Uttar Pradesh Assembly Election 2022: उत्तर प्रदेश के सियासी समर में पारा हाई है. एक चरण का मतदान हो चुका है और नेता दूसरे चरण के प्रचार-प्रसार में जुटे हैं. इन सबके बीच कांग्रेस की दिग्गज नेता प्रियंका गांधी वाड्रा abp के कार्यक्रम 'घोषणापत्र' में पहुंचीं. इस दौरान प्रियंका गांधी बेहद तीखे सवालों के जवाब मुस्कुराते हुए दिए. प्रियंका गांधी ने कहा कि यूपी की जनता ने सभी दलों को परखा है, यूपी की जनता ने सांप्रदायिकता और जातिगत राजनीति को देखा है. लोगों से मिलती हूं तो दिखता है कि उनके लिए रोजी-रोटी कमाना मुश्किल है. प्रियंका गांधी ने कहा कि महंगाई इतनी बढ़ चुकी है कि लोगों का जीवन ही मुश्किल हो गया है. राजनीति एक अलग ही ट्रैक पर चली गई है, जिसमें लोगों के मुद्दों की बात नहीं हो रही है. प्रियंका ने कहा कि राजनीतिक दल जाति और धर्म की बात कर रहे हैं. ऐसे में आपकी (जनता) बात कर रहा है.


प्रियंका गांधी ने कहा कि महिलाओं के लिए स्कूटी की घोषणा हमने पहले की थी, अब सब कर रहे हैं. उनका (बीजेपी) अतीत पर फोकस रहता है, वो भविष्य की बात ही नहीं करते हैं. प्रियंका गांधी ने कहा कि घोषणापत्र की कुछ प्रतिज्ञाओं के लिए समय दिया गया है. दिए गए समय पर ही उन्हें पूरा करेंगे. प्रियंका गांधी ने कहा कि महिलाओं और यूथ की बात करके मुझे जीत और हार नहीं चाहिए. इसके जरिए मैं प्रदेश को आगे ले जाना चाहती हूं. प्रियंका गांधी ने यूपी की जनता से कहा कि आपके सामने ढेर सारी समस्याएं हैं, लेकिन आपकी समस्याएं हल नहीं कर रहे हैं. वो आपको आपके पैरों पर खड़े होने का मौका नहीं दे रहे हैं. हम जो कह रहे हैं, उसका हमने खाका तैयार किया है. हम जो कह रहे हैं, उसकी हमने पूरी तैयारी कर ली है, इसलिए आप हमपर भरोसा कर सकते हैं. 


आपने अखिलेश के खिलाफ मोर्चा खोला था


आपने अखिलेश के खिलाफ मोर्चा खोला था कि जमीन पर सिर्फ कांग्रेस ही दिखती है और कोई नहीं? मैेंने सच बोला, मैंने उनकी बुराई नहीं की और न ही उनके खिलाफ मोर्चा खोला. चुनाव के बाद स्थिति के आधार पर फैसला करेंगे. आप क्या बुर्के और हिजाब की राजनीति को तोड़ पाएंगी? इस सवाल के जवाब में प्रियंका गांधी ने कहा कि इस तरह की राजनीति को तोड़ना पड़ेगा. क्या महिलाओं को अधिकार नहीं है कि वो राजनीति में आगे आएं और आगे बढ़ें. प्रियंका गांधी ने कहा कि आज महिलाओं पर अत्याचार हो रहा है. इस वजह से महिलाओं को राजनीति में आना चाहिए. महिलाएं अगर राजनीति में होंगी तो उनपर अत्याचार नहीं होगा. 


किसको आगे बढ़ाने के लिए लड़ रही हैं?


आप सत्ता या संगठन किसको आगे बढ़ाने के लिए लड़ रही हैं? प्रियंका गांधी ने कहा कि हमारी पार्टी ने संघर्ष किया है. हमारी पार्टी संगठन के बिना संघर्ष नहीं कर सकती है. प्रियंका गांधी ने कहा कि मेरा मकसद सिर्फ यूपी की राजनीति बदलना है. ये राज्य देश में नंबर वन क्यों नहीं बन सकता. हम जीत के लिए चुनाव लड़ रहे हैं. आप पर दिल्ली से राजनीति करने का आरोप लगता है? इस सवाल के जवाब में प्रियंका गांधी ने कहा कि जिनके पास राजनीति में कहने को कुछ नहीं होता वो निजी हमले करने लगते हैं.


लॉ एन्ड ऑर्डर और एनकाउंटर राज में फर्क


ओवैसी पर हमले के बाद विपक्ष एकजुट क्यों नहीं हुआ, क्या कोई डर है? इस सवाल के जवाब में प्रियंका गांधी ने कहा कि मैं बिल्कुल नहीं डरती है. लॉ एन्ड ऑर्डर और एनकाउंटर राज में बहुत फर्क है. महिलाओं पर अत्याचार क्यों हो रहा है अगर लॉ एन्ड ऑर्डर कायम है तो. लोगों को पीटने और हिरासत में मारने को आप लॉ एन्ड ऑर्डर कहते हैं. मुझे तो नहीं लगता कि ये लॉ एन्ड ऑर्डर है. 


यहां डिक्टेटरशिप चल रही है


आप बार-बार अलीगढ़, हाथरस का जिक्र करती हैं, क्या इसे चुनावी मुद्दा बना पाएंगी? उनके नजरिए से लॉ एन्ड ऑर्डर अलग है हमारा नजरिया अलग है. यहां डिक्टेटरशिप चल रही है, यहां प्रशासन सही होता तो लोगों के लिए सुविधाएं होती हैं. यहां रूल ऑफ लॉ, मनमानी से बन रहा है. आपके (BJP) मंत्री के बेटे ने छह किसानों को कुचल दिया उसके बाद भी मंत्री आपके साथ मंच पर हैं, फिर कैसा लॉ एन्ड ऑर्डर है.


टुकड़े-टुकड़े गैंग पर प्रियंका का जवाब


टुकड़े-टुकड़े गैंग को लेकर किए गए सवाल पर प्रियंका गांधी ने कहा कि जो लोग आरोप लगा रहे हैं, उनको जवाब देना चाहिए. आप बार-बार सत्तर साल की बात कर रहे हैं, आप  सात साल की बात कीजिए. आपने कितने एम्स बनाए बताइए. 40 फीसदी महिलाओं को टिकट क्या कांग्रेस की मजबूरी? हर विधानसभा में 4 से 5 मजबूत नेता हैं, जो लड़ रही हैं. यूपी में प्रियंका किससे लड़ रही हैं? गरीबी, बेरोजगारी और अत्याचार से लड़ रहे हैं. वो बहुत पहले से आए हैं, इसलिए उनकी सोच नकारात्मक हो गई है, इस वक्त की सियासत सौदेबाजी हो गई है. 


लड़की हूं लड़ सकती हूं


लड़की हूं लड़ सकती हूं का कांसेप्ट कहां से आया? ये स्लोगन दो साल पहले बनाया था. फिर हमलोग बिजी हो गए. इसके पीछे की सोच उन्नाव रेप पीड़िता के परिवार के संघर्ष से मिली. मैं जब उसके घर गई थी, तब से ये सोच मेरे साथ आई. ऐसा कोई अत्याचार नहीं है, जो उस परिवार के साथ नहीं हुआ. उसके पिताजी को खेत को जला डाला, उस लड़की की भाभी लड़ रही थी, वही कह रही थी कि मुझे न्याय चाहिए. उनके पिताजी ने कुछ नहीं कहा बस फूट-फूटकर रोने लगे. पिताजी ने कुछ देर बाद कहा कि मेरी बेटी अकेली लड़ रही थी? उसका केस उन्नाव नहीं रायबरलेली में दर्ज हुआ था. वो रोज पापा से कहती थी कि पापा मैं खुद लड़ सकती हूं. वहां से ये कॉन्सेप्ट आया.


समय आने पर लड़ूंगी चुनाव


प्रियंका गांधी ने कहा कि समय आने पर चुनाव लड़ूंगी, अभी मेरे पास चुनाव लड़ने का समय नहीं है. आप राजनीतिक सलाह किससे लेती हैं, राहुल से या सोनिया गांधी से? मैं दोनों से सलाह लेती हूं. दिल्ली में कांग्रेस सत्ता में कब वापसी करेगी? मैं ज्योतिषी तो नहीं हूं, लेकिन मैं ये कह सकती हूं, कि कांग्रेस की देश को जरूरत है. हमारे पास सरकार चलाने का अनुभव है. हमने गरीबी रेखा से बहुत सारे लोगों को ऊपर उठाया है. 


क्या चुनाव आने पर ही मंदिर जाती हैं?


चुनाव आते ही राहुल और प्रियंका गांधी ने मंदिर जाते हैं? नहीं चुनाव आते ही मीडिया पीछे-पीछे आ जाता है. वैसे तो हम पूजा करते ही हैं, मंदिर जाते ही हैं. मैं पीएम और योगी का भी सम्मान करती हूं. वो भी सामने आएंगे तो बिल्कुल उसी तरह से सम्मान दूंगी, जिस तरह से अखिलेश और जयंत चौधरी से सामना होने पर किया था. हमारी बस विचारधाराएं अलग हैं. वो हमारे देश के प्रधानमंत्री हैं तो बिल्कुल सम्मान करूंगी. वो हमारा आदर करेंगे या नहीं, ये नहीं कह सकती. कांग्रेस के नेता क्यों छोड़ रहे हैं? पता नहीं वो कैसे विचारधारा बदल लेते हैं. 5 राज्यों में कितनों पर जीत की उम्मीद? इस पर प्रियंका गांधी ने कहा कि आशा और उम्मीद तो है कि पांचों राज्यों में आए.


2019 से सक्रिय राजनीति में हैं प्रियंका


प्रियंका गांधी वाड्रा कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव और यूपी प्रभारी हैं. यूपी की जंग में प्रियंका ने मोर्चा संभाला हुआ है. यूपी में उनके लिए चुनौती कांग्रेस के जनाधार की वापसी का है. राजनीति प्रियंका ने बचपन से देखी है, लेकिन सक्रिय तौर पर वो 2019 से राजनीति में आई हैं. प्रियंका ने उन्नाव, हाथरस और लखीमपुर हर जगह सरकार के खिलाफ मोर्चा खेला हुआ. लड़की हूं लड़ सकती हूं का नारा देकर उन्होंने यूपी में 40 फीसदी महिलाओं को टिकट दिए. 


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