नई दिल्ली: संशोधित यूएपीए कानून के तहत हाफिज सईद और दाऊद जैसे अपराधियों को आतंकवादी नामित किए जाने का अमेरिका ने समर्थन किया है. अमेरिकी विदेश विभाग में दक्षिण एशिया मामलों की प्रभारी एलिस वेल्स ने कहा, ''हम 4 कुख्यात आतंकियों को नामित करने के लिए भारत के नए कानूनी अधिकार प्रयोग का समर्थन भी करते हैं और उसकी प्रशंसा भी करते हैं. यह नया कानून भारत और अमेरिका को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के साझा प्रयासों और संयुक्त कार्रवाइयों में सहायक होगा.''


बता दें कि भारत ने हाल ही में UAPA कानून को संशोधित कर उसमें संगठनों के साथ-साथ व्यक्तियों को भी आतंकवादी घोषित करने का प्रावधान किया था. इस कड़ी में बुधवार को गृह मंत्रालय ने लश्कर सरगना, हाफिज सईद, जकीउर्रहमान लखवी, जैश ए मोहम्मद मुखिया मसूद अजहर और भारत से भाग कर पाकिस्तान में रह रहे अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम को आतंकी घोषित करने की अधिसूचना जारी कर दी.


कौन है मसूद अजहर ?


मोहम्मद मसूद अजहर अल्वी जिसे मसूद अजहर के नाम से जाना जाता है. इसका जन्म 10 जुलाई, 1968 को बहावलपुर में हुआ जो पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित है. इस आतंकी की राष्ट्रीयता पाकिस्तानी है. हालांकि इसके राष्ट्रीय पहचान पत्र संख्या के बारे में कोई जानकारी नहीं है. बता दें कि वह अपने माता-पिता का तीसरा बच्चा है. उसके 4 भाई और 6 बहनें हैं. अजहर के पिता अल्लाह बख्श शब्बीर एक सरकारी स्कूल में हेडमास्टर थे. 1999 IC-814 हाईजैक, 2001 जम्मू और कश्मीर विधानसभा पर हमला, 2001 संसद हमला, 2014-15 के दौरान कश्मीर में हमला, 2016 पठानकोट हमला, 2016 नगरोटा हमला, 2016 का उरी हमला और 2019 पुलवामा हमले में मसूद अजहर मुख्य साजिशकर्ता है.


नए और पुराने UAPA एक्ट में क्या अंतर है?


1- कौन हो सकता है आंतकी घोषित
अभी तक केवल किसी समूह को आंतकी घोषित किया जाता था जबकि नए कानून के मुताबिक आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्त होने की आशंका के आधार पर किसी अकेले व्यक्ति को भी आतंकी घोषित किया जा सकता है.


2- कैसे होगी संपत्ति जब्त
दूसरा बदलाव आतंकी घोषित होने के बाद संपत्ति जब्त करने को लेकर है. पहले के कानून के मुताबिक एक जांच अधिकारी को आंतकी से संबंधित संपत्ति को जब्त करने के लिए राज्य पुलिस के महानिदेशक का परमिशन लेने की आवश्यक्ता होती थी जबकि अब नए कानून में प्रावधान हैं कि आतंकवादी गतिविधि पर संपत्ति जब्त करने से पहले एनआईए को अपने महानिदेशक से मंजूरी लेनी होगी.


3-कौन कर सकता है जांच
पहले के कानून के मुताबिक उप पुलिस अधीक्षक या सहायक पुलिस आयुक्त या इससे ऊपर रैंक के अधिकारी ही मामले की जांच कर सकते हैं. जबकि नए कानून में प्रावधान है कि आतंकवाद के मामले में एनआईए का इंस्पेक्टर स्तर का अधिकारी भी जांच कर सकेगा. इसके अलावा आतंकी घोषित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद कानून के बिंदुओ को भी जोड़ा जाएगा.


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