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यूपी में बढ़ा निवेश, करोड़ों लोग गरीबी रेखा से बाहर, कोरोना में भी नहीं हिली अर्थव्यवस्था... योगी सरकार ने पेश की आर्थिक रिपोर्ट
Yogi Adityanath: योगी सरकार द्वारा गरीबी उन्मूलन और विभिन्न योजनाओं के माध्यम से गरीबों की आय बढ़ाकर उन्हें गरीबी रेखा से बाहर निकालने के लिए किए जा रहे प्रयासों के सुखद परिणाम सामने आए हैं.
UP Economy: उत्तर प्रदेश को ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था का राज्य बनाने को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कोशिशें रंग लाने लगी हैं. बात निजी निवेश आकर्षित करने की हो, या अंत्योदय के संकल्प के साथ करोड़ों लोगों को गरीबी रेखा से बाहर लाकर मुख्य धारा में शामिल करने की, हर सेक्टर में योगी सरकार की नियोजित कोशिशें नए यूपी की तस्वीर पेश कर रही हैं.
आंकड़ों के हवाले से देखें तो, कोविड- 19 वैश्विक महामारी के कारण बीते 2-3 वर्ष पूरे विश्व और देश में आर्थिक मंदी रही. इसके बावजूद, प्रदेश की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ता के साथ अपनी ग्रोथ को बनाए रखने में सफल रही. यह नियोजित और समन्वित प्रयासों का परिणाम ही है कि प्रदेश की वार्षिक आय में सतत बढ़ोतरी हो रही है. वित्तीय वर्ष 2020-21 में जीएसडीपी (सकल राज्य घरेलू उत्पाद) 16,45,317 करोड़ रुपये थी, जो 2021-22 में लगभग 20% की बढ़ोतरी के साथ 19,74,532 करोड़ रुपये हो गई है. वहीं, 2022-23 के लिए तैयार अग्रिम अनुमानों के आधार पर राज्य आय 21.91 लाख करोड़ रुपये से आंकलित हुई है.
आंकड़ों के हवाले से देखें तो, कोविड- 19 वैश्विक महामारी के कारण बीते 2-3 वर्ष पूरे विश्व और देश में आर्थिक मंदी रही. इसके बावजूद, प्रदेश की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ता के साथ अपनी ग्रोथ को बनाए रखने में सफल रही. यह नियोजित और समन्वित प्रयासों का परिणाम ही है कि प्रदेश की वार्षिक आय में सतत बढ़ोतरी हो रही है. वित्तीय वर्ष 2020-21 में जीएसडीपी (सकल राज्य घरेलू उत्पाद) 16,45,317 करोड़ रुपये थी, जो 2021-22 में लगभग 20% की बढ़ोतरी के साथ 19,74,532 करोड़ रुपये हो गई है. वहीं, 2022-23 के लिए तैयार अग्रिम अनुमानों के आधार पर राज्य आय 21.91 लाख करोड़ रुपये से आंकलित हुई है.
2022-23 में राज्य को 21.91 लाख करोड़ आय होने का है अनुमान
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के अगस्त 2023 के बुलेटिन के अनुसार, बैंक व अन्य वित्तीय संस्थाओं से फंड आकर्षित करने के लिहाज से 16.2% निवेश में हिस्सेदारी के साथ उत्तर प्रदेश देश में शीर्ष स्थान पर है. आरबीआई की रिपोर्ट बताती है कि वित्तीय वर्ष 2013-14 के 1.1% के सापेक्ष 15 गुना बढ़कर 2022-23 में यूपी ने बैंकों व अन्य वित्तीय संस्थाओं से फंड जुटाने में 16.2% की वृद्धि दर्ज की है. यही नहीं, आयकर रिटर्न फाइल करने की संख्या के पैमाने पर भी उत्तर प्रदेश, देश में दूसरा सबसे बड़ा राज्य है. जून 2014 में जहां 1.65 लाख आयकर रिटर्न यूपी से फाइल होते थे, वहीं, इनकी संख्या जून 2023 में बढ़कर 11.92 लाख हो गई है.
अंत्योदय का संकल्प हो रहा पूरा
योगी सरकार द्वारा गरीबी उन्मूलन और विभिन्न योजनाओं के माध्यम से गरीबों की आय बढ़ाकर उन्हें गरीबी रेखा से बाहर निकालने के लिए किए जा रहे प्रयासों के सुखद परिणाम सामने आए हैं. नीति आयोग की रिपोर्ट 'राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक: एक प्रगति समीक्षा 2023' के अनुसार, 2015-16 और 2019-21 के बीच जहां भारत में रिकॉर्ड 13.5 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर निकले हैं तो वहीं उत्तर प्रदेश में गरीबों की संख्या में सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई. रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार की सार्थक कोशिशों से 3.43 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से उबरने में कामयाब रहे हैं. 36 राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और 707 प्रशासनिक जिलों के लिए बहुआयामी गरीबी अनुमान प्रदान करते हुए, रिपोर्ट में कहा गया है कि बहुआयामी गरीबों के अनुपात में सबसे व्यापक गिरावट उत्तर प्रदेश में दर्ज की गई है. बिहार, मध्य प्रदेश, ओडिशा और राजस्थान जैसे राज्यों का नंबर अब यूपी के बाद आता है.
रेवेन्यू सरप्लस हुआ यूपी
कभी बीमारू कहा जाने वाला उत्तर प्रदेश आज रेवेन्यू सरप्लस राज्य हो गया है. वर्ष 2016-17 में राज्य का कर राजस्व लगभग 86 हजार करोड़ रुपये था जो वर्ष 2021-22 में 01 लाख 47 हजार करोड़ रुपये से अधिक (71% वृद्धि) तक पहुंच गया. वर्ष 2016-17 सेल्स टैक्स/वैट लगभग 51,883 करोड़ रुपये था जो वर्ष 2022-23 में 125 करोड़ रुपये के पार रहा. यहां महत्वपूर्ण यह भी है कि उत्तर प्रदेश में पेट्रोल, डीजल और एटीएफ वैट दर कई राज्यों से कम है और मई 2022 के बाद दरों में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है. योगी सरकार के वित्तीय प्रबंधन का ही परिणाम है कि वर्ष 2022-23 एफआरबीएम एक्ट में राजकोषीय घाटे की निर्धारित सीमा 4.0 फीसदी के सापेक्ष 3.96% रखने में सफलता हासिल हुई है. आंकड़े बताते हैं कि यूपी में पूर्व में बजट का लगभग 8% ऋणों के ब्याज के लिए खर्च होता था जो वर्ष 2022-23 बजट में 6.5% पर आ गया है. जाहिर है बगैर अर्थव्यवस्था मजबूत हुए ऐसा होना संभव नहीं.
योगी ने बीमारू राज्य का ठप्पा हटाया
उत्तर प्रदेश में आर्थिक उन्नयन के नए प्रतिमान गढ़ रही योगी सरकार की नीतियों पर बीते दिनों नई दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में भी विमर्श आयोजित हुआ था. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष प्रो. राम बहादुर राय ने माना कि योगी आदित्यनाथ ने यूपी के ऊपर से बीमारु राज्य का ठप्पा हटाया. बकौल राम बहादुर राय, आज यूपी में निवेश का बेहतर माहौल बना है. योगी के नेतृत्व में चौतरफा विकास हो रहा है. यही वजह है कि योगी के दूसरे कार्यकाल को भी जनता का भरपूर समर्थन मिल रहा है. उन्होंने कहा था कि यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री संपूर्णानंद ने जिस आधी अधूरी क्रांति की बात अपनी पुस्तक में कही थी, विकास की उस क्रांति को योगी आदित्यनाथ पूरा कर रहे हैं.
योगी सरकार ने अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए क्षेत्रवार अल्पकालीन और दीर्घकालीन रणनीति बनाई है. सरकार सुशासन को बेहतर करने, कारोबारी निर्णय में तेजी लाने, कारोबारी सुगमता को बढ़ाने, मौजूदा नियमों का सुचारु क्रियान्वयन आदि करने की कोशिश कर रही है. राज्य में सबसे अहम क्षेत्र कृषि, उद्योग और सेवा हैं इसलिए, सरकार इन क्षेत्रों को सबसे पहले मजबूत करना चाहती है. इसके लिए कुछ उच्च स्तरीय समितियां गठित की गई हैं, जो समय-समय पर इस दिशा में बेहतरी लाने के लिए सुझाव दे रही हैं, जिस पर सरकार अमल भी कर रही है.
अंत्योदय का संकल्प हो रहा पूरा
योगी सरकार द्वारा गरीबी उन्मूलन और विभिन्न योजनाओं के माध्यम से गरीबों की आय बढ़ाकर उन्हें गरीबी रेखा से बाहर निकालने के लिए किए जा रहे प्रयासों के सुखद परिणाम सामने आए हैं. नीति आयोग की रिपोर्ट 'राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक: एक प्रगति समीक्षा 2023' के अनुसार, 2015-16 और 2019-21 के बीच जहां भारत में रिकॉर्ड 13.5 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर निकले हैं तो वहीं उत्तर प्रदेश में गरीबों की संख्या में सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई. रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार की सार्थक कोशिशों से 3.43 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से उबरने में कामयाब रहे हैं. 36 राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और 707 प्रशासनिक जिलों के लिए बहुआयामी गरीबी अनुमान प्रदान करते हुए, रिपोर्ट में कहा गया है कि बहुआयामी गरीबों के अनुपात में सबसे व्यापक गिरावट उत्तर प्रदेश में दर्ज की गई है. बिहार, मध्य प्रदेश, ओडिशा और राजस्थान जैसे राज्यों का नंबर अब यूपी के बाद आता है.
रेवेन्यू सरप्लस हुआ यूपी
कभी बीमारू कहा जाने वाला उत्तर प्रदेश आज रेवेन्यू सरप्लस राज्य हो गया है. वर्ष 2016-17 में राज्य का कर राजस्व लगभग 86 हजार करोड़ रुपये था जो वर्ष 2021-22 में 01 लाख 47 हजार करोड़ रुपये से अधिक (71% वृद्धि) तक पहुंच गया. वर्ष 2016-17 सेल्स टैक्स/वैट लगभग 51,883 करोड़ रुपये था जो वर्ष 2022-23 में 125 करोड़ रुपये के पार रहा. यहां महत्वपूर्ण यह भी है कि उत्तर प्रदेश में पेट्रोल, डीजल और एटीएफ वैट दर कई राज्यों से कम है और मई 2022 के बाद दरों में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है. योगी सरकार के वित्तीय प्रबंधन का ही परिणाम है कि वर्ष 2022-23 एफआरबीएम एक्ट में राजकोषीय घाटे की निर्धारित सीमा 4.0 फीसदी के सापेक्ष 3.96% रखने में सफलता हासिल हुई है. आंकड़े बताते हैं कि यूपी में पूर्व में बजट का लगभग 8% ऋणों के ब्याज के लिए खर्च होता था जो वर्ष 2022-23 बजट में 6.5% पर आ गया है. जाहिर है बगैर अर्थव्यवस्था मजबूत हुए ऐसा होना संभव नहीं.
योगी ने बीमारू राज्य का ठप्पा हटाया
उत्तर प्रदेश में आर्थिक उन्नयन के नए प्रतिमान गढ़ रही योगी सरकार की नीतियों पर बीते दिनों नई दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में भी विमर्श आयोजित हुआ था. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष प्रो. राम बहादुर राय ने माना कि योगी आदित्यनाथ ने यूपी के ऊपर से बीमारु राज्य का ठप्पा हटाया. बकौल राम बहादुर राय, आज यूपी में निवेश का बेहतर माहौल बना है. योगी के नेतृत्व में चौतरफा विकास हो रहा है. यही वजह है कि योगी के दूसरे कार्यकाल को भी जनता का भरपूर समर्थन मिल रहा है. उन्होंने कहा था कि यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री संपूर्णानंद ने जिस आधी अधूरी क्रांति की बात अपनी पुस्तक में कही थी, विकास की उस क्रांति को योगी आदित्यनाथ पूरा कर रहे हैं.
योगी सरकार ने अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए क्षेत्रवार अल्पकालीन और दीर्घकालीन रणनीति बनाई है. सरकार सुशासन को बेहतर करने, कारोबारी निर्णय में तेजी लाने, कारोबारी सुगमता को बढ़ाने, मौजूदा नियमों का सुचारु क्रियान्वयन आदि करने की कोशिश कर रही है. राज्य में सबसे अहम क्षेत्र कृषि, उद्योग और सेवा हैं इसलिए, सरकार इन क्षेत्रों को सबसे पहले मजबूत करना चाहती है. इसके लिए कुछ उच्च स्तरीय समितियां गठित की गई हैं, जो समय-समय पर इस दिशा में बेहतरी लाने के लिए सुझाव दे रही हैं, जिस पर सरकार अमल भी कर रही है.
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