उत्तराखंडः अनलॉक-1 में खुले धार्मिक स्थल, सरकार ने चारधाम यात्रा शुरू करने का फैसला देवस्थानम् बोर्ड पर छोड़ा
जैसे जैसे लॉकडाउन में ढील दी जा रही है वैसे ही मंदिरों और धार्मिक स्थानों को खोले जाने की बात पर गहमागहमी का माहौल है. उत्तराखंड सरकार ने चारधाम यात्रा को श्रद्धालुओं के लिए खोलने के संबंध में रविवार को फैसला नवगठित चारधाम देवस्थानम् बोर्ड पर छोड़ दिया है.
देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने कोरोना वायरस संकट के मद्देनजर चारधाम यात्रा को श्रद्धालुओं के लिए खोलने के संबंध में रविवार को फैसला नवगठित चारधाम देवस्थानम् बोर्ड पर छोड़ दिया. हालांकि, सरकार ने देहरादून नगर निगम और कन्टेनमेंट जोन में स्थित अन्य धार्मिक स्थलों पर श्रद्धालुओं के लिए लगाई गयी पाबंदी फिलहाल जारी रखने का निर्णय किया.
यहां देर रात मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह द्वारा जारी आदेश के अनुसार, प्रदेश के धार्मिक स्थल सुबह सात बजे से लेकर शाम सात बजे तक खुले रहेंगे. आदेश में सरकार ने कहा कि चारधाम देवस्थानम् बोर्ड चारों धामों को श्रद्धालुओं के लिए खोलने के संबंध में जिला प्रशासन तथा हितधारकों के साथ विचार करके अपना निर्णय ले सकता है.
दूसरे प्रदेश के श्रद्धालु को नहीं मिली अनुमती
सरकार ने हालांकि अपने आदेश में यह स्पष्ट कर दिया है कि बाहर के प्रदेशों से श्रद्धालुओं को आने की अभी अनुमति नहीं दी गयी है. बद्रीनाथ मंदिर से लेकर यमुनोत्री मंदिर और नीलकंठ महादेव मंदिर आदि प्रमुख मंदिरों के मुख्य पुजारियों और पूजा-अर्चना से जुड़े तीर्थ पुरोहितों ने सरकार को पत्र भेजकर इस विषय में अपनी आशंकाएं जताते हुए फिलहाल मंदिरों को श्रद्धालुओं के लिए न खोले जाने का आग्रह किया था.
बद्रीनाथ यात्रा को 30 जून तक बंद रखने का आग्रह
बद्रीनाथ धाम के मुख्य पुजारी रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी और मंदिर में पूजा अर्चना कार्यों में लगे 24 से अधिक लोगों ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को एक ज्ञापन भेजकर बद्रीनाथ यात्रा को फिलहाल 30 जून तक बंद रखने का आग्रह किया था. बद्रीनाथ धाम के धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल ने बताया कि कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए यह आग्रह किया गया. उन्होंने कहा 'यह समय की जरूरत है। संक्रमितों की बढ़ती संख्या को देखते हुए बद्रीनाथ की यात्रा फिलहाल स्थगित रखने में सभी की सुरक्षा है.'
यात्रा शुरू करने से बढ़ सकता है कोरोना वायरस का संक्रमण
यमुनोत्री धाम के तीर्थ पुरोहित एवं मंदिर समिति भी अभी यात्रा शुरू करने के विरोध में हैं और उनका कहना है कि कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा समाप्त होने तक यात्रा शुरू करना उचित नहीं है. यमुनोत्री मंदिर समिति के सचिव कृतेश्वर उनियाल ने कहा कि अभी यात्रा शुरू करने से पहाड़ी क्षेत्र कोरोना वायरस संक्रमण की चपेट में आ सकता है जिससे कई जीवन खतरे में पड़ जाएंगे. ऋषिकेश के निकट नीलकण्ठ महादेव मंदिर के महंत सुभाष पुरी ने भी कहा कि सरकार को अभी 30 जून तक तीर्थाटन शुरू नहीं करना चाहिए.
उन्होंने कहा कि स्थानीय लोग भी नहीं चाहते कि कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे के बीच बाहर से यात्री नीलकण्ठ आएं. महंत ने कहा कि इस संबंध में सरकार को एक पत्र भेजकर अपनी भावनाओं से अवगत करा दिया गया है. अल्मोडा जिले के प्रसिद्ध गोलू देवता और जागेश्वर मंदिर के पुजारियों ने भी मंदिरों को श्रद्धालुओं के लिए खोले जाने के लिए अभी उचित समय नहीं बताया है.
हर की पौड़ी को किया गया सैनिटाइज
इस बीच, हरिद्वार में भी हर की पौड़ी तथा अन्य धार्मिक स्थलों को खोलने की कवायद शुरू कर दी गयी है. गंगा सभा हरिद्वार के अध्यक्ष प्रदीप झा ने बताया कि हर की पौड़ी को सैनिटाइज किया गया है. उन्होंने कहा कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं से सामाजिक दूरी सहित सभी नियमों का पालन कराया जाएगा.
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