Uttarakhand Tunnel Collapse Rescue: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए बचाव अभियान जारी है. इस बीच गुरुवार (23 नवंबर) को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) सैयद अता हसनैन ने कहा कि श्रमिकों को अगले कुछ घंटों या शुक्रवार (24 नवंबर) तक बाहर निकाला जा सकता है.
श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए ‘ड्रिलिंग’ कार्य में बाधाओं का सामना करना पड़ा, जिसके कारण बचाव कार्य अस्थायी रूप से रोक दिए गए थे. वहीं, इंटरनेशनल टनलिंग एक्सपर्ट अर्नोल्ड डिक्स ने कहा, ''हम लोगों को वापस लाने के लिए रास्ता खोजने से सिर्फ कुछ मीटर दूर हैं. लोग सुरक्षित हैं.''
उन्होंने कहा, ''बरमा मशीन टूट गई है, जिसकी मरम्मत हो रही है और उसे कल तक वापस आ जाना चाहिए. ड्रिलिंग मशीन तीन बार खराब हो चुकी है...'' वहीं, सैयद अता हसनैन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि अगले कुछ घंटों में या कल तक हम इस अभियान में सफल हो जाएंगे.’’
'...यह युद्ध लड़ने जैसा, 41 एम्बुलेंस मौके पर '
एनडीएमए सदस्य ने यह भी कहा कि कर्मियों को बचाने के लिए क्षैतिज ‘ड्रिलिंग’ में तीन-चार और बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है. उन्होंने कहा कि बचाव अभियान की समयसीमा पर अटकलें लगाना उचित नहीं होगा क्योंकि यह युद्ध लड़ने जैसा है. उन्होंने कहा कि 41 एम्बुलेंस सुरंग स्थल पर मौजूद हैं और गंभीर स्थिति वाले श्रमिकों को हवाई मार्ग से ले जाने की भी सुविधाएं हैं.
वर्टिकल ड्रिलिंग पूरी तरह से तैयार- इंटरनेशनल टनलिंग एक्सपर्ट
अर्नोल्ड डिक्स ने कहा, ''चूंकि सभी साइटें तैयार है, वर्टिकल (लंबवत) ड्रिलिंग पूरी तरह से तैयार है, एक्सेस (पहुंच के लिए) रोड तैयार हैं, सब कुछ तैयार है और वर्टिकल ड्रिलिंग के साथ क्या करना है, इस बारे में निर्णय शीघ्र ही लिए जा रहे हैं...''
10 मीटर की ड्रिलिंग बाकी
सूत्रों के मुताबिक, श्रमिकों के लिए बचाव अभियान के दौरान अब तक 48 मीटर पाइप ड्रिल कर इंस्टॉल किए जा चुके हैं और 10 मीटर की ड्रिलिंग और बाकी है. सूत्रों ने कहा कि शुक्रवार दोपहर तक श्रमिकों को बाहर निकाले जाने की उम्मीद है.
11 दिनों से सुरंग के अंदर फंसे हैं 41 श्रमिक
यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर बन रही सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया था और पिछले 11 दिनों से 41 श्रमिक उसके अंदर फंसे हुए हैं जिन्हें निकालने के लिए युद्धस्तर पर बचाव अभियान चलाया जा रहा है. सिलक्यारा में सुरंग में मलबे में ‘ड्रिलिंग’ के दौरान आई बाधा को दूर करने के बाद गुरुवार को सुबह फिर से बचाव अभियान शुरू कर दिया गया.
हटाई गई पाइप के सामने आई धातु की चीज
सरकार के ताजा मीडिया बुलेटिन के अनुसार, एनएचआईडीसीएल ने ऑगर बोरिंग मशीन का इस्तेमाल करके श्रमिकों को बचाने के लिए सिलक्यारा छोर से क्षैतिज बोरिंग फिर से शुरू कर दी है. पाइप के सामने एक धातु की वस्तु (लैटिस गर्डर रिब) आ गई थी और पाइप को आगे नहीं डाला जा सका. गैस कटर का इस्तेमाल करके धातु की वस्तु को काटने का काम पूरा हो गया है. मीडिया बुलेटिन में कहा गया है कि नौवें पाइप को डालने का काम अपराह्न 1:10 बजे शुरू हुआ था और पाइप अतिरिक्त 1.8 मीटर तक पहुंचा दिया गया है.
श्रमिकों को बचाने के लिए पांच एजेंसियों को सौंपी गई हैं जिम्मेदारियां
सरकार ने श्रमिकों को बचाने के लिए पांच-विकल्प कार्य योजना शुरू की है और पांच एजेंसियों यानी तेल और प्राकृतिक गैस निगम, सतलुज जल विद्युत निगम, रेल विकास निगम, राष्ट्रीय राजमार्ग और अवसंरचना विकास निगम (एनएचआईडीसीएल) और टिहरी हाइड्रो विकास निगम को विशिष्ट जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं. श्रमिकों को बचाने के लिए क्षैतिज ‘ड्रिलिंग’ के लिए आवश्यक उपकरण मौके पर पहुंच गए हैं.
रात में उत्तरकाशी में प्रवास करेंगे सीएम पुष्कर सिंह धामी
सूत्रों के मुताबिक, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सिलक्यारा सुरंग में फंसे लोगों के बचाव अभियान की मॉनिटरिंग के लिए गुरुवार (23 नवंबर) रात भी उत्तरकाशी में ही प्रवास करेंगे. उन्होंने यहां अपना मिनी सचिवालय भी स्थापित कराया है ताकि रोजाना के कार्यों में दिक्कत न आए.
इसी के साथ सीएम धामी ने उत्तराखंड में धूमधाम से मनाए जाने वाले ईगास पर्व को भी न मनाने का निर्णय लिया है. गुरुवार को ईगास के अवसर पर मुख्यमंत्री आवास पर लगभग एक हजार लोगों के साथ सीएम धामी को पर्व में शामिल होना था, जिसे भी उन्होंने रद्द कर दिया. मुख्यमंत्री आवास पहुंचे लोगों ने सादगी से गौ पूजन करके त्योहार मनाया. लोगों ने सुरंग में फंसे श्रमिकों के जल्द और सुरक्षित बाहर आने की प्रार्थना भी की.
(भाषा इनपुट के साथ)
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