देहरादून: देश में कोरोना वायरस के कारण हाहाकार मचा हुआ है. हर रोज कोरोना वायरस के नए मामले सामने आ रहे हैं. वहीं कोरोना मरीजों का इलाज भी लगातार किया जा रहा है. इस बीच उत्तराखंड में मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास को अब कोविड केयर सेंटर में बदला जा रहा है. करीब एक दशक पुराने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास को अब कोविड केयर सेंटर में बदला जा रहा है. इसकी घोषणा स्वयं मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने की.


मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि वह अपने आधिकारिक आवास को संभावित तीसरी लहर के दौरान कोविड मरीजों के उपचार के लिए तैयार करवा रहे हैं. रावत ने कहा, 'तीसरी लहर के लिए तैयारियों में कहीं कोई कमी नहीं है. अब यहां ज्यादा कोविड समर्पित अस्पताल हैं. पहले से उपलब्ध अस्पतालों के अलावा डीआरडीओ की मदद से ऋषिकेश और हल्द्वानी दोनों जगहों पर 500-500 बिस्तरों के अस्पताल बनाए गए हैं.'


वहीं मुख्यमंत्री ने कहा कि जिलाधिकारियों से एक-दो होटल ऐसी स्थिति में रखने को कहा गया है जिन्हें जरूरत पड़ने पर कोविड केयर केंद्रों में बदला जा सके. रावत ने कहा, 'कोविड-19 की तीसरी लहर से प्रभावी रूप से निपटने के लिए हम कुछ भी करेंगे. मैं सीएम आवास को भी तीसरी लहर के दौरान कोविड मरीजों को रखने के लिए तैयार करवा रहा हूं.'


सुविधाएं बढ़ाई


उन्होंने कहा कि किसी ने भी यह कल्पना नहीं की थी कि महामारी की दूसरी लहर इतनी शक्तिशाली होगी. लेकिन हमने चुनौती का सामना किया और पूरे प्रदेश में सुविधाएं बढ़ाई. मैं सभी 13 जिलों में कोविड केयर केंद्रों और अस्पतालों में पीपीई किट पहनकर गया और वहां की सुविधाओं की स्थिति और मरीजों की समस्याओं के बारे में जाना. मुख्यमंत्री आवास को कोविड मरीजों के लिए तैयार करने के संबंध में पूछे जाने पर प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि मुख्यमंत्री रावत स्वयं उस आवास में जाना नहीं चाहते हैं और इसलिए वह वहां कोविड मरीजों को रखना चाहते हैं.


सीएम आवास को लेकर ऐसी धारणा


वहीं एक दशक पहले बनकर तैयार हुआ कैंट रोड स्थित मुख्यमंत्री का आधिकारिक आवास को यहां रहने वाले मुख्यमंत्रियों के लिए कथित तौर पर मनहूस माना जाता है क्योंकि इसमें रहने वाला कोई भी मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सका. विजय बहुगुणा से लेकर त्रिवेंद्र सिंह रावत तक यहां कोई मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सका और उसकी समय से पहले ही पद से विदाई हो गई. माना जाता है कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी यहां जाने में इसी कारण से परहेज किया लेकिन फिर भी वह चुनावों में हार गए और सत्ता में वापसी न कर सके.


हाईकोर्ट ने लगाई थी फटकार


बता दें कि उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बुधवार को राज्य सरकार को तीसरी लहर के मद्देनजर तैयारियों में कथित कमी को लेकर फटकार लगाई थी. उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने कहा था, 'क्या राज्य सरकार अपनी नींद से तभी जागेगी जब हमारे बच्चे तीसरी लहर में मरना शुरू करेंगे.'


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