NDA Politics: इस बार लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) जिन दो राज्यों की बदौलत अपने दम पर बहुमत का आंकड़ा नहीं छू पाई वो उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र हैं. लखनऊ में 14 जुलाई 2024 को बीजेपी कार्यसमिति की बैठक के बाद से जहां यूपी का राजनीतिक पारा चढ़ा हुआ है. पार्टी के भीतर अंदरूनी कलह को लेकर सूबे में मुख्यमंत्री बदलने के कयास भी लगाए जाने लगे हैं. वहीं महाराष्ट्र में इस साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, जिसे लेकर सत्तारूढ़ महायुति के बीच गहमागहमी शुरू हो गई है.
उत्तर प्रदेश की बात करें तो यहां पार्टी के भीतर मनमुटाव की खबर इसलिए आ रही है क्योंकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मीटिंग में राज्य के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक नहीं पहुंचे थे. सूत्रों की मानें तो बीजेपी हाई कमान नाराज बताया जा रहा है. हालांकि शनिवार (27 जुलाई 2024) को दिल्ली में बीजेपी मुख्यालय में मुख्यमंत्री परिषद की बैठक हुई, जिसमें यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और दोनों डिप्टी सीएम पहुंचे थे.
महाराष्ट्र में टेंशन में बीजेपी!
महाराष्ट्र की राजनीति से भी बीजेपी के लिए अच्छी खबर नहीं है. यहां आगामी विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर आने वाले समय में पेंच फंस सकता है. बीजेपी और उनके सहयोगी पार्टियों के नेताओं के बयान की वजह से इस तरह के कयास लगाए जा रहे हैं.
बीजेपी नेता ने सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कही
बीजेपी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने शुक्रवार (26 जुलाई 2024) को कहा कि विधानसभा चुनाव में बीजेपी को राज्य की सभी 288 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए. महाराष्ट्र में बीजेपी की सहयोगी एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजीत पवार की एनसीपी भी कम नहीं है. ये दोनों ही पार्टियां अपने लिए 80 से 100 सीट मांग रही हैं.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह रविवार (21 जुलाई 2024) को महाराष्ट्र दौरे पर पुणे पहुंचे थे, जहां सीएम एकनाथ शिंदे, डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस और अजीत पवार ने उनका स्वागत किया. गृह मंत्री ने पुणे में रैली में अपने संबोधन के साथ ही विधानसभा चुनाव का बिगुल भी फूंक दिया.
बीजेपी नेता और अजीत पवार के बीच अच्छी कैमेस्ट्री नहीं
यह भी बताया जा रहा है कि अजीत पवार ने दिल्ली में बीजेपी हाईकमान के सामने सीट बंटवारे की बात तो रखी दी है. यह भी चर्चा है कि महाराष्ट्र के बीजेपी नेताओं के साथ अजीत पवार की कैमस्ट्री ज्यादा अच्छी नहीं है. ऐसे इसलिए क्योंकि बीजेपी कोटे से ग्राम विकास मंत्री गिरीश महाजन और अजित पवार में फंड को लेकर काफी तेज बहस हुई थी.
लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने बीजेपी का सपोर्ट किया था. इस विधानसभा चुनाव में एमएनएस चीफ राज ठाकरे ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है. हालांकि अगर वह फिर से एनडीए के सात आते हैं तो फिर सीट बंटावारे में बीजेपी का सिर दर्द और बढ़ गया. महाराष्ट्र में बीजेपी के सहयोगी सीट शेयरिंग को लेकर दौरा भी लगा रहे हैं.
इन राजनीतिक घटनाक्रमों के बीच सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या बीजेपी इस बार सीट शेयरिंग को लेकर समझौते करेगी और अगर करेगी भी तो कितना. पिछले विधानसभा चुनाव के रिज्लट पर नजर डालें तो राज्य की 288 सीटों में से बीजेपी ने 105 सीटों पर, शिवसेना ने 56 सीटों पर, कांग्रेस ने 45 सीटों पर और एनसीपी ने 53 सीटों पर जीत दर्ज की थी.
चुनाव रिजल्ट के बाद शिवसेना ने कांग्रेस के साथ मिलकर राज्य में सरकार बना ली और फिर आधे कार्यकाल के बाद उनके विधायकों के बागी होने के कारण उनके हाथ से सत्ता निकल गई. इसके बाद राज्य में एकनाथ शिंदे और बीजेपी ने मिलकर सरकार बनाई. पिछले विधानसभा चुनाव से अब तक महाराष्ट्र की दो बड़ी पार्टी दो धरों में टूट गई. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अंत में बीजेपी ही सीट बंटवारे को लेकर समझौता कर सकती है और करीब 150 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है.
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