नई दिल्लीः उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की ओर से महिलाओं द्वारा 'फटी जींस' पहनने वाले विवादित बयान देने का आखिर मकसद क्या है? क्या अनजाने में उनके मुंह से यह बात निकली या फिर ये किसी सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है. चूंकि अगले साल वहां विधानसभा के चुनाव हैं और जमीनी स्तर पर विकास कार्य करने के लिए रावत के पास दस महीने से भी कम वक़्त बचा है. लिहाज़ा राजनीति की समझ रखने वाला कोई भी व्यक्ति यही पूछेगा कि ऐसे हालात में एक मुख्यमंत्री को इस तरह का बयान देकर बवाल खड़ा करने की जरुरत आखिर क्यों पड़ी? जाहिर है कि विपक्षी दल इस मुद्दे को उछालने में कोई कसर बाकी नहीं रखेंगे और महिलाओं की नाराजगी का फायदा उठाने को पूरी ताकत लगा देंगे. लेकिन बड़ा सवाल यही है कि क्या तब तक लोग उसे याद रख पायेंगे?
सियासी गलियारों में हो रही कानाफूसी पर यकीन करें,तो रावत ने यह बयान बहुत सोच-समझकर दिया है और इसका मकसद लोगों का ध्यान बांटना है. पिछली त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार के कथित भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर वहां के लोगों में बेहद गुस्सा है और विपक्षी दल भी जांच कराने की मांग करते हुए इस मुद्दे को हवा दे रहे हैं.
चार साल तक इस पहाड़ी राज्य में विकास के पर्याप्त काम न होने से लोग बीजेपी सरकार से खासे नाराज हैं. इसलिए कहा जा रहा है कि कुर्सी संभालते ही सीएम रावत ऐसे बयान दे रहे हैं जिससे विवाद पैदा हो, सोशल मीडिया पर बहस छिड़ जाये और लोगों का ध्यान असल मुद्दे से भटक जाये.
वैसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार चलाने और संगठन से निर्देशात्मक तालमेल रखने वाली कार्य नीति से वाकिफ लोग यह जानते हैं कि किसी मुख्यमंत्री या केंद्रीय मंत्री के बस की बात नहीं कि वे अपने दम पर ऐसा संवेदनशील बयान दे दें, जो पार्टी के लिये गले की फांस बन जाये. लिहाज़ा इस तर्क को आसानी से खारिज़ नहीं किया जा सकता कि सीएम रावत ने विवादित बयान देने से पहले नागपुर के जरिये दिल्ली के आलाकमान को विश्वास में लिया होगा.
चूंकि रावत RSS के प्रचारक रहे हैं और संघ हमेशा से ही पश्चिमी सभ्यता व संस्कृति का विरोध करता रहा है. इसलिये इस संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि रावत के बयान पर बवाल बढ़ता देख पार्टी या संघ का ही कोई बड़ा पदाधिकारी उनका बचाव करते हुए कहे कि सीएम ने कुछ भी गलत नहीं कहा क्योंकि हम अपनी प्राचीन सनातन सभ्यता व संस्कृति पर विश्वास रखते हैं और संघ उसी दिशा में समाज व राष्ट्र को आगे ले जाने के लिए तत्पर है.
मुख्यमंत्री बनते ही उन्होंने सबसे पहले हरिद्वार कुम्भ के शाही स्न्नान में हेलीकॉप्टर से फूलों की बारिश करवा दी. दो दिन तक मीडिया में इसी पर बहस छिड़ी रही. उसके बाद उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की तुलना भगवान राम से करते हुए यहां तक कह डाला कि लोग उन्हें भी वैसे ही पूजेंगे.
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