नई दिल्ली: देश की राजनीतिक के हिसाब से बेहद अहम राज्य उत्तर प्रदेश में बीजेपी की बड़ी जीत ने साल 2017 को पार्टी के लिए अच्छा साल बना दिया.  साल के शुरू में भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा चुनावों के साथ जीत का जो सिलसिला शुरू किया था वह साल के आखिर तक नगर निकाय चुनावों में कायम रहा. साल 2017 उत्तर प्रदेश में बीजेपी के लिए कई मायने में सुनहरा अध्याय लिखने वाला रहा.


साल की शुरुआत से अंत तक


इसी साल महेन्द्र नाथ पाण्डेय के रूप में बीजेपी को नया प्रदेश अध्यक्ष मिला. साल 2017 विरोधी पार्टियों के विधायकों के बीजेपी में शामिल होने का भी गवाह बना है. साल की शुरूआत में हुआ विधानसभा चुनाव बीजेपी ने अपना दल और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के साथ मिलकर लड़ा और राज्य के राजनीतिक इतिहास में नया अध्याय जोड़ दिया.


325 सीटों पर जीत हासिल की


बीजेपी कुल 384 सीटों पर लड़ी जिसमें से उसे 312 सीटों पर जीत मिली. केवल पांच विधानसभा सीटें ऐसी रहीं, जहां बीजेपी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई. बीजेपी और उसके सहयोगियों ने 403 सदस्यीय विधानसभा में 325 सीटों पर जीत हासिल की. बीजेपी की सहयोगी अपना दल ने नौ और भारतीय समाज पार्टी ने चार सीटों पर जीत दर्ज की. उत्तर प्रदेश के 2017 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो उसका मत प्रतिशत 41 . 57 फीसदी रहा, जो 2012 में 15 . 21 फीसदी ही था, जब बीजेपी केवल 47 सीटें ही जीत सकी थी.


पूर्व के चुनावों के विपरीत इस बार बीजेपी ने घोषणापत्र नहीं बल्कि लोक कल्याण संकल्प पत्र जारी किया. इसमें पार्टी के सत्ता में आने की स्थिति में किये जाने वाले कार्यों और योजनाओं का उल्लेख था. सत्ता में आते ही बीजेपी सरकार ने अयोध्या और मथुरा—वृन्दावन को नगर निगम बनाने का फैसला किया.


सौ साल में पहली महिला महापौर


तीन चरणों में हुए नगर निकाय चुनावों में बीजेपी का दमदार प्रदर्शन रहा. महापौर की 16 में से 14 सीटें बीजेपी की झोली में गयीं. इनमें लखनऊ, इलाहाबाद, वाराणसी, गोरखपुर की महत्वपूर्ण सीटें शामिल हैं. इस साल के मेयर चुनावों में लखनऊ को सौ साल में पहली बार महिला महापौर मिलीं.


अयोध्या तथा मथुरा—वृन्दावन को भी पहला महापौर बीजेपी का मिला. बीजेपी के महापौर प्रत्याशी अलीगढ और मेरठ में हारे, जहां बसपा ने उसे पराजित किया. राज्य में कुल 1300 पार्षदों में से 596 बीजेपी के बने. नगर पालिका परिषद के चेयरमैन की बात करें तो 198 सीटों में से 70 पर बीजेपी जीती. नगर पंचायत अध्यक्ष पद के चुनावों में 438 में से 100 सीटें बीजेपी के हिस्से गयीं. विधान परिषद के लिए निर्विरोध निर्वाचित होने के साथ ही योगी प्रदेश के लगातार तीसरे ऐसे मुख्यमंत्री बन गये जो उच्च सदन के सदस्य हैं.