Effect On Labourers Trapped in Tunnel: उत्तराखंड के उत्तरकाशी सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को मिशन जिंदगी के तहत सुरक्षित निकाल लिया गया है. पहाड़ी गतिरोध पर मानवीय कोशिशें भारी पड़ी हैं और सभी मजदूर सुरक्षित बाहर निकाल लिए गए हैं. वैसे तो मंगलवार (28 नवंबर) देर शाम जब सभी को सुरक्षित बाहर निकाला गया तो चिकित्सकों ने किसी की सेहत को लेकर कोई खास अपडेट नहीं दी है, लेकिन प्रशासन की ओर से दावा किया गया है कि सभी लोग सुरक्षित और स्वस्थ हैं.
हालांकि डॉक्टरों का कहना है कि जिस तरह से 17 दिनों तक इन मजदूरों को सुरंग के भीतर गुजारना पड़ा है, उसकी वजह से उनके शरीर पर कई प्रतिकूल प्रभाव पड़े होंगे. हम आपको बताते हैं कि लंबे समय तक सुरंग में रहने की वजह से शरीर पर क्या कुछ असर पड़ता है.
कई दिनों तक अच्छी नींद नहीं आएगी, भूख भी नहीं लगेगी
बीबीसी की एक रिपोर्ट की मानें तो एक सरकारी कंपनी के खाद्यान्न विभाग में चिकित्सक डॉक्टर मनोज कुमार कहते हैं कि बाहर निकलने के बाद इन मजदूरों को सबसे अधिक नींद की परेशानी से गुजरना पड़ सकता है. इन्हें खाना पीना वैसे तो दिया गया है, लेकिन बदहजमी और शरीर में कमजोरी का दूरगामी परिणाम हो सकता है. हालांकि मजदूर अंदर व्यायाम करते थे लेकिन उनके अंदर हल्का गुस्सा बढ़ा होगा. उनके मनोभाव पर सबसे अधिक असर पड़ता है क्योंकि हर रोज जिंदगी के लिए जंग लड़ते रहे थे. इसलिए कुछ दिनों तक उनके रिश्तों पर भी प्रभाव पड़ सकता है. वे कई दिनों तक सुरंग के अंदर जिदगी से जद्दोजहद के मंजर को भूल नहीं पाएंगे.
घुटन का होता है एहसास
डॉक्टर मनोज कहते हैं कि जब किसी सुरंग या खदान में लोग फंस जाते हैं तो सबसे अधिक घुटन का एहसास होता है. इससे चिंता और बेचैनी पैदा होती है जो अंततः शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है. ऐसे लोगों को नींद कम आने लगती है और भूख भी कम लगती है. हालांकि बेहतर चिकित्सा और कुछ समय बाद सब कुछ ठीक हो सकता है.
पैनिक अटैक का भी खतरा
मनोचिकित्सकों का मानना है कि सुरंग में इतने लंबे समय तक रहने की वजह से इन मजदूरों में घबराहट बढ़ गई होगी. इससे पैनिक अटैक का भी खतरा बरकरार रहेगा. हालांकि इन मजदूरों के प्राथमिक उपचार के बाद बेहतर काउंसलिंग इन समस्याओं से निपटने में मददगार साबित होगी. बहरहाल 6 महीने तक इन मजदूरों के शरीर में कोई ना कोई समस्या लगी रहेगी.
17 दिनों तक सुरंग में रहे मजदूर
आपको बता दें की उत्तरकाशी के सिलक्यारा में दिवाली के दिन निर्माणाथीन सुरंग धंस गई थीं, जिसमें आठ राज्यों के 41 मजदूर फंस गए थे. 17 वें दिन उन्हें मंगलवार देर शाम सुरंग से सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है. इसके बाद उनकी चिकित्सा स्थानीय अस्पताल में हुई है. उत्तराखंड की सरकार ने इन्हें सुरक्षित घर भेजने और बेहतर इलाज की व्यवस्था की है. बहरहाल ये 17 दिन श्रमिकों और उनके परिवार पर बेहद भारी रहे हैं.
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