लखनऊ: उत्तर प्रदेश के सीतापुर में एक दलित किसान की बड़ी ही बेरहमी से पीट-पीट कर हत्या कर दी गई. मारपीट के बाद हत्या का ये आरोप रामपुरकला थाने के थानेदार, सिपाहियों और इलाके के बीडीसी पर लगा है. आरोप है की पुलिस अधिकारियों ने दलित की हत्या के मामले को दबाने और इलाके के थानेदार, सिपाहियों और बीडीसी को बचने के लिए पीड़ित परिवार पर ही हत्या का केस कर दिया जिसके बाद से इलाके में तनाव का माहौल है.
मामला दर्ज होने के बाद अंतिम संस्कार
घटना के बाद कई थानों की पुलिस को गांव में तैनात किया गया है. पोस्मार्टम के बाद शव को 50 घंटे से गांव के बहार रख कर पूरा गांव धरना पर था. पीड़ित परिवार और ग्रामीण थानेदार, सिपाही और बीडीसी के खिलाफ हत्या का केस दर्ज करने की मांग कर रहे थे. माहौल को ख़राब होता देख सीतापुर पुलिस अधीक्षक ने थानेदार सहित पूरे थाने के खिलाफ मारपीट, हत्या और एससी/एसटी की धाराओं में केस दर्ज करा दिया है और मामले की जांच सीओ सिधौली को दे दी है. अब गांव वाले गोविन्द के शव को अंतिम संस्कार के लिए तैयार हैं.
पत्नी संग झगड़े से शुरू हुआ था विवाद
सीतापुर से 60 किलोमीटर दूर सोनारन पुरवा गांव में गोविन्द नाम के दलित किसान का 11 सितम्बर को अपनी पत्नी माया से मामूली बात पर विवाद हो गया जिसके बाद माया के भाइयों से उसकी हाथ-पाई हो गई और पुलिस को बुला लिया गया. पुलिस वाले गोविन्द को अपने साथ थाना रामपुरकला ले गए. थोड़ी देर बाद पुलिस के ही कहने पर गोविन्द की पत्नी माया थाने पहुंची और उसने वहां थाने में ही थानेदार के सामने अपने पति गोविन्द से सुलहनामा कर लिया जिसके बाद वहां से अपने मायके चली गयी.
पुलिस की पिटाई से मौत का आरोप
काफी देर बाद जब गोविन्द घर नहीं आया तो उसका भाई उसको लेने थाने पहुंचा लेकिन पुलिस वालों ने उसको साथ भेजने से इनकार कर दिया जिसके बाद वो घर लौट आया. पीड़ित भाई का आरोप है कि पुलिस वालों ने गोविन्द को बड़ी ही बेरहमी से मारा-पीटा जिसके बाद उसकी हालत ख़राब हो गयी. खुद को फंसता हुआ देख कर पुलिस वालों ने गोविन्द को थाने से बहार उठाकर एक किनारे रख दिया और वहां उसको तड़पता हुआ अधमरी हालत में छोड़ कर चले गए. जैसे ही इलाके के लोगों को इस बात का पता चला और माहौल बिगड़ने लगा, बिना समय ख़राब किए गोविन्द को सरकारी अस्पताल ले जाया गया जहां इलाज के बाद उसकी मौत हो गयी.
मामले पर राजनीति तेज़
थाने में दलित की पिटाई के इस मामला में राजनीति तेज़ हो गयी है. बीजेपी के सांसद कौशल किशोर ने गृह मंत्री राजनाथ सिंह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, यूपी के डीजीपी को ट्विट करके पुलिस की लापरवाही की बात बताई है. इतना ही नहीं, थाने में दलित किसान की हत्या का भी पुलिस पर आरोप लगते हुए दोषी थानेदार पर केस दर्ज करने की भी बात कही है. उधर सांसद के बेटे अंशू ने भी पुलिस पर समाजवादी पार्टी जैसी मानसिकता में काम करने का आरोप लगाया है. ये आरोप लगाने के बाद से वो धरने पर बैठ गए थे.
पुलिस ने पल्ला झाड़ा, लेकिन मामला हुआ दर्ज
गोविन्द की मौत के मामले में अपर पुलिस अधीक्षक का कहना है कि पुलिस पर लगाये गए सभी आरोप निराधार है. पुलिस का इसमें कोई दोष नहीं है. पुलिस अधिकारी का ये भी कहना है की गोविन्द की मौत अस्पताल में हुई है जिसके बाद मृतक को पुलिस की गाड़ी से उसके घर छोड़ा गया है. कुल मिलाकर सरकारी अस्पताल के डाक्टरों की लापरवाही की बात कही जा रही है. लेकिन दबाव को बढ़ता देख लखनऊ में बैठे पुलिस के बड़े अधिकारियों ने इस मामले को गंभीरता से लिया और मृतक की पत्नी की तहरीर पर रामपुरकला के थानेदार रणजीत सिंह भदौरिया सहित पूरे थाने के खिलाफ 302 (हत्या), 506 (जान से मारने की धमकी देना), SC-ST एक्ट के तहत केस दर्ज कराया है.
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