देहरादून: उत्तराखंड के जोशीमठ के चांई गांव में सात जून को बादल फटने जैसी बारिश हुई जिससे गांव में भारी नुकसान हुआ. लोग मदद के लिए मुआवजा बंटने का इंतजार कर रहे थे. प्रशासन ने मुआवजा बांटना शुरू किया तो लोग हैरत में पड़ गए. मानवता को शर्मसार करने वाली बात ये है कि मुआवजे के तौर पर किसी को 112 रुपए तो किसी को 187 रुपए का चेक मिला.


लाखों का नुकसान, 112 रुपए का हर्जाना
प्रशासन द्वारा किए गए सर्वे में गांव के 94 लोगों की जमीन को नुकसान और एक बिल्डिंग को आंशिक क्षति की बात सामने आई है. इसके लिए प्रशासन 112 रुपए की आर्थिक सहायता बांट रहा है. ग्रामीण बताते हैं कि उन्हें प्रशासन द्वारा जोशीमठ में मुआवजा राशि लेने के लिए बुलाया गया. जब उन्हें चेक मिला तब उसमें 187 रुपए और 112 रुपए जैसी राशी दर्ज थी.


सीएम ने दिए जांच के आदेश
इस बारे में जब सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से बात की गई तब उन्होंने कहा कि उन्हें भी इस बात की जानकारी मिली है. उन्होंने कहा कि ऐसा कैसे हुआ ये पता करने के लिए मामले में जांच के आदेश दिए गए है और जल्द ही लोगों को राहत के तौर पर जायज भुगतान किया जाएगा


गांव वालों के जख्म पर नमक
ग्रामीण बताते हैं कि उनके गांव से जोशीमठ में आने में ही 60 रुपए खर्च हो जाते हैं और पूरा दिन भी लगता है. उनका कहना है कि इससे अच्छा तो ये होता कि प्रशासन उन्हें यह राशि नहीं देता. गांव वालों का कहना हैं कि गांव के दर्जनों लोग ऐसे भी हैं जिनको 150-450 रुपए तक का मुआवजा दिया गया है. यह प्रभावितों के जख्म में नमक छिड़कने जैसा है.


खौफ के साए में बितता जीवन
आपको बता दें कि बारिश के कहर की मार झेलने वाले चांई गांव के लोग आज भी खौफ के साये में रात बिता रहे हैं. ग्रामीणों की मांग के मुताबिक उनका पुनर्स्थापन तो नहीं किया जा रहा है लेकिन मानकों की दुहाई देकर प्रशासन उन्हें ऐसे मज़ाकिया चेक मुआवजे के रूप में दे रहा है. इस तरह के चेक बांटना प्रशासन की संवेदनहीनता को दर्शाता है.


एक हेक्टेयर का मुआवजा है 37,500 रुपए
वैसे उत्तराखंड सरकार एक हेक्टेयर के नुकसान के लिए 37,500 रुपए का मुआवजा देती है. लेकिन आपदा के लिहाज से ये कीमत बेहद कम है. वहीं, जोशीमठ के वशिष्ठ तहसीलदार चन्द्रशेखर का कहना है कि मानक के अनुरुप ही हर किसान को उसकी भूमि का मुआवजा दिया गया है.


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