उत्तरप्रदेश के कासगंज में शराब माफिया ने जिस बेरहमी से पुलिसवालों पर हमला किया है,उससे जाहिर होता है कि अपराधियों के हौसलें दिनोंदिन बुलंद होते जा रहे हैं. अपराधों के प्रति मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जीरो टॉलरेंस वाली नीति को भी इस वारदात से गहरा झटका लगा है.
हालांकि घटना के बाद मुख्यमंत्री ने फिर यही दोहराया कि उनकी सरकार अपराध व अपराधियों के प्रति अपनी जीरो टॉलरेंस की नीति में कोई बदलाव नहीं करेगी लेकिन उन्हें इसकी समीक्षा अवश्य ही करनी होगी कि आखिर क्या वजह है कि राज्य के अलग-अलग जिलों में शराब माफिया दिनोंदिन और अधिक ताकतवर होता जा रहा है. स्थानीय पुलिस-प्रशासन के सहयोग के बगैर आखिर ये कैसे संभव हो सकता है. अपराधियों के प्रति सख्ती बरतने के साथ ही सरकार को प्रशासन में बैठे उन चेहरों का भी पता लगाना होगा जिनकी सरपरस्ती में एक मामूली अपराधी भी रातोंरात इलाके का ताकतवर माफ़िया बन जाता है.
योगी आदित्यनाथ के सत्ता संभालने के तुरंत बाद अपराधियों में इतना खौफ़ आ गया था कि वे उत्तरप्रदेश छोड़कर भागने लगे थे लेकिन अब वह खौफ़ तो खत्म हुआ ही है,साथ ही वे पहले से अधिक बेख़ौफ होकर सारे अपराधों को अंजाम देने लगे हैं.
जानकारी के मुताबिक कासगंज के सिढ़पुरा थाना क्षेत्र से गुजर रही काली नदी के किनारे शराब का दरिया बहता है. जंगल में जगह-जगह कच्ची शराब तैयार करने को भट्ठियां धधकती हैं. नगला धीमर सहित आसपास के तमाम गांवों में घर-घर देशी शराब बेची जाती है. काली नदी के इस पर कासगंज जिला और उस पार एटा जिला है. कासगंज जिले के सिढ़पुरा थाना क्षेत्र के नगला धीमर, सरावल आदि गांवों के ज्यादातर लोग कच्ची दारू का धंधा करते हैं. इसके लिए नदी किनारे जंगल में दारू तैयार की जाती है. पुलिस की दबिश से यहां खलबली मचती है मगर कुछ समय के लिए. बाद में धंधा फिर ढर्रे पर आ जाता है. लोग बताते हैं कि मंगलवार को पहली बार दारोगा और सिपाही इस गांव में पहुंचे. इससे पहले जब भी दबिश दी गई तो पूरा थाना और कोई न कोई अधिकारी साथ रहा है.