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Uttarakhand Tunnel Collapse: वर्टिकल ड्रिलिंग का 40% काम पूरा, मलबा साफ करने में जुटे 'रैट हॉल माइनिंग' एक्सपर्ट्स, पढ़ें अपडेट्स

Uttarakhand Tunnel Collapse Updates: उत्तराखंड में हुए सुरंग हादसे में फंसे हुए मजदूरों को बाहर निकालने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. आइए रेस्क्यू ऑपरेशन से जुड़े अपडेट्स जानते हैं.

Uttarakhand Tunnel Collapse News: उत्तराखंड सुरंग हादसे को मंगलवार (28 नवंबर) को 17वां दिन है. इस सुरंग हादसे में कुल मिलाकर 41 मजदूर फंसे हुए हैं, जिन्हें बाहर निकालने का काम जारी है. दरअसल, 12 नवंबर को यमुनोत्री नेशनल हाइवे पर बन रही सिलक्यारा सुरंग का एक हिस्सा ढह गया. इस वजह से ही मजदूर उसके भीतर फंस गए. उन्हें बाहर निकालने के लिए युद्ध स्तर पर बचाव अभियान चलाया जा रहा है. 

सुरंग में फंसे हुए लोगों को घर का बना हुआ खाना, पानी और दवाओं की लगातार सप्लाई की जा रही है. इसके लिए 6 इंच की पाइप का सहारा लिया जा रहा है, जिसे मलबे के बीच से होते हुए मजदूरों तक पहुंचाया गया है. वर्टिकल ड्रिलिंग पूरा होने के बाद 41 मजदूरों को एयरलिफ्ट किया जाएगा और उन्हें नजदीकी मेडिकल फैसिलिटी में लेकर जाया जाएगा, जहां उनका इलाज होगा. ऐसे में आइए जानते हैं कि उत्तराखंड सुरंग हादसे के लेटेस्ट अपडेट्स क्या हैं.

  • 'रैट हॉल माइनिंग' एक्सपर्ट्स को बुलाया गया है, जो सुरंग में मलबे को हाथ से साफ कर रहे हैं. अगर कहीं सरिया या गर्डर या अन्य प्रकार की मुश्किलें आयीं तो मशीन से उसे काटा जाएगा और फिर मशीन से पाइपों को अंदर डाला जाएगा. सुरंग के मलबे के आखिरी 10-12 मीटर की हाथ से सफाई हो रही है. 
  • 'रैट हॉल माइनिंग' एक्सपर्ट्स से पहले मलबे को साफ करने का काम ऑगर मशीन के जरिए किया जाना था. मगर इसके फंसने के बाद दूसरे विकल्पों की तलाश की गई. मजदूरों तक पहुंचने के लिए की जाने वाली 86 मीटर की वर्टिकल ड्रिलिंग में से 40 फीसदी काम पूरा हो गया है. 
  • वर्टिकल और मैन्युअल हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग वो दो तरीके हैं, जिनके जरिए सुरंग में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने का काम किया जा रहा है. सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि सुरंग के बारकोट वाले हिस्से से भी हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग की जा रही है. 
  • वर्टिकली 86 मीटर ड्रिल किया जा चुका है, ताकि एस्केप पैसेज तैयार किया जा सके. सुरंग के टॉप हिस्से के जरिए 1.2 मीटर व्यास के पाइपों को वर्टिकल रूप से बिछाया जाना है, जिस पर फंसे हुए मजदूरों तक पहुंचने के दूसरे विकल्प के रूप में रविवार को काम शुरू हुआ. 
  • राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन ने कहा, ऑगर मशीन के टूटे हुए ब्लेड को पूरी तरह से बरामद कर लिया गया है. रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा होने की टाइमलाइन को लेकर पूछे सवाल पर उन्होंने कहा कि इसका जवाब देना अभी मुश्किल है. 
  • राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड के एमडी महमूद अहमद ने कहा कि उत्तरकाशी सुरंग में वर्टिकल ड्रिलिंग का काम 30 नवंबर तक पूरा हो जाएगा. सरकारी और प्राइवेट एजेंसी रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी हुई हैं. 
  • प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले 15 दिनों से सुरंग में फंसे मजदूरों की सुरक्षित निकासी के लिए ‘कोटि दीपोत्सवम’ में प्रार्थना की. उन्होंने कहा कि सरकार श्रमिकों को सुरक्षित और जल्द से जल्द निकालने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है. पीएम मोदी ने कहा, 'लेकिन, हमें इस राहत और बचाव अभियान को बहुत सतर्कता के साथ पूरा करना है. इस प्रयास में प्रकृति हमें लगातार चुनौतियां दे रही है, लेकिन हम मजबूती से डटे हैं. हम 24 घंटे प्रयास कर रहे हैं. हमें उन श्रमिकों की यथाशीघ्र सुरक्षित निकासी के लिए प्रार्थना करनी होगी.'
  • प्रधानमंत्री के प्रिंसिपल सेक्रेटरी प्रमोद कुमार मिश्रा ने सुरंग हादसे वाली जगह का दौरा किया. केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला और उत्तराखंड मुख्य सचिव एसएस संधू भी घटनास्थल पर पहुंचे. तीनों की टॉप लेवल के अधिकारियों ने सुरंग हादसे के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन का जायजा लिया. मिश्रा ने मजदूरों के परिजनों से भी बात की. 
  • गौतम अडाणी के समूह ने कहा कि उत्तराखंड की सिलक्यारा सुरंग के निर्माण में उनकी कोई प्रत्यक्ष या परोक्ष भागीदारी नहीं है. अडानी ग्रुप के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘हम स्पष्ट करते हैं कि अडाणी समूह या उसकी किसी अनुषंगी कंपनी की सुरंग के निर्माण में किसी भी प्रकार की प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष भागीदारी नहीं है. हम यह भी स्पष्ट करते हैं कि सुरंग के निर्माण में शामिल कंपनी में हमारी कोई हिस्सेदारी नहीं है.’ 
  • सुरंग में फंसे हुए मजदूरों के मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रोबोट्स के जरिए रखा जा रहा है. रोबोटिक्स एक्सपर्ट मिलिंद राज ने काह कि रोबोट मजदूरों के मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रख रहे हैं. हमारे पास मजदूरों के स्वास्थ्य का ख्याल रखने के लिए 24 घंटे निगरानी करने वाला सिस्टम है. इंटरनेट सर्विस भी मुहैया कराई गई है. रोबोटिक सिस्टम के जरिए सुरंग में मीथेन जैसी खतरनाक गैस का पता लगाया जा सकेगा. 
  • वैकल्पिक रास्ता तैयार करने हेतु सुरंग के ऊपर से की जा रही वर्टिकल ड्रिलिंग 36 मीटर तक पहुंच गई है. अधिकारियों ने यहां बताया कि चारधाम यात्रा मार्ग पर बन रही इस सुरंग के अवरूद्ध हिस्से में शेष बचे 10-12 मीटर के मलबे को साफ करने के काम में 'रैट होल माइनिंग' के इन विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है.        
  • बचाव कार्यों में सहयोग के लिए उत्तराखंड सरकार की ओर से नियुक्त नोडल अधिकारी नीरज खैरवाल ने सिलक्यारा में मीडिया को बताया कि तड़के तक मलबे के अंदर फंसे ऑगर मशीन के हिस्सों को काटकर निकाल दिया गया.  उन्होंने कहा कि ऑगर मशीन का हेड (सिरा) भी पाइप के अंदर फंसा हुआ था और अब उसे भी हटा दिया गया है. हालांकि, उन्होंने कहा कि मशीन के ‘हेड’ को निकालने के लिए कुल 1.9 मीटर पाइप को भी काटना पड़ा. 
  • नीरज खैरवाल ने बताया कि उसके बाद सुरंग के मलबे के अंदर बारी-बारी से 220 मिमी, 500 मिमी और 200 मिमी लंबी यानी कुल 0.9 मीटर लंबी पाइप डाली गई. उन्होंने बताया कि काम शुरू हो गया है, लेकिन इसके पूरा होने की समयसीमा नहीं बतायी जा सकती. 
  • महमूद अहमद ने कहा कि मलबे में 0.9 मीटर लंबी पाइप डाली जा चुकी है जबकि एक मीटर पाइप और डालकर पहले वाली लंबाई प्राप्त की जाएगी. उन्होंने कहा कि इसके बाद मलबे में छह मीटर लंबी पाइप डाली जाएगी जो कठिन और चुनौतीपूर्ण हो सकता है. हालांकि, उन्होंने कहा कि इसकी नियमित समीक्षा की जा रही है और सभी प्रकार के जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं ताकि जल्द से जल्द मलबे को पार किया जा सके.
  • महमूद अहमद ने बताया कि सतलुज जलविद्युत निगम द्वारा सुरंग के शीर्ष से की जा रही वर्टिकल ‘ड्रिलिंग’ का काम बहुत अच्छे से चल रहा है और अब तक 36 मीटर ‘ड्रिलिंग’ हो चुकी है. उन्होंने बताया कि श्रमिकों तक पहुंचने के लिए कुल 86 मीटर तक ‘ड्रिलिंग’ की जानी है जिसमें से 50 मीटर तक ‘ड्रिलिंग’ करना शेष है.    

यह भी पढ़ें: सुरंग में फंसे मजदूरों को बचाने के लिए तीन प्लान तैयार, वर्टिकल ड्रिलिंग जारी, जानें उठाए जा रहे कौन से कदम?

 

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