UP Assistant Teacher Recruitment Reservation Scam: कांग्रेस के सीनियर नेता और कांग्रेस मीडिया एंड पब्लिसिटी डिपार्टमेंट के हेड पवन खेड़ा ने यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार पर जोरदार हमला बोला है. पवन खेड़ा ने शनिवार (17 अगस्त 2024) को यूपी में टीचर भर्ती  में आरक्षण घोटाले का मुद्दा उठाते हुए योगी सरकार पर तंज भी कसा.


सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पवन खेड़ा ने लिखा, उत्तरप्रदेश में 69000 शिक्षकों की भर्ती में आरक्षण घोटाले का पर्दाफाश हो गया है. कांग्रेस पार्टी का सदैव यह मत रहा है कि आरक्षण संविधान प्रदत्त अधिकार है, इसे किसी भी कीमत पर छीनने नहीं दिया जाएगा. ‘नॉट फाउंड सूटेबल’ के नाम पर आरक्षण छीनने की साजिश, आरक्षण छीनने के लिए ही सरकारी संस्थाओं का निजीकरण और लेटरल एंट्री से भर्तियां एक सोची समझी साज़िश का हिस्सा हैं.”






पवन खेड़ा ने क्यों उठाया ये मुद्दा


दरअसल, उत्तर प्रदेश में 69 हजार प्राइमरी टीचरों की भर्ती के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट की डबल बेंच ने सोमवार (12 अगस्त 2024) को अहम फैसला सुनाते हुए पूरी मेरिट लिस्ट को ही रद्द कर दिया था. हाई कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया है कि तीन महीने के अंदर नई मेरिट लिस्ट बनाई जाए, जिसमें बेसिक शिक्षा नियमावली और आरक्षण नियमावली का पालन हो. मालूम हो कि अभ्यर्थियों ने पूरी भर्ती पर सवाल उठाते हुए 19 हजार पदों पर आरक्षण घोटाला का आरोप लगाया था.


ऐसे हुआ पूरा खेल?


अखिलेश यादव जब यूपी के सीएम थे तब उन्होंने प्रदेश में 1.72 लाख शिक्षामित्र को सहायक शिक्षक के रूप में समायोजित किया था. हालांकि उनके इस फैसले को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया था. हाई कोर्ट ने नए सिरे से सहायक शिक्षकों की भर्ती का आदेश दिया था. इसके बाद यूपी सरकार ने सबसे पहले 68,500 सहायक शिक्षकों की भर्ती की. यह भर्ती भी सवालों के घेरे में आई और सीबीआई ने मामले की जांच भी की.


68500 के बाद 69000 टीचरों की हुई भर्ती 


68500 सहायक शिक्षकों की भर्ती के बाद यूपी सरकार ने दिसंबर 2018 में 69,000 सहायक शिक्षकों की भर्ती निकाली. इसके लिए जनवरी 2019 में परीक्षा हुई. इस भर्ती में 4 लाख 10 हजार अभ्यर्थी शामिल हुए और 1 लाख 40 हजार सफल हुए. इसके बाद यूपी सरकार ने फाइनल मेरिट लिस्ट निकाली, जिसके बाद हंगामा खड़ा हो गया. इसमें हजारों अभ्यर्थी ऐसे थे, जिन्हें पूरी उम्मीद थी कि नाम आएगा, लेकिन उनका नाम नहीं आया. ऐसे लोगों ने अपने स्तर पर पड़ताल शुरू की. कई सबूत जुटाने के बाद इन अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया कि 19 हजार पदों पर आरक्षण घोटाला हुआ है. उनका आरोप था कि ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी की जगह सिर्फ 3.86 फीसदी आरक्षण मिला, जबकि अनुसूचित जाति (एससी) वर्ग को 21 फीसदी की जगह 16.2 फीसदी आरक्षण मिला.


यूपी सरकार ने कभी नहीं मानी गलती


इस मामले में यूपी सरकार लगातार कहती रही कि 70 फीसदी अभ्यर्थियों का चयन आरक्षण वर्ग से हुआ है, जबकि छात्र अपने आरोपों पर कायम रहे. सरकार की तरफ से गलती न मानने पर ये लोग हाई कोर्ट पहुंचे. हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने भी माना कि भर्ती में आरक्षण घोटाला हुआ है और सरकार को आदेश दिया कि फिर से पूरी मेरिट जारी करें. राज्य सरकार ने हाई कोर्ट के आदेश को ठंडे बस्ते में डाल दिया. फिर 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले सरकार ने माना कि इस भर्ती में 6800 पदों पर आरक्षण घोटाला हुआ है और इनका मेरिट फिर से जारी किया जाएगा, लेकिन अभ्यर्थी इससे सहमत नहीं थे. उनका कहना था कि घोटाला 6800 पदों पर नहीं, बल्कि 19 हजार पदों पर हुआ है. ऐसे में वह फिर हाई कोर्ट पहुंचे. हाई कोर्ट ने 6800 पदों की मेरिट पर रोक लगा दी. इसके साथ ही अभ्यर्थियों ने हाई कोर्ट की डबल बेंच में अपील दायर कर दी. हाई कोर्ट ने 19 मार्च 2024 को अपना फैसला रिजर्व कर लिया था, जिसे 12 अगस्त 2024 को जारी किया गया.


ये भी पढ़ें


Mumbai Terror Attacks : मुंबई आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर राणा को झटका, भारत प्रत्यर्पित किया जाएगा, कोर्ट ने दिया आदेश