अयोध्या में चौरासी कोस की परिक्रमा का समापन हुआ. 16 अप्रैल को अयोध्या के कारसेवक पुरम से निकली विश्व हिंदू परिषद के हनुमान मंडल दल के नेतृत्व में चौरासी कोस परिक्रमा कल देर रात अयोध्या वापस पहुंच गई है. परिक्रमा का आरंभ अयोध्या में सरयू पूजन के बाद 16 अप्रैल को बस्ती के मखौड़ा धाम क्षेत्र से शुरू हुआ था जो 5 जिलों में होते हुए 22 दिन के लंबे अंतराल के बाद समाप्त हुई है.


कल देर रात चौरासी कोस की परिक्रमार्थी अयोध्या पहुंच गए थे और आज सुबह 7:00 बजे अयोध्या के रामकोट (हनुमानगढ़ी और राम जन्मभूमि और कनक भवन) की सांस्कृतिक सीमा के साथ परिक्रमा समाप्त हुई है. चौरासी कोस की परिक्रमा मखौड़ा धाम से शुरू हुई थी जो बस्ती जनपद अंबेडकर नगर अयोध्या बाराबंकी गोंडा होते हुए पुनः मखौड़ा धाम पहुंची और उसके 84 कोष की परिक्रमा यात्रा अयोध्या के सरयू तट पहुंची और सरयू तट पर पूजन अर्चन किया और रात्रि विश्राम राम जन्मभूमि आंदोलन की हृदय स्थली रही कारसेवक पुरम में विश्राम किया और आज परिक्रमा के समापन के मौके पर रामकोट की सांस्कृतिक सीमा की परिक्रमा कर चौरासी कोस की परिक्रमा समाप्त हुई है.


कोरोना के चलते 2 साल नहीं निकली था यात्रा


बताते चलें कि कोरोना काल के कारण 2 वर्षों तक यह यात्रा नहीं निकाली गई थी इस वर्ष कोरोना से राहत मिली तो पूरे उत्साह के साथ परिक्रमा का आयोजन हुआ. 22 दिन में यात्रा पूरी कर पहुंचे श्रद्धालु परिक्रमा कर के अभिभूत दिखे चौरासी कोस की परिक्रमा के दरमियान पड़ने वाले ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रामीणों ने परिक्रमार्थियों का भव्य स्वागत भी किया जिसको लेकर परिक्रमा आयोजक हनुमान मंडल दल के अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह अभिभूत भी दिखे.


चौरासी कोस की परिक्रमा करने मथुरा से अयोध्या आई महिला श्रद्धालु राम कुमारी ने कहा कि 84 कोसी परिक्रमा में अच्छी व्यवस्थाएं मिली. स्थानीय लोगों से मदद का भाव मिला. इतना भाव किसी परिक्रमा में नहीं मिला जितना अयोध्या की परिक्रमा में मिला और साथ ही उन्होंने कहा कि हमें सौभाग्य मिला कि साधु संतों का दर्शन प्राप्त हुआ और 84 कोसी परिक्रमा में शामिल होने का मौका मिला.


हमें ऐसी सुविधा पहले कभी किसी परिक्रमा में नहीं मिली- श्रद्धालु


श्रद्धालु श्याम बाबू वर्मा ने कहा कि हम दूसरी बार इस परिक्रमा में आए हैं. हम मथुरा वृंदावन से आए हैं इस परिक्रमा में, हमें जो सुविधा मिली हैं शायद वह किसी परिक्रमा में इतनी सुविधा नहीं है. पुलिस पीएसी और सुरक्षा के हिसाब से प्रसाद भोजन की व्यवस्था बहुत अच्छी रही साथ ही उन्होंने कहा कि योगी जी की मेहरबानी है इस पावन भूमि में हम पहली बार पधारे हैं इसकी यज्ञ के हिसाब से बहुत अच्छा लगा हमको यहां पर आकर.


परिक्रमा के आयोजक विश्व हिंदू परिषद के हनुमान मंडल दल के अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह ने बताया कि चौरासी कोस की परिक्रमा अयोध्या के सांस्कृतिक सीमा की परिक्रमा है जो अखंड काल से चली आ रही है. इसमें सैकड़ों धार्मिक स्थल पड़ते हैं जहां पर श्रद्धालु जाकर परिक्रमा करते हैं. चौरासी कोस की परिक्रमा 22 दिन तक चलती है. तमाम असुविधा को पार करते हुए श्रद्धालुओं ने पूरी श्रद्धा के साथ परिक्रमा की है. परिक्रमा में ऐसी व्यवस्था की गई थी जिससे की कठनाई कम से कम हो. परिक्रमा के आयोजक सुरेंद्र सिंह ने बताया कि परिक्रमा के समापन के मौके पर रामकोट की परिक्रमा की जा रही है और रामकोट की परिक्रमा करने का मतलब यह है कि हनुमानगढ़ी राम जन्मभूमि और कनक भवन के सांस्कृतिक सीमा की परिक्रमा कर 84 कोसी की परिक्रमा का समापन हो रहा है.


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