G20 Summit: अगले महीने भारत दौरे पर आएंगे अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, क्या है एजेंडा?
G20 Meet: अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन अगले महीने में दिल्ली में आयोजित होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन में आईएमएफ और विश्व बैंक की ऋण शक्ति बढ़ाने वाले प्रस्ताव पेश कर सकते हैं.
Joe Biden India Visit: दिल्ली में अगले महीने होने वाली जी-20 शिखर सम्मेलन की बैठक में शामिल होने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन भारत आने वाले हैं. इस दौरान वह क्या कुछ एजेंडा लेकर आएंगे, इसका अंदाजा व्हाइट हाउस के बयान से लगता है. जी-20 शिखर सम्मेलन की बैठक नई दिल्ली में 9-10 सितंबर को होगी.
न्यूज एजेंसी एएफपी के मुताबिक, व्हाइट हाउस ने मंगलवार (22 अगस्त) को कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन अगले महीने दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और विश्व बैंक में सुधारों का आग्रह करेंगे जो विकासशील देशों की जरूरतों को बेहतर ढंग से पूरा करेंगे.
व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ये बोले
व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने कहा कि दोनों (आईएमएफ और विश्व बैंक) को विकास सहायता और वित्तपोषण के लिए बेहतर विकल्प पेश करने की जरूरत है. उन्होंने बीजिंग के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव से इसकी तुलना की और इसे चीन का जबरन और अस्थिर उधार करार दिया.
सुलिवन ने पत्रकारों से कहा, ''हमने जोर से और स्पष्ट रूप से सुना है कि देश चाहते हैं कि हम उनके सामने आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए अपना समर्थन बढ़ाएं.'' उन्होंने कहा कि जी-20 में बाइडेन वास्तव में अपना बहुत सारा ध्यान विश्व बैंक और आईएमएफ समेत बहुपक्षीय विकास बैंकों के आधुनिकीकरण पर केंद्रित करेंगे.
उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि विकास बैंक विकासशील देशों के सामने आने वाली चुनौतियों के लिए उच्च मानक और फायदे वाले उच्च समाधान प्रदान करें.
चीन को लेकर क्या कुछ बोले जेक सुलिवन?
जेक सुलिवन ने दोनों संस्थानों को बीजिंग के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के विपरीत अत्यधिक प्रभावी और पारदर्शी बताया. बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव वैश्विक विकास में चीन के वजन को बढ़ाने के लिए एक दशक पुराना कार्यक्रम है जिसमें गरीब देशों के लिए बड़े बुनियादी ढांचे और औद्योगिक ऋण शामिल हैं.
उन्होंने कहा, ''चीन जो पेशकश कर रहा है वो बेहद अपारदर्शी या विकास वित्त की जबरन पद्धति है, इसके बजाय मैं सुझाव दे रहा हूं कि आईएमएफ और विश्व बैंक सकारात्मक विकल्प हैं.''
उन्होंने कहा कि अमेरिका दिल्ली में ऐसे प्रस्तावों को आगे बढ़ाएगा जिससे विश्व बैंक और आईएमएफ की ऋण देने की शक्ति करीब 200 अरब डॉलर बढ़ जाएगी, लेकिन सुलिवन ने इस बात पर जोर दिया कि, जी20 के सदस्य और आईएमएफ और विश्व बैंक में एक प्रमुख भागीदार के रूप में चीन दोनों संस्थानों के आधुनिकीकरण के लिए केंद्रीय है, इसलिए विश्व बैंक और आईएमएफ को अमेरिका का समर्थन चीन के खिलाफ नहीं है.