उत्तराखंड विधानसभा चुनावों के नतीजों के 11 दिन बाद भारतीय जनता पार्टी ने राज्य में मुख्यमंत्री पद के लिए पुष्कर सिंह धामी के नाम पर मुहर लगा दी है. सोमवार को विधायक दल की बैठक में खटीमा में चुनाव हारने के बावजूद पुष्कर सिंह धामी को विधायक दल का नेता चुना गया. पुष्कर सिंह धामी एक बार फिर 23 मार्च को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. 


पर्यवेक्ष रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उपपर्यवेक्षक मीनाक्षी लेखी ने सीएम नाम की घोषणा की है. शपथ ग्रहण की तैयारियां देहरादून के परेड ग्राउंड पर पहले ही शुरू कर दी गई थीं. हालांकि माना जाता है कि धामी के सिंहासन संभालने का फैसला पहले ही हो चुका था.


आइये समझते हैं धामी के पक्ष में क्या गया आखिर
 
पीएम मोदी का समर्थन 


20 तारीख की रात को पीएम मोदी के आवास पर चली मैराथन बैठक में धामी के नाम को हरी झंडी दे दी गई थी. 
धामी को मोदी के मिशन 2024 में सहायक समझा जा रहा है. 


दो तिहाई बहुमत से जीत 


धामी के पक्ष में जो बात गई वो है उनके नेतृत्व में बीजेपी ने इतिहास बनाया. ना सिर्फ दोबारा वापसी की बल्कि दो तिहाई बहुमत भी हासिल किया. 70 में से 47 सीट जीतना धामी के पक्ष में गया. 


साफ छवि का फायदा मिला 


धामी को साफ छवि का फायदा भी मिला है. धामी 45 साल की उम्र में 
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बने थे. साफ छवि और युवा होने का साथ-साथ धामी विकास और धर्म दोनों को साथ लेकर चलते हैं.


बता दें, पुष्कर सिंह धामी के पिता सेना में सूबेदार थे. धामी ने वकालत की डिग्री ली हुई है. धामी RSS से भी जुड़े हैं और दो बार बीजेपी की छात्र इकाई के अध्यक्ष रह चुके हैं. दिलचस्प ये है कि सीएम बनने से पहले धामी कभी मंत्री भी नहीं बने थे. लेकिन पीएम मोदी ने उन पर भरोसा जता कर काम करने का मौका दिया है, जिसे साबित करने की जिम्मेदारी अब धामी के कंधे पर हैं.


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