बीजेपी के उत्तराखंड पर्यवेक्षक धर्मेंद्र प्रधान और पीयूष गोयल बनाए गए हैं जो 19 मार्च को देहरादून जाएंगे. जानकारी के मुताबिक, होली के अगले दिन उत्तराखंड में विधायक दल की बैठक हो सकती है जिसमें मुख्यमंत्री के नाम पर मुहर लगेगी. इस रेस में पुष्कर सिंह धामी, धन सिंह रावत, सतपाल महाराज, रितु खंडूरी, गणेश जोशी समेत कई नाम शामिल हैं. पुष्कर धामी के विधानसभा चुनाव हार जाने के वबजूद कई विधायक धामी के पक्ष में सीट खाली कर चुनाव लड़ाने की पेशकश कर चुके हैं.


बता दें, उतराखंड की राजनीति में बीजेपी ने इस बार दोबारा सत्ता में ना लौटने का पुराना रिकॉर्ड तो तोड़ दिया, लेकिन मुख्यमंत्री पुष्कर धामी की हार के बाद राज्य में मुख्यमंत्री के चुनाव हारने का रिकॉर्ड नहीं तोड़ पाई. लिहाजा एक साल में चौथी बार बीजेपी के सामने मुख्यमंत्री चुनने की चुनौती आन पड़ी है. सीएम बनने की चाहत में कई नेताओं ने दिल्ली में डेरा डाला हुआ है. नए मुख्यमंत्री की रेस में चेहरे और दावेदार तो तमाम हैं, लेकिन खबरों में अब भी पुष्कर सिंह धामी ही बने हुए हैं.


मैंने अपनी जिम्मेदारियों को पूरा किया- धामी


केंद्र के कुछ बड़े नेता चुनाव हार चुके पुष्कर धामी के पक्ष में खड़े हैं, जो उन्हें दोबारा चुनाव लड़ाकर मुख्यमंत्री बनाने का समर्थन कर रहे हैं. तो इस बीच खुद धामी भी इशारों में अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं. ये बताते हुए कि वो चुनाव क्यों हार गए. पुष्कर सिंह धामी ने कहा, ‘’मैं अपनी सीट पर अपने क्षेत्र में कम जा पाया कम समय दे पाया. मुझे सरकार लाने की जिम्मेदारी दी गई थी, मैंने कभी किसी पद की मांग नहीं की, मुझे जो जिम्मेदारी दी गई थी उसे मैंने पूरा करके दिया है.


बीजेपी के सामने क्या है चुनौती?


उत्तराखंड में खुद बीजेपी के नेता बता रहे हैं कि पुष्कर सिंह धामी के लिए कुल छह विधायक अब तक अपनी सीट छोड़ने की पेशकश कर चुके हैं. निश्चित ही सीएम बनाने के लिए ये समर्थन धामी को सुकून देने वाला है. लेकिन आखिरी फैसला तो केंद्रीय आलाकमान ही करने वाला है. एक कार्यकाल में तीन मुख्यमंत्री बदल चुकी बीजेपी इस बार कोई ऐसा चेहरा देना चाह रही है जो 5 साल तक मुख्यमंत्री का कार्यकाल पूरा करे और 2024 में राज्य के सभी 5 लोकसभा सीटों पर जीत दिलाने का टारगेट भी पूरा कर सके.


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