Tunnel Accident: 'बचाव अभियान के लिए समय सीमा देना गलत, बढ़ेगा दबाव', जानें रेस्क्यू ऑपरेशन से जुड़ी 10 बड़ी बातें
Uttarakhand Tunnel Rescue: उत्तराखंड की सुरंग दुर्घटना में फंसे 41 मजदूरों को निकालने के लिए चलाए जा रहे बचाव अभियान के आज खत्म होने के आसार हैं. हालांकि अधिकारियों ने समय सीमा तय नहीं की है.
Uttarakhand Tunnel Accident Rescue Operation Update: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में सिल्कयारा सुरंग में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए चलाए जा रहे रेस्क्यू ऑपरेशन का आज शुक्रवार (24 नवंबर) को 13वां दिन है. 46.8 मीटर तक की ड्रिलिंग के बाद, अधिकारियों का मानना है कि ढहे हुए स्ट्रक्चर के मलबे से 41 श्रमिकों को निकालने का बचाव अभियान आज खत्म होने की संभावना है.
हालांकि युद्ध स्तर पर चल रहे बचाव अभियान के बावजूद मजदूरों को निकालने में कितना वक्त लगेगा, इस बारे में कोई समय सीमा तय नहीं हो पा रही है. अधिकारियों ने कहा कि इस अभियान के लिए कोई समयसीमा देना उचित नहीं होगा, क्योंकि इससे एनडीआरएफ के उन बहादुर जवानों पर दबाव बढ़ेगा जो पहले से ही विपरीत परिस्थितियों में चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं. हम आपको यहां कुछ बिंदुओं में बताते हैं कि मजदूरों को बाहर निकालने के लिए क्या कुछ अंतिम तैयारी की गई है.
1. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन ने बचाव अभियान के लिए समय सीमा पर बात नहीं करने का सुझाव दिया है. उन्होंने कहा, "कई विशेषज्ञ समय सीमा पर बात कर रहे हैं, लेकिन याद रखें कि ये ऑपरेशन एक युद्ध की तरह है. हम नहीं जानते कि दुश्मन कैसे प्रतिक्रिया देगा. यहां हिमालय है. यहां भूविज्ञान हमारा दुश्मन है. कोई नहीं जानता की सुरंग किस एंगल से गिरी है. समय सीमा तय करने पर बचाव दल पर दबाव बढ़ेगा."
2. यहां मजदूरों तक पहुंचने के लिए ड्रिलिंग का काम फिलहाल रुका हुआ है. ड्रिलिंग के आखिरी चरण पर काम शुरू करने के बाद गुरुवार की रात ऑगर मशीन में तकनीकी खराबी आने के बाद काम रोक दिया गया.
3. प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे ने उम्मीद जताई कि ड्रिलिंग प्रक्रिया शुक्रवार सुबह 11-11:30 बजे के आसपास फिर से शुरू होगी. उन्होंने कहा, "ग्राउंड पेनेट्रेशन रडार अध्ययन से पता चला है कि अगले 5 मीटर में कोई धातु अवरोध नहीं है."
4. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी लगातार मौके पर बने हुए हैं. रात को भी वह वहीं ठहरे हुए थे. उन्होंने वहां अपना अस्थायी कैंप ऑफिस बनाया है, ताकि उनके रोजमर्रा के काम में कोई बाधा न आए. वह बचाव अभियान की निगरानी कर रहे हैं.
5. राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) के प्रमुख अतुल करवाल ने कहा कि एनडीआरएफ के जवान 'हर तरह से तैयार' हैं और उन्होंने पहले ही रिहर्सल कर लिया है कि लोगों को सुरक्षित कैसे निकाला जाए. वह कहते हैं, "लड़के (एनडीआरएफ) पहले अंदर जाएंगे...हमने स्ट्रेचर के नीचे पहिए लगाए हैं ताकि जब हम अंदर जाएं तो स्ट्रेचर पर मौजूद लोगों को एक-एक करके बाहर निकाल सकें."
6. बिना किसी प्राकृतिक रोशनी के मलबे के नीचे 12 दिनों तक रहने और भरपेट भोजन करने के बावजूद उनकी स्वास्थ्य स्थिति उन्हें शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण कार्य करने से रोक सकती है. इसके लिए तैयारियां की गई हैं.
7. अधिकारियों के मुताबिक, एनडीआरएफ के जवान उस स्ट्रेचर को रस्सी की मदद से खींचेंगे, जिस पर एक-एक कर श्रमिक को लिटाया जाएगा. इससे मजदूरों को निकलने के लिए खुद मेहनत नहीं करनी पड़ेगी.
8. करवाल के अनुसार, सुरंग के मुहाने से निकली बचाव पाइपलाइन को पहले वर्कर साफ करेंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी मलबा स्ट्रेचर की आवाजाही में बाधा न बने.
9. सुरंग के अंदर फंसे मजदूर के दिमाग पर भारी स्ट्रेस है. इसे कम करने के लिए एनडीआरएफ ने ताश के पत्ते और लूडो भेजे हैं, ताकि मजदूर अंदर खेल कर थोड़े रिलैक्स हो सकें.
10. बचाव अभियान पर प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से भी लगातार नजर रखी जा रही है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से बात कर एक दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अभियान का अपडेट लिया था.