अमेरिका के स्टील्थ न्यूक्लियर एयरक्राफ्ट ‘बी-2 बॉम्बर’ भारत-चीन सीमा पर कर सकते हैं युद्धाभ्यास
युद्धाभ्यास को लेकर अमेरिकी मैग्जी़न ने दावा किया है कि, बी-2 बॉम्बर का चीन के एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम से मुकाबला होगा. वहीं भारतीय वायुसेना ने इस युद्धभ्यास पर अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की है.
एलएसी पर चल रही तनातनी के बीच खबर है कि अमेरिका के स्टील्थ न्यूकिलर एयरक्राफ्ट, ‘बी-2 बॉम्बर’ भारत-चीन सीमा पर युद्धभ्यास कर सकते हैं. अमेरिका के एक मैगज़ीन ने इस बात का दावा किया है कि चीन की एयर-डिफेंस सिस्टम को परखने के लिए चीन के स्टील्थ एयरक्राफ्ट भारत-चीन सीमा पर आने वाले दिनों में युद्धभ्यास कर सकते हैं. हालांकि, भारतीय वायुसेना की तरफ से इस पर कोई बयान अभी तक नहीं आया है.
अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों से जुड़ी अमेरिकी मैगज़ीन, ‘द नेशनल इंटरेस्ट’ ने दावा किया है कि अमेरिकी वायुसेना के बी-2 स्टील्थ बॉम्बर जल्द ही भारत-चीन सीमा के करीब फ्लाईंग-मिशन, कॉम्बेट ड्रिल और साझा युद्धभ्यास कर सकते हैं. हालांकि, ये साफ-साफ नहीं लिखा है कि क्या भारतीय वायुसेना के साथ मिलकर अमेरिकी वायुसेना इस युद्धभ्यास को अंजाम देगी, लेकिन लिखा गया है कि अमेरिका के ये 30 साल पुराने बॉम्बर चीन की एयर-डिफेंस को चकमा देने में कामयाब हो पाएंगे या नहीं ये बेहद दिलचस्प सवाल है.
आपको बता दें कि पिछले हफ्ते ही अमेरिकी वायुसेना ने अपने तीन (03) सबसे शक्तिशाली फाइटर जेट्स, बी- स्प्रिट बॉम्बर्स को हिंद महासागर स्थित यूएस बेस, डिएगो गार्सिया में तैनात किया था. करीब 29 घंटे की फ्लाईट पूरी करने के बाद ये लडाकू विमान अमेरिका के मिसोरी से डिएगो गार्सिया मिलिट्री बेस पहुंचे थे. डिएगो गार्सिया भारत के सबसे दक्षिणी छोर कन्याकुमारी से करीब डेढ़ हजार किलोमीटर की दूरी पर है. इसको लेकर खुद अमेरिका की इंडो-पैसेफिक कमांड और पैसेफिक एयरफोर्स ने जानकारी साझा की है.
काफी लंबे समय से डिएगो गार्सिया को अमेरिका के एक बेहद ही महत्वपूर्ण परमाणु सैन्य अड्डे के तौर पर जाना जाता है. लेकिन इन तीन बॉम्बर्स का हाल के दिनों में तैनात किया जाना सामरिक दृष्टि से बेहद अहमा माना जा रहा है. क्योंकि इनकी तैनाती हालिया भारत-चीन के टकराव से जोड़कर देखी जा रही है. माना जा रहा है कि चीन के खिलाफ भारत और दूसरे सहयोगी-देशों की मदद के लिए अमेरिका ने इन तीन स्प्रिट-बॉम्बर्स को हिंद महासागर में तैनात किया है.
नेशनल इंटरेस्ट की रिपोर्ट में कहा गया है कि भले ही अमेरिका के ये बी-2 बॉम्बर तीस (30) साल पुराने हैं लेकिन इनके सेंसर और प्रोसेसर्स को लगातार अपडेट किया जा रहा है. इनका सीधा मुकाबला चीन की एस-400 मिसाइल सिस्टम से है जिसे चीन ने रूस से लिया है. इन एस-400 मिसाइल सिस्टम के दम पर चीन ने दावा किया था कि दुनिया को कोई भी स्टील्थ एयरक्राफ्ट इसकी जद से नहीं बच सकता है. इसी को परखने के लिए अमेरिकी वायुसेना इन बॉम्बर्स को चीन सीमा के करीब फ्लाईंग मिशन पर भेजना चाहती है. क्योंकि बी-2 बॉम्बर को बेहद ही सटीक स्टील्थ एयरक्राफ्ट माना जाता है जो किसी रडार की पकड़ में नहीं आता है. हालिया विवाद के दौरान चीन ने एस-400 और एस-300 मिसाइल सिस्टम को भारत से सटी लाइन ऑफ एक्चुयल कंट्रोल यानि एलएसी पर तैनात किया था.
ये एक बी-2 बॉम्बर एक बार में ही 16 परमाणु बम ले जाने में सक्षम है और इसकी मारक क्षमता बेहद सटीक और घातक है. ये बॉम्बर परंपरागत-बम भी जे जाने में सक्षम है. डिएगो गार्सिया में अमेरिकी ने पहले भी इन बी-2 बॉम्बर्स को तैनात किया है और इनका इस्तेमाल ईराक, कोसोवो, लीबिया और अफगानिस्तान में ऑपरेशनली इस्तेमाल हो चुका है.
भारतीय वायुसेना की तरफ से कोई ऐसी जानकारी नहीं आई है कि अमेरिकी बी-2 बॉम्बर्स के साथ कोई फ्लाईंग या फिर एक्सरसाइज चीन सीमा के करीब होने जा रही है. हालांकि, भारत में परमाणु हथियारों से जुड़ी सैन्य-कमान, स्ट्रेटेजिक फोर्स कमान (एसएफसी) है जो सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय के अंतर्गत काम करती है और जिसके बारे में देश में कम ही चर्चा होती है.
पिछले तीन महीने से भारत का चीन के साथ पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर विवाद चल रहा है. कई दौर की सैन्य और राजनयिक स्तर की बाचतीच के बावजूद चीनी सेना विवाद इलाकों से पीछे हटने के लिए तैयार नहीं है. गुरूवार को भी दोनों देशों के डिप्लोमेट्स सीमा विवाद सुलझाने के लिए वीडियो कांफ्रेंसिंग करेंगे.
इस बीच बुधवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारतीय नौसेना के तीन दिवसीय कमांडर्स कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि जिस तरह नौसेना के युद्धपोत और फाइटर जेट्स किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तुरत तैनात हो जाते हैं वो काबिले-तारीफ है और उसके लिए नौसैनिकों को बधाई दी. उन्होनें नौसेना को अंजान-दुश्मन, कोविड-19 से लड़ने के लिए भी नौसेना की तारीफ की और कहा कि इन विषम परिस्थितियों में भी नौसेना ने आपरेशन समुद्र-सेतु के तहत विदेशों में फंसे करीब 4 हजार लोगों को सकुशल स्वदेश लाने पर भी बधाई दी.