलाव भी हो सकता है. 


हालांकि, राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता की ओर से इस बारे में कोई आधिकारिक बयान देने से इनकार कर दिया गया है. मुक्त हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए प्रशासन की नीतियों और पहलों को बढ़ावा देने के लिए के साथ क्षेत्र में चीन को बढ़ते खतरे के तौर पर देखने के लिए स्टेट डिनर के इस कार्यक्रम को अमेरिका-भारत के बीच मजबूत हो रहे संबंधों के प्रदर्शन के रूप में भी देखा जा सकता है.


जी20 आयोजन में भी दिखेगी भारत की ताकत


इसी साल सितंबर में भारत की ओर से नई दिल्ली में जी20 समिट का आयोजन किया जाना है. इस कार्यक्रम में चर्चा का अहम मुद्दा यूक्रेन पर रूस का हमला होगा. यह अब तक साफ नहीं हो पाया है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस बैठक में हिस्सा लेंगे या नहीं. वहीं, जो बाइडेन मई में होने वाली क्वॉड समिट के दौरान भी पीएम नरेंद्र मोदी से मिलने के लिए काफी उत्सुक हैं. यह बैठक ऑस्ट्रेलिया में होनी है, जहां ऑस्ट्रेलिया और जापान के समकक्ष नेताओं के बीच बातचीत होगी.


डिनर पार्टी में शामिल हो चुके हैं मैक्रों और सुक-योल


पीएम मोदी के साथ अमेरिकी राष्ट्रपति की डिनर पार्टी तीसरा आधिकारिक दौरा और स्टेट डिनर होगा. इससे पहले बीते साल दिसंबर में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और अप्रैल में साउथ कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक-योल के साथ स्टेट डिनर का कार्यक्रम हुआ था. बीते महीने अमेरिका और भारत ने क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज पर एक पहल की. जिसमें प्रस्ताव रखा गया कि जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी के एयरक्राफ्ट इंजन के साथ उन्नत रक्षा और कंप्यूटर तकनीक के आदान-प्रदान होगा.


यूक्रेन पर रूस के हमले को लेकर व्लादिमीर पुतिन पर भारत उतना मुखर नहीं रहा है, जितना अमेरिका और उसके सहयोगी देश चाहते हैं. माना जा रहा है कि मिलिट्री हार्डवेयर के लिए मॉस्को पर नई दिल्ली की ऐतिहासिक निर्भरता और चीन की बढ़ती मुखरता को कम करने के साथ भारत मे रूस के प्रभाव का मुकाबला करने के लिए इन जरूरी तकनीकों की साझेदारी एक अहम भूमिका निभा सकती है. अमेरिका के दोनों राजनीतिक दलों के नेताओं की मांग है कि पीएम मोदी के साथ संबंध मजबूत किए जाएं.


ये भी पढ़ें:


'जमीन पाने के लिए नहीं कर सकते अपनी शक्तियों का इस्तेमाल', CJI चंद्रचूड़ ने क्यों कही ये बात, जानिए पूरा मामला