(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
क्या है डीआरडीओ का ROV दक्ष, जिसे उत्तरकाशी सुरंग बचाव अभियान में किया गया तैनात, जानें खासियत
Uttarakhand Tunnel Collapse: उत्तरकाशी में 12 नवंबर को भूस्खलन के बाद सिलक्यारा सुरंग के कुछ हिस्से ढह गए थे, जिससे काम कर रहे 41 श्रमिक अंदर फंस गए. उन्हें निकालने के लिए बचाव अभियान जारी है.
Uttarakhand Tunnel Collapse Rescue Opration: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में पिछले दिनों निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग के कुछ हिस्से ढह जाने के बाद फंसे 41 श्रमिकों को बाहर निकालने की मशक्कत सोमवार (20 नवंबर) को भी जारी है.
बचाव अभियान के दौरान रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) की ओर से विकसित किए गए दूर से संचालित होने वाले वाहन (ROV) 'दक्ष' का इस्तेमाल रोबोटिक्स टीम की ओर से किया जा रहा है. यह विशेष क्षमताओं वाला उपकरण है जो सेना, पुलिस और अर्धसैनिक बलों के काम आता है. आइये जानते हैं इसकी खासियतें.
क्या है ROV दक्ष?
एचटी की रिपोर्ट के मुताबिक, इस आरओवी को विशेष रूप से मोटर चालित पैन-टिल्ट प्लेटफॉर्म पर इस्तेमाल के लिए डिजाइन किया गया है, जो जोखिम भरे इलाके तक पहुंचने में मदद कर सकता है.
रिपोर्ट में डीआरडीओ के हवाले से बताया गया है कि आरओवी दक्ष कई क्षमताओं वाला उपकरण है, जिसका इस्तेमाल इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइसेज (आईईडी) का पता लगाने और प्रबंधन करने, परमाणु और केमिकल कंटैमिनेशन का सर्वेक्षण करने और खतरनाक चीजों को संभालने के लिए किया जाता है.
इस उपकरण में सीढ़ी पर चढ़ने की क्षमता है और एक बार पूरी तरह से चार्ज होने पर यह लगातार तीन घंटों तक काम कर सकता है. साथ ही यह 100 से 500 मीटर से ज्यादा दूरी पर काम करने की क्षमता रखता है. आधा किलोमीटर के दायरे में इसे दूर से नियंत्रित किया जा सकता है.
सेना, पुलिस और अर्धसैनिक बलों की बम निरोधक इकाइयां इसका इस्तेमाल आईईडी और अन्य खतरनाक चीजों से निपटने के लिए करती है. इस उपकरण का मैनिपुलेटर हाथ 2.5 मीटर दूर से 20 किलो और 4 मीटर दूर से 9 किलोग्राम वजन वाली खतरनाक वस्तुओं को संभाल सकता है. इसी के साथ यह दक्ष कई कैमरों, आईईडी हैंडलिंग टूल्स, परमाणु जैविक रसायन (एनबीसी), टोही प्रणाली, एक मास्टर कंट्रोल स्टेशन (एमसीएस) और एक शॉटगन से लैस है.
बचाव अभियान जारी
सुरंग स्थल पर बचाव अभियान में कई संगठन काम कर रहे हैं. 12 नवंबर को भूस्खलन के बाद सिल्कयारा सुरंग के कुछ हिस्से ढह गए थे, जिससे 41 निर्माण श्रमिक मलबे के एक विशाल ढेर के पीछे फंसे हुए हैं. फंसे हुए श्रमिकों को 4 इंच की कंप्रेसर पाइपलाइन के माध्यम से खाने-पीने की जरूरी चीजें पहुंचाई जा रही हैं. उन्हें इसके जरिये चना, मुरमुरे, बादाम और दवाइयां आदि दी जा रही हैं.
नेशनल हाइवेज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (NHIDCL) वर्तमान में खाद्य आपूर्ति के लिए 6 इंच की नई पाइपलाइन इंस्टॉल कर रहा है. 60 में से 39 मीटर की ड्रिलिंग पूरी कर ली गई है और सुरक्षा उपाय सुनिश्चित होने के बाद सिल्क्यारा छोर से ड्रिलिंग जारी रखने की योजना है.
बचाव अभियान में रेल विकास निगम लिमिटेड, टेहरी जलविद्युत विकास निगम, सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड और तेल और प्राकृतिक गैस निगम भी भूमिका निभा रहे हैं. बचाव अभियान के लिए उपकरण गुजरात और ओडिशा से लाए गए हैं.
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