Swami Prasad Maurya Statements: समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) अपने बयानों के चलते अक्सर विवादों में रहे हैं. हाल में उन्होंने पवित्र ग्रंथ श्रीरामचरितमानस पर आपत्तिजनक बयान दिया, जिसके बाद से वह बीजेपी नेताओं और हिंदू संगठनों के निशाने पर हैं. आइये डालते हैं ​उनके कुछ विवादित बयानों पर एक नजर-


'रामचरितमानस बकवास, बैन लगना चाहिए'
स्वामी प्रसाद मौर्य ने हफ्तेभर पहले कहा था- कई करोड़ लोग रामचरित मानस को नहीं पढ़ते. सब बकवास है, जिसे तुलसीदास ने अपनी खुशी के लिए लिखा है. सरकार को रामचरितमानस के आपत्तिजनक अंश हटाने चाहिए या इस पूरी पुस्तक को ही बैन कर देना चाहिए. हालांकि, बाद में उन्होंने सफाई भी दी और कहा कि मेरा मतलब लोगों की भावनाएं आहत करना नहीं था. उन्होंने कहा कि पुस्तक में जो आपत्तिजनक अंश हैं, बस उन्हें हटा देना चाहिए.


मौर्य ने धर्म को लेकर भी की विवादित टिप्पणी
यूपी में समाजवादी पार्टी के MLC स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक इंटरव्यू में 'धर्म का सत्यानाश हो' भी कहा. उन्होंने सवर्णों का जिक्र करते हुए कहा- ब्राह्मण भले ही दुराचारी, अनपढ़ या गंवार हो, लेकिन वह ब्राह्मण है. उसको पूजनीय कहा गया है, लेकिन शूद्र कितना भी पढ़ा-लिखा या ज्ञानी हो. उसका सम्मान मत करो...क्या यही धर्म है? जो धर्म हमारा सत्यानाश चाहता है, उसका सत्यानाश हो.


'मोदी ने राम को पैदा किया है..'
स्वामी प्रसाद मौर्य ने मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था, "ये (बीजेपी समर्थक) लोग नारा दे रहे हैं कि मोदी जी आए हैं, राम को लाए हैं. ऐसा लगता है कि मोदी ने राम को पैदा किया है. इनके आने के बाद ही राम जी का जन्म हुआ है. जो पार्टी राम का सौदा करती है, वह आपका भी सौदा कर सकती है."


देवी-देवताओं पर की आपत्तिजनक टिप्पणी
मौर्य ने एक बार कहा था, "हिंदू धर्म में सूअर को वराह भगवान कहकर सम्मान दे सकते हैं, गधे को भवानी, चूहे को गणेश, उल्लू को लक्ष्मी की सवारी कहकर पूज सकते हैं, लेकिन शूद्र को सम्मान नहीं दिया जाता."


'शादियों में गौरी-गणेश की पूजा नहीं करनी चाहिए'
स्वामी प्रसाद मौर्य ने 2014 में कहा था शादियों में गौरी-गणेश की पूजा नहीं करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि यह मनुवादी व्यवस्था में दलितों और पिछड़ों को गुमराह कर उनको गुलाम बनाने की साजिश है.


बता दें कि वर्ष 2014 में स्वामी प्रसाद मौर्य बसपा के राष्ट्रीय महासचिव थे. इस मामले में उनके खिलाफ एक परिवाद दाखिल किया गया था. जिसके बाद उन्हें 295-ए में तलब किया गया था. साथ ही गैर जमानती वारंट जारी किया गया था.


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