उत्तराखंड की सियासी उठापटक पर कांग्रेस का तंज- 'देवेंद्र' और 'त्रिवेंद्र' चले गए, अब अगला नंबर...
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि राजस्थान में वसुंधरा बनाम बीजेपी किसी ने नहीं छिपा है. मध्य प्रदेश और गोवा की स्थिति सब जानते ही हैं. बीजेपी दो भागों में बंट चुकी है.
नई दिल्ली: आखिरकार उत्तराखंड में कई दिनों से चल रहा सियासी सस्पेंस मंगलवार को खत्म हो गया. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मंगलवार को राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को अपना इस्तीफा सौंप दिया. इस तरह से त्रिवेंद्र सिंह रावत भी पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए. इस पर कांग्रेस ने तंज किया. कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि किसी कवि ने ठीक ही कहा है, ‘देवेंद्र’, ‘त्रिवेंद्र’ चले गए, अगला नम्बर "नरेंद्र" का है.
इसके साथ ही उन्होंने अपने एक और ट्वीट में कहा, "उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना पड़ा, त्रिपुरा के CM इस्तीफ़े की पेशकश कर चुके हैं, योगी सरकार के आधे विधायक उनके खिलाफ हस्ताक्षर कर चुके हैं, राजस्थान में वसुंधरा बनाम भाजपा किसी से छिपा नहीं, गोवा और मध्यप्रदेश की स्थिति सब जानते ही हैं, भाजपा दो भागों में बंट चुकी है."
किसी कवि ने ठीक ही कहा है, ‘देवेंद्र’, ‘त्रिवेंद्र’ चले गए, अगला नम्बर "नरेंद्र" का है.... https://t.co/KWfd5u0B1m
— Pawan Khera (@Pawankhera) March 9, 2021
पवन खेड़ा ने कहा, "उत्तराखंड की तस्वीर उत्तर प्रदेश से जुदा नहीं है. त्रिवेंद्र के अहंकार की बुनियाद पर निशंक ने दिल्ली में अपने दांव चले और इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया. 105 भाजपा विधायकों का योगी के खिलाफ हस्ताक्षर वाले पत्र पर केशव मौर्य थोड़ी मेहनत कर देते तो यूपी का भी यही हाल हो सकता था."
बता दें कि त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस्तीफे के बाद बुधवार सुबह 10 बजे राज्य पार्टी मुख्यालय में विधानमंडल दल की बैठक बुलाई गई है जिसमें सभी विधायकों की मौजूदगी में नए नेता का चयन किया जाएगा. बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और छत्तीसगढ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में बैठक में मौजूद रहेंगे.
मंगलवार शाम चार बजे के बाद मुख्यमंत्री राजभवन पहुंचे और राज्यपाल बेबी रानी मौर्य से मिलकर उन्हें अपना इस्तीफा सौंप दिया. बाद में मीडिया से बातचीत करते हुए त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया, ‘‘पार्टी ने सामूहिक रूप से यह निर्णय किया है कि मुझे अब किसी और को यह मौका देना चाहिए .’’ उन्होंने कहा, 'मैं अभी—अभी माननीय राज्यपाल को अपना त्यागपत्र सौंप कर आ गया हूं .’’ उन्होंने कहा कि उनके चार वर्ष का कार्यकाल पूरा होने में केवल नौ दिन कम रह गए हैं और उन्हें इतना ही मौका मिला .
यह पूछे जाने पर उनके इस्तीफे के पीछे क्या वजह रही, त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा, 'यह पार्टी का सामूहिक निर्णय होता है. इसका अच्छा जवाब पाने के लिए आपको दिल्ली जाना पड़ेगा .' उन्होंने अपने उत्तराधिकारी को शुभकामनांए भी दीं और कहा, ' अब जिनको भी कल दायित्व दिया जाएगा, वह उसका निर्वहन करेंगे . मेरी उनके लिए बहुत शुभकामनांए हैं . ' उन्होंने कहा कि वह लंबे समय से राजनीति में काम कर रहे हैं और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक के रूप में काम करने से लेकर उन्होंने उत्तराखंड का मुख्यमंत्री पद संभालने से पहले पार्टी के संगठन मंत्री के रूप में भी काम किया .
मुख्यमंत्री के रूप में पार्टी द्वारा दिए गए मौके को अपने 'जीवन का स्वर्णिम अवसर' बताते हुए उन्होंने कहा कि यह केवल बीजेपी में ही संभव हो सकता है कि एक छोटे से गांव के अति साधारण परिवार में जन्मे एक साधारण पार्टी कार्यकर्ता को भी सम्मान और सेवा का मौका मिल सकता है.
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