Mann Ki Baat: मन की बात के जरिए मुस्लिमों के बीच पैठ बनाएगी BJP, मदरसों और दरगाहों में किया जाएगा प्रसारण
Uttar Pradesh: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2022 में दिए गए 12 मन की बात भाषणों का उर्दू अनुवाद भी मौलानाओं और मुस्लिम धार्मिक विद्वानों को वितरित किया जाएगा.
Mann Ki Baat In Madrasa: मुस्लिमों को रिझाने के लिए बीजेपी (BJP) उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में खास तैयारी कर रही है. यूपी बीजेपी इकाई के अल्पसंख्यक मोर्चा ने मदरसों और दरगाहों (Dargah) सहित राज्य में मुस्लिम समुदाय से जुड़े 100 से अधिक स्थानों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) के 100वें मन की बात (Mann Ki Baat) का व्यापक प्रसारण आयोजित करने की योजना बनाई है. अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष कुंवर बासित अली ने शनिवार (8 अप्रैल) को इस बारे में जानकारी दी. मन की बात का 100वां एपिसोड 30 अप्रैल को प्रसारित होगा.
कुंवर बासित अली ने द हिंदू को बताया कि हम 100वें मन की बात को एक ऐतिहासिक कार्यक्रम बनाने की योजना बना रहे हैं. हम 50-60 मदरसों, 30-35 दरगाहों और मजलिस सहित मुस्लिम समुदाय से संबंधित 100 स्थानों को आयोजन की योजना बना रहे हैं. जहां समुदाय के लोग इकट्ठा होकर पीएम की बात सुन सकते हैं. अली ने कहा कि मन की बात का उर्दू संस्करण- मूल रूप से जनवरी और दिसंबर 2022 के बीच प्रसारित पीएम के 12 मासिक प्रसारणों का संकलन- मौलानाओं और धार्मिक विद्वानों के लिए भी उपलब्ध कराया जाएगा.
मुस्लिम आबादी तक पहुंच रही बीजेपी
उन्होंने कहा कि हम ये सुनिश्चित करना चाहते हैं कि राष्ट्र के लिए प्रधानमंत्री का दृष्टिकोण सभी तक पहुंचे. 100वीं कड़ी से पहले, मन की बात का उर्दू अनुवाद और एक पुस्तिका लखनऊ में एक भव्य कार्यक्रम में औपचारिक रूप से लॉन्च की जाएगी और 30 अप्रैल को इन 100 स्थानों पर मुस्लिम समुदाय के बीच वितरित की जाएगी. अल्पसंख्यक मोर्चा की बैठकों के माध्यम से बीजेपी लगातार मुस्लिम आबादी के एक वर्ग तक पहुंच रही है, जो ज्यादातर पसमांदा मुसलमानों पर केंद्रित है, जो दलित और अन्य पिछड़े वर्ग समुदायों से ताल्लुख रखते हैं.
यूपी में कितनी सीटों पर है मुस्लिमों का असर
कुछ दिन पहले ही बीजेपी ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के पूर्व कुलपति तारिक मंसूर को उत्तर प्रदेश विधान परिषद के लिए मनोनीत किया है. बता दें कि, मुस्लिम राज्य के मतदाताओं का लगभग 19% हिस्सा हैं और कम से कम 30 लोकसभा सीटों पर उनकी अच्छी उपस्थिति है. जिनमें से वे 15 से 20 निर्वाचन क्षेत्रों में परिणाम तय करने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं.
ये भी पढे़ं-