CM Yogi Adityanath Meeting With PM Modi: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 27 जुलाई को होने वाली नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक से पहले या बाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वरिष्ठ भाजपा नेताओं से मुलाकात कर सकते हैं.
मुख्यमंत्री योगी की यह मुलाकात उत्तर प्रदेश भाजपा में मचे घमासान के अलावा योगी और उनके डिप्टी केशव प्रसाद मौर्य के बीच दरार की पृष्ठभूमि में हो रही है. इस घटनाक्रम से अवगत एक वरिष्ठ सरकारी पदाधिकारी ने कहा, "दिल्ली में योगी की शीर्ष स्तरीय बातचीत उत्तर प्रदेश भाजपा पर केंद्रित रहने की संभावना है." योगी का दिल्ली दौरा इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह 29 जुलाई से शुरू होने वाले राज्य विधानमंडल के मॉनसून सत्र से महज दो दिन पहले हो रहा है.
लोकसभा चुनाव के नतीजों और आगामी इलेक्शन पर चर्चा संभव
न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि मुख्यमंत्री लोकसभा चुनाव में हार के बारे में पार्टी के फीडबैक पर शीर्ष नेताओं से चर्चा कर सकते हैं. इस बातचीत में आगामी उपचुनावों पर भी चर्चा हो सकती है. भाजपा पहले से ही चुनावी मोड में है, योगी ने 16 मंत्रियों की एक टीम बनाई है जो इस साल के अंत में 10 विधानसभा क्षेत्रों में होने वाले उपचुनाव की तैयारियों की देखरेख करेगी.
केपी मौर्या के बयान से मची थी अफरातफरी
बता दें कि बीजेपी संगठन बनाम राज्य सरकार का टकराव तब सामने आया जब डिप्टी सीए केपी मौर्य ने 14 जुलाई को पार्टी प्रमुख जेपी नड्डा की मौजूदगी में राज्य भाजपा की कार्यकारी समिति की बैठक में दावा किया कि संगठन सरकार से बड़ा है. योगी ने पार्टी के खराब प्रदर्शन के लिए पार्टी के ‘अति आत्मविश्वास’ को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने चुनाव में हार के लिए गठबंधन सहयोगियों की अपने समुदायों से पर्याप्त मतदाता जुटाने में असमर्थता को भी जिम्मेदार ठहराया. वहीं दूसरी तरफ मौर्य ने यूपी के सीएम पर जवाबदेही डालने की कोशिश की, जिससे यह आभास हुआ कि बीजेपी में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. दरअसल, बीजेपी कार्यकारी की यह बैठक चुनावों में राज्य में अपने नुकसान का आकलन करने के लिए भाजपा के भीतर एक लंबी समीक्षा प्रक्रिया का हिस्सा थी.
योगी ने हार के पीछे दिया था ये तर्क
बताया जा रहा है कि केपी मौर्य 4 जून को आए नतीजों के बाद से कैबिनेट की बैठकों से दूर हैं और लगातार दिल्ली में रह रहे हैं. उनके इस रवैये को सीएम की कार्यशैली के खिलाफ विरोध के तौर पर देखा जा रहा है. बैठक में बीजेपी नेताओं और गठबंधन सहयोगियों के एक वर्ग ने यह भी सुझाव देने की कोशिश की कि योगी ने राज्य के नेताओं और पार्टी कैडर के मुकाबले नौकरशाहों को तरजीह दी. उनका दावा है कि इससे न केवल सत्तारूढ़ गठबंधन के भीतर बल्कि सरकार और लोगों के बीच भी अलगाव की भावना पैदा हुई.
मौर्य ने भी अलग से की थी जेपी नड्डा से मुलाकात
राज्य कार्यकारिणी की बैठक के बाद मौर्य ने 16 जुलाई को नई दिल्ली में जेपी नड्डा से मुलाकात की, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर उन्हें राज्य भाजपा और राज्य सरकार में चल रहे घटनाक्रम के बारे में जानकारी दी.
बीजेपी संगठन में हो सकता है बड़ा बदलाव
राज्य भाजपा प्रमुख भूपेंद्र चौधरी ने भी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की, जिससे राज्य पार्टी इकाई में संभावित फेरबदल और योगी मंत्रिमंडल में फेरबदल की अटकलें लगाई जाने लगीं. ऐसा माना जा रहा है कि भाजपा लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार से उबरने के लिए किसी ओबीसी नेता को राज्य प्रमुख बनाना चाहती है. 2019 में पार्टी की सीटें 62 से घटकर 33 रह गई थीं.
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