Uttar Pradesh Election: यूपी में बीजेपी और योगी सरकार क्या अलग-अलग राह पर है? ये सवाल पार्टी के लोग ही पूछ रहे हैं. लखनऊ में बीजेपी ऑफिस में आज जो हुआ उसका इशारा तो कम से कम ऐसा ही है. सीएम योगी आदित्यनाथ माफिया के लिए काल बने हुए हैं. एंटी माफिया अभियान में अपराधी किस्म के लोगों को जेल भेजा जा रहा है. उनकी संपत्ति कुर्क की जा रही है तो दूसरी तरफ अयोध्या के बाहुबली जितेंद्र सिंह बबलू को आज बीजेपी में शामिल कर लिया गया, बड़े ही मान सम्मान के साथ. ये वही बबलू हैं जिन पर बीजेपी सांसद रीता बहुगुणा जोशी का घर जलाने का आरोप है. ये वही बबलू हैं जिन्हें पिछले साल भी पार्टी में लाने की कोशिश की गई थी लेकिन पार्टी कार्यकर्ताओं के जबरदस्त विरोध के कारण फैसला वापस लेना पड़ा था. लेकिन आज बबलू को बीजेपी का भगवा पट्टा पहनाकर पार्टी नेताओं ने उन्हें अपना बना ही लिया.
दर्जन भर मुकदमे झेल रहे जितेंद्र सिंह बबलू अब बीजेपी के सदस्य हैं. जिन्हें पार्टी में आने से रोकने के लिए पिछले साल आसमान सिर पर उठा लिया था. इस बार सब चुपके-चुपके हुआ. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह बीजेपी ऑफिस पहुंच चुके थे. सबको यही बताया गया कि बीएसपी और कांग्रेस से कुछ नेता शामिल हो रहे हैं. लेकिन जब मंच पर बबलू आए तो सबके होश उड़ गए. मायावती सरकार में बबलू बीएसपी के दबंग विधायक थे. अयोध्या से लेकर लखनऊ तक उनकी तूती बोलती थी.
घर जलाने की कोशिश
उनकी गिनती मायावती के करीबी नेताओं में होने लगी. उनके भाई को बहिन जी ने एमएलसी बनवा दिया. इसी बीच एक ऐसी घटना हो गई कि बबलू देश भर के हेडलाइन में आ गए. लखनऊ में कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष रीता बहुगुणा का घर जलाने की कोशिश हुई. बबलू और उनके साथियों पर केस दर्ज हुआ. उन्हें जेल भी जाना पड़ा. रीता बहुगुणा अब बीजेपी में हैं. प्रयागराज से पार्टी की लोकसभा सांसद हैं. योगी सरकार में मंत्री भी रहीं. उनका घर जलाने का आरोपी भी अब उनकी पार्टी में हैं. उनके बगल में बबलू बैठेंगे.
पहले रद्द करना पड़ा था फैसला
वहीं पिछले साल जब बबलू को पार्टी में शामिल कराने का फैसला हुआ था, तब भी स्वतंत्र देव सिंह ही अध्यक्ष थे. तब इतना विरोध हुआ कि अयोध्या से लेकर लखनऊ तक खलबली मच गई. बीजेपी के कई विधायकों ने विरोध किया. बीकापुर से पार्टी की एमएलए शोभा सिंह ने तो अनशन की धमकी दे दी थी. पार्टी कार्यकर्ताओं ने लखनऊ में बीजेपी ऑफिस को घेर लिया था. बबलू को ऑफिस के अंदर न आने देने की कसमें खाई जा रही थीं. रीता बहुगुणा ने भी इस फैसले का विरोध किया था. आखिरकार बबलू के बीजेपी में आने के फैसले को रद्द करना पड़ा.
इस बार रहे कामयाब
तब पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने कहा था जिस नेता ने हमें मारा पीटा हम उसका स्वागत कैसे कर सकते हैं. लेकिन इस बार बबलू को भगवाधारी बनाने का ऑपरेशन कामयाब रहा. कहा जा रहा है कि बीजेपी के एक बड़े नेता ने दिल्ली से उन्हें आशीर्वाद दे दिया. उन्होंने बाकी नेताओं को भी समझा बुझा लिया. इस तरह से बबलू गंगा नहा लिए. लेकिन धर्म संकट में होंगे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ. क्या वे बबलू के संग मंच साझा करेंगे? बबलू के बगल में खड़े होकर योगी किस तरह यूपी के कानून के राज का बखान करेंगे? कहा तो ये भी जा रहा है कि बबलू को एमएलसी का चुनाव लड़ाने का भी वादा किया गया है.
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