नई दिल्ली: बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद भारत के खिलाफ एफ16 फाइटर जेट इस्तेमाल करने को लेकर अमेरिका ने पाकिस्तान की जमकर झाड़ लगाई थी. अमेरिकी विदेश विभाग के एक अधिकारी ने पाकिस्तानी वायुसेना प्रमुख को पत्र लिखकर एफ16 विमानों को भारत की सीमा से सटे फॉरवर्ड बेस पर उनकी तैनाती पर भी ऐतराज जताया था.
अमेरिकी वेबसाइट, 'यूएस न्यूज' ने खुलासा करते हुए दावा किया है कि जिस 'सोर्स' ने ये जानकारी साझा की है उसने अमेरिकी विदेश विभाग के उस अधिकारी का अगस्त महीने का ये पत्र देखा है. आपको बता दें कि एफ16 विमान पाकिस्तान ने अमेरिका से खरीदें हैं और माना जाता है कि बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद पाकिस्तानी वायुसेना ने भारत के अहम सैन्य ठिकानों पर इन्ही अमेरिकी फाइटर जेट्स से हमला किया था. हमले के बाद भारत ने दावा किया था कि डॉगफाइट के दौरान पाकिस्तान ने अमेरिकी एफ16 विमानों का इस्तेमाल कर एम्राम मिसाइल भी दागी थीं, लेकिन उन्हें भारतीय वायुसेना के सुखोई विमानों ने हवा में ही मार गिराया था. जिसके चलते भारत को कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ था. भारत ने बाकयदा प्रेस कांफ्रेंस कर एम्राम मिसाइलों के टुकड़ों को मीडिया के सामने पेश किया था. भारत ने ये भी दावा किया था कि इस डॉगफाइट में एक पाकिस्तानी एफ16 को भी मार गिराया था, लेकिन पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ एफ16 विमानों के इस्तेमाल से इनकार किया था.
पाकिस्तानी वायुसेना के पास करीब 76 एफ16 विमान हैं. पाकिस्तान ने पहला एफ16 विमान अमेरिकी से वर्ष 1982 में खरीदा था. वर्ष 2006 से 2008 में भी पाकिस्तान और अमेरिका ने आधुनिक एफ16 लड़ाकू विमानों को खरीदना का सौदा किया था, लेकिन इस सौदे में साफ था कि पाकिस्तान इन फाइटर जेट्स का इस्तेमाल आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन्स में करेगा, किसी दूसरे देश के खिलाफ नहीं. साथ ही इन फाइटर जेट्स को पाकिस्तान अपने दो एयर बेस, मुसाफ और शाहबाज पर ही तैनात कर सकता है. बताया जाता है कि पाकिस्तान ने जोर्डन से भी कुछ पुराने एफ16 विमान खरीदे थे. अमेरिकी विदेश विभाग की चिठ्ठी में इस बात पर भी ऐतराज जताया गया कि पाकिस्तान ने सौदे की शर्तों को दरकिनार करते हुए इन लड़ाकू विमानों को फ्रंट लाइन एयरबेस पर तैनात किया. चिठ्ठी में कहा गया कि इससे ये जेट और मिसाइल 'गलत हाथों में' पड़ सकती हैं, लेकिन इस चिठ्ठी में कहीं भी ना तो बालाकोट एयर स्ट्राइक का जिक्र है और ना ही किसी एफ16 के मार गिराए जाना का. आपको बता दें कि 27 फरवरी की इस डॉगफाइट के तुरंत बाद जब अमेरिकी विदेश विभाग (मंत्रालय) से सवाल किया गया तो अमेरिकी प्रवक्ता ने ये कहकर टाल दिया था कि ये दो देशों (यूएस-पाकिस्तान) का द्विपक्षीय मामला है और रक्षा मामलों से जुड़े मुद्दों पर टिप्पणी नहीं की जाती.
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