Pushkar Singh Dhami: जोशीमठ में बीते कई दिनों से स्थिति नाजुक बनी हुई है. जमीन धंसने के साथ-साथ शहर की इमारतों में दरारें देखने को मिल रही हैं. प्रशासन और सरकार ने खतरनाक इमारतों से लोगों को शिफ्ट कर दिया है. इस सबके बीच, पहाड़ों पर होने वाले निर्माण कार्यों को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं. ये भी पूछा जा रहा है कि जिन लोगों के घरों में दरारें हैं उनके लिए सरकार का क्या प्लान है? इन्हीं सब मुद्दों पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक इंटरव्यू में बात की है.


द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए धामी ने कहा कि जोशीमठ में अभी आठ तकनीकी संस्थान हैं, जो स्थिति पर अध्ययन कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अस्थायी राहत भी लोगों को दी जा रही है. अभी तक 307 प्रभावित परिवारों को अंतरिम राहत के रूप में 3.77 करोड़ रुपये दिए जा चुके हैं. धामी ने कहा कि अध्ययन कर रही एजेंसियों की रिपोर्ट के आधार पर ही पुनर्वास योजना बनाई जाएगी.


'70 प्रतिशत क्षेत्र अप्रभावित है'


पुष्कर सिंह धामी ने आगे कहा, "हमारा उद्देश्य लोगों को हर संभव सुविधाएं प्रदान करना और उन्हें बेहतरीन तरीके से पुनर्स्थापित करना है. जहां तक जोशीमठ के भविष्य का विचार है, लगभग 70 प्रतिशत क्षेत्र अप्रभावित है. दुकानें खुली हैं." उन्होंने कहा कि चार महीने बाद ही शुरू होती है यात्रा (चारधाम यात्रा)... पिछले साल यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या ने रिकॉर्ड बनाया था. हम इस साल भी तैयार हैं. अनावश्यक शंकाओं की कोई आवश्यकता नहीं है.


क्या स्थायी पुनर्वास पर कोई अंतिम निर्णय है?


CM पुष्कर सिंह धामी ने कहा, "जिलाधिकारी की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई है और वे आकलन सर्वेक्षण कर रहे हैं. स्थायी पुनर्वास के लिए सभी विकल्प खुले हैं. वर्तमान में लोग होटलों और अस्थायी आश्रयों में रह रहे हैं. अगला कदम उन्हें पूर्वनिर्मित संरचनाओं में स्थानांतरित करना होगा. तीसरा कदम एक चुने हुए और सत्यापित क्षेत्र में स्थायी पुनर्वास होगा."


उन्होंने कहा कि अभी कई विकल्पों पर गौर किया जा रहा है. एक है लोगों को पैसे देना और जहां चाहें वहां जाकर बसने की आजादी देना. दूसरा लोगों को अपना घर बनाने में मदद करने के लिए भूमि प्रदान कर रहा है. ये दोनों विकल्प उपलब्ध होंगे और लोगों को यह चुनने की स्वतंत्रता होगी कि वे क्या चाहते हैं. 


धामी ने कहा, "स्थायी पुनर्वास नीति निर्धारित होने तक आपदा प्रभावित भू-स्वामियों को 1.50 लाख रुपये की राशि पहले ही उपलब्ध कराई जा रही है. इसमें 1 लाख रुपये की अग्रिम राशि (जिसे समायोजित किया जाएगा) और माल के परिवहन और अन्य तत्काल जरूरतों के लिए अतिरिक्त 50,000 रुपये शामिल हैं."


केंद्र सरकार से आपकी क्या बात हुई है?


मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री खुद स्थिति का संज्ञान ले रहे हैं और लगातार इसकी निगरानी कर रहे हैं. उन्होंने जोशीमठ और उत्तराखंड को हर संभव मदद का आश्वासन दिया. हमने अमित शाहजी से आपदा राहत कार्य के लिए केंद्रीय सहायता प्रदान करने का अनुरोध किया और उन्होंने हर संभव मदद का आश्वासन भी दिया. हालांकि, हमने उन्हें सूचित किया कि केंद्रीय तकनीकी संस्थानों के साथ प्राथमिक चर्चा के आधार पर क्षेत्र में व्यापक पुनर्निर्माण की आवश्यकता है और तकनीकी सर्वेक्षण समाप्त होने के बाद अंतिम अनुमान दिया जाएगा.


अन्य जिलों में भी ऐसी ही स्थिति है, सरकार का प्लान क्या है?


पुष्कर सिंह धामी ने कहा, "हम एक ऐसा राज्य हैं जिसने हमेशा ऐसी आपदाओं का सामना किया है. यह हिमालयी क्षेत्र है और यह हमेशा भूगर्भीय रूप से बहुत सक्रिय रहा है... इससे बहुत सारी चीजें बदल जाती हैं, इसलिए हम जमीन की वहन क्षमता का आकलन करना चाहते हैं और उसके अनुसार योजना बनाना चाहते हैं."


धामी ने आगे कहा, "हमने नगर विकास विभाग को पहले ही निर्देश दे दिया है कि प्रत्येक जिले में प्रभावी नगरीय नगर नियोजन तैयार किया जाए. पर्वतीय नगरों में जल निकासी एवं सीवर व्यवस्था की प्रभावी व्यवस्था के भी निर्देश दिए गए हैं. मैंने अधिकारियों को चरणबद्ध योजना बनाने का भी निर्देश दिया है जहां ऐसी व्यवस्था नहीं है."


चारधाम रेलवे प्रोजेक्ट को रोका जाएगा?


मुख्यमंत्री ने कहा कि विशेषज्ञ रिपोर्टों और केंद्रीय एजेंसियों के निष्कर्षों ने परियोजनाओं और आपदाओं के बीच किसी तरह के संबंध की बात नहीं की है. मैं केवल इतना ही कहूंगा कि निष्कर्ष पर पहुंचना अच्छा विचार नहीं है और यह मानना ​​जल्दबाजी होगी कि दरारों का कारण क्या है. ऐसा दावा करने के लिए हमारे पास कुछ वैज्ञानिक आधार होने चाहिए."


उन्होंने कहा, "लोग अलग-अलग कारणों से दावे कर रहे होंगे. हमें यह समझने की जरूरत है कि बुनियादी ढांचे का विकास राज्य और देश के लिए महत्वपूर्ण है. विकास की जरूरत है और हम इसे यूं ही नहीं रोक सकते. अभी के लिए हमारा ध्यान प्रभावित लोगों के पुनर्वास पर है. हमें महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों का ध्यान रखना चाहिए. हमें बेहतर जल निकासी और सीवेज सिस्टम और पानी के आउटलेट की जरूरत है. यह हमारा फोकस है."


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