यूक्रेन से युद्ध के बीच रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव भारत दौरे पर आ रहे हैं. उससे पहले अमेरिका ने भारत से कहा कि उसे रूस से तेल का आयात ज्यादा नहीं बढ़ाना चाहिए क्योंकि इसमें 'बड़ा जोखिम' है. हालांकि अमेरिका के वरिष्ठ अधिकारियों ने यह नहीं बताया कि इसमें क्या खतरा  है. रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेरिका रूस से तेल खरीदने पर प्रतिबंध लगाने की सोच रहा है. 


न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका को भारत के रूस से तेल खरीदने पर कोई आपत्ति नहीं है क्योंकि भारत पहले से खरीद रहा है. लेकिन वह चाहता है कि अचानक से आयात में ज्यादा उछाल न आए.


यूएस स्टेट डिपार्टमेंट के प्रवक्ता ने कहा, "हम भारत और दुनिया भर में अपने भागीदारों को मजबूत प्रतिबंधों सहित एक बेजोड़ सामूहिक कार्रवाई के महत्व पर जारी रखेंगे, ताकि क्रेमलिन पर यूक्रेन के खिलाफ अपने विनाशकारी युद्ध को जल्द से जल्द खत्म करने के लिए दबाव डाला जा सके. 


भारत रुपये-रूबल पेमेंट स्कीम के तरीके खोज रहा है ताकि मौजूदा प्रतिबंधों से पार पाया जा सके. यह अमेरिकी प्रशासन के लिए भी कोई चिंता नहीं है. एक सूत्र ने रॉयटर्स से कहा, 'वे जिसमें भी भुगतान कर रहे हैं, जो भी कर रहे हैं, वे प्रतिबंधों के मुताबिक होने चाहिए. अगर ऐसा नहीं होता है तो उनके लिए बड़ा जोखिम है. जब तक वे प्रतिबंधों का पालन करेंगे और आयात को ज्यादा नहीं बढ़ाएंगे, हमें कोई परेशानी नहीं है.'


ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया, जो भारत के क्वॉड पार्टनर्स भी हैं, कुछ हद तक रूस के साथ भारत के व्यापारिक संबंधों को नापसंद कर रहे हैं. अमेरिका की कॉमर्स सेक्रेटरी जीना रायमोंडो ने कहा, 'अब समय इतिहास के सही तरफ खड़े होने का है. अमेरिका और दर्जनों देशों के साथ खड़े होने का है. यूक्रेनी लोगों की स्वतंत्रता, गणतंत्र और संप्रभुता के लिए खड़े होने का है. राष्ट्रपति पुतिन के युद्ध को फंडिंग देने का नहीं.' ऑस्ट्रेलिया के ट्रेड मिनिस्टर डैन तेहान ने कहा कि लोकतांत्रिक देशों को हमेशा साथ काम करना चाहिए ताकि नियम आधारित काम किए जा सकें. 


फरवरी में रूस ने यूक्रेन पर हमला बोल दिया था, जिसके बाद कई देशों ने उसकी अर्थव्यवस्था को गिराने के लिए कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं. भारत दुनिया में तेल का तीसरा सबसे बड़ा अयातक है और उसने 24 फरवरी से अब तक रूस से 13 मिलियन बैरल तेल खरीदा है. जबकि साल 2021 में आयात 16 मिलियन बैरल था. 


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