Joshimath: उत्तराखंड के जोशीमठ में तबाही का मंजर देख विशेषज्ञों की टीम भी हैरान रह गई. यहां हर जगह दरारें देखने को मिल रही हैं. अब एक मंदिर भी भू-धंसाव से क्षतिग्रस्त हो गया है. दर्जनों घरों और इमारतों की दीवारों, दरवाजों, फर्श, सड़कों पर दरारें दिख रही हैं. अब तीर्थ पुरोहित और साधु-संत भी इसे लेकर चिंता जाहिर कर रहे हैं. शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि ज्योतिर्मठ भी इसकी चपेट में आ रहा है. 


शंकराचार्य ने कहा कि पिछले एक साल से जमीन धंसने के संकेत मिल रहे थे लेकिन समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया. इसकी अनदेखी होती रही, जिसके दुष्परिणाम सामने आने लगे हैं. उन्होंने बताया कि एक हफ्ते से जमीन धंसने से 500 से ज्यादा मकान प्रभावित हुए हैं. मकानों में दरारें आ गई हैं.  


'खतरे में हजारों लोगों का जीवन'


हिमालयी क्षेत्रों के विकास के नाम पर सुनियोजित विनाश किया जा रहा है और आज इसी का नतीजा है की भारतीय संस्कृति के जोशीमठ में हजारों लोगों का जीवन खतरे में है. धर्मगुरु की इस गंभीर चिंता के बीच केंद्र सरकार ने जोशीमठ भू-धंसाव के रहस्य का पता लगाने के लिए 6 सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया है. 


धर्मगुरु की इस गंभीर चिंता के बीच वैज्ञानिक भू-धंसाव का कारण खोजने में जुटे हैं. आईआईटी रुड़की के अर्थ साइंस डिपार्टमेंट में एक मशीन उपलब्ध है जिसे इलेक्ट्रिक एक्सेसिबिलिटी डेमोग्राफी के नाम से जाना जाता है. इससे जमीन के अंदर कई तरह की इमेज ली जा सकती है जोकि भू-धंसाव की जांच में काफी फायदेमंद साबित हो सकती है. 


अति संवेदनशील क्षेत्रों को लेकर अलर्ट 


मंदिर के धराशायी होने की खबर से अब लोगों में दहशत और ज्यादा बढ़ गई है. सिंहधार वार्ड में मां भगवती का मंदिर ढह गया, जिसके बाद से लोगों की चिंताएं बढ़ गई हैं. वहीं, इससे पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जोशीमठ के अति संवेदनशील (डेंजर जोन) वाले क्षेत्रों में बने भवनों को तत्काल खाली कराने के निर्देश दिए थे. 


600 परिवारों की होगी शिफ्टिंग


शहर के कई घरों में दरारें आ गई हैं और यहां जमीन धंस रही हैं. धामी ने अधिकारियों के साथ जोशीमठ की मौजूदा स्थिति की समीक्षा करने के बाद कहा कि लोगों की जान बचाना हमारी पहली प्राथमिकता है. अधिकारियों को जोशीमठ के जोखिम वाले घरों में रहने वाले लगभग 600 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट करने के लिए कहा गया है.


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