Uttarakhand Tunnel Collapse: सुरंग में फंसी 41 जान, वर्टिकल ड्रिलिंग समेत ये 5 ऑप्शन रेस्क्यू का काम करेंगे आसान
Uttarakhand Tunnel Accident: उत्तराखंड में हुए सुरंग हादसे में 41 मजदूर फंसे हुए हैं. इन्हें बाहर निकालने के लिए 12 नवंबर से ही रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है.
Uttarakhand Tunnel Collapse: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में हुए सुरंग हादसे में फंसे 41 मजूदर दिन-रात उससे बाहर आने की दुआ कर रहे हैं. रेस्क्यू टीमों ने भी अब रफ्तार पकड़ ली है और मजदूरों को जल्द से जल्द बाहर लाने के लिए काम हो रहा है. सिलक्यारा-बड़कोट सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने के रेस्क्यू ऑपरेशन का आज (27 नवंबर) 16वां दिन है. मजदूरों को बाहर निकालने के लिए कुल मिलाकर पांच योजनाओं पर काम किया जा रहा है.
मजदूरों को बाहर निकालने के लिए वैकल्पिक रास्ता तैयार करने के लिए रविवार (26 नवंबर) को सुरंग के ऊपर से लंबवत (वर्टिकल) ‘ड्रिलिंग’ शुरू की गई और पहले दिन करीब 20 मीटर खुदाई कर ली गई. ये उन पांच विकल्पों में से एक विकल्प है, जिसके जरिए मजदूरों को सकुशल बाहर लाया जाएगा. रेस्क्यू ऑपरेशन में अब भारतीय सेना भी जुट गई है. ऐसे में आइए इन पांच विकल्पों के बारे में जानते हैं, जिनके जरिए मजदूरों को सुरंग से बाहर लाने की तैयारी हो रही है.
- वर्टिकल एस्केप पैसेज बनाने के लिए 86 मीटर तक ड्रिल किया जाएगा, ताकि मजदूरों तक पहुंचा जा सके. रविवार शाम तक 19.5 मीटर तक खुदाई की गई. राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) के प्रबंध निदेशक महमूद अहमद ने बताया है कि अगर कोई परेशानी नहीं होती है, तो गुरुवार तक वर्टिकल ड्रिलिंग का काम पूरा हो जाएगा. एस्केप पैसेज बनाने के लिए ड्रिलिंग करके 700 मिमी पाइप मलबे के अंदर डाले जा रहे हैं. इससे कुछ दूरी पर, इससे पतले 200 मिमी व्यास के पाइप अंदर डाले जा रहे हैं जो 70 मीटर तक पहुंच चुके हैं.
- सुरंग के सिल्क्यारा-छोर से हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग के दौरान मिली असफलताओं के बाद वर्टिकल बोरिंग का ऑप्शन चुना गया था. सिल्क्यारा छोर पर लगभग 60 मीटर का मलबा रास्ते में बाधा बन गया था. हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग के लिए इस्तेमाल की जाने वाली बड़ी ऑगर ड्रिल शुक्रवार को फंस गई, जिसके वजह से अधिकारियों को 25 टन की मशीन को छोड़ना पड़ा और उन्हें रेस्क्यू के अन्य तरीके खोजने पड़े हैं.
- मजदूरों को बाहर निकालने के लिए एक और संभावित तरीका बगल से ड्रिलिंग करना है. हालांकि, इसके लिए अभी तक जरूरी मशीनरी घटनास्थल पर नहीं पहुंच पाई है. एनडीएमए सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) सैयद अता हसनैन ने कहा कि रविवार रात तक मशीनों को सुरंग हादसे वाली जगह पर पहुंचना था. उनके जरिए ही मजदूरों तक पहुंचने के 17 मीटर के रास्ते को साफ किया जाना था.
- सुरंग के बड़कोट छोर से ब्लास्टिंग तकनीक का इस्तेमाल करके 483 मीटर लंबी बचाव सुरंग बनाने की योजना पर भी काम चल रहा है. रविवार सुबह तक पांच धमाके 10-12 मीटर के क्षेत्र में हो चुके हैं. हसनैन ने कहा कि बचाव अभियान में तेजी लाने के लिए प्रतिदिन तीन विस्फोट करने की कोशिश की जा रही है.
- अधिकारियों ने कहा कि फंसे हुए मजदूरों के लिए सुरंग के भीतर रोशनी, ऑक्सीजन, भोजन, पानी और दवाएं उपलब्ध हैं. इससे पहले, ऑगर ड्रिलिंग मशीन के खराब होने की वजह से बचाव अभियान रुकने के बाद उन्हें तनाव से राहत पाने के लिए मोबाइल फोन और बोर्ड गेम उपलब्ध कराए गए थे.
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