Uttarakhand Tunnel Collapse Updates: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में टनल हादसे में 41 मजदूर फंसे हुए हैं. इन मजदूरों की पहली वीडियो सामने आई है जिसमें देखा जा सकता है कि ये लोग किन हालातों में इस सुरंग में पिछले 10 दिनों से अपना समय काट रहे हैं. खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाए रखने के लिए ये मजदूर अलग-अलग तरीके भी अपना रहे हैं.


टनल के अंदर रेगुलर वॉक, योग और अपनों से बात करके ये मजदूर जैसे-तैसे अपने आप को जिंदा बचाए हुए हैं. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक सरकार की ओर से नियुक्त किए गए मनोचिकित्सक डॉ. अभिषेक शर्मा ने कहा, “हम लगातार संपर्क बनाए रखे हुए हैं. मनोबल बनाए रखने के लिए योग, पैदल चलने जैसी नियमित क्रियाएं और अपनों से बातचीत करके एक दूसरे को प्रोत्साहित करने का सुझाव दिया है.”


इन फंसे हुए मजदूरों में एक गब्बर सिंह नेगी भी हैं जो इस तरह की परिस्थिति का पहले भी सामना कर चुके हैं. इन सभी में सबसे बुजुर्ग होने के नाते वो इस बात का ध्यान रख रहे हैं कि सभी का आत्मविश्वास बना रहे. जल्दी ही इन मजदूरो को मोबाइल और चार्जर मिलने की उम्मीद है, जिससे कि वो खुद को बिजी रख सकें.


मजदूरों का वीडियो भी आया सामने, भेजा गया खाना


इससे पहले सुरंग के अंदर मलबे में से एक छह इंच चौड़ी पाइपलाइन डाली गई, जिसके जरिए मजदूरों के लिए खाने में दलिया, खिचड़ी, केला, सेब और पानी भेजा गया था. इसी पाइप में एक कैमरा भी डाला गया, जिससे वीडियो सामने आया है. जिसमें ये देखा जा सकता है कि मजदूर किन हालातों में सुरंग में पिछले दस दिनों से रह रहे हैं. अधिकारियों ने कहा कि फंसे हुए मजदूरों ने अपनी नित्य क्रियाओं के लिए मलबे से लगभग एक किलोमीटर दूर एक एक जगह बनाई है.


सुरंग में पानी की व्यवस्था भी


टनल में फंसे मजदूर वहां पर चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का सामना तो कर ही रहे हैं लेकिन राहत की बात ये है कि उनके पास सुरंग के अंदर एक प्राकृतिक जल श्रोत है. डॉ. शर्मा ने कहा, “वे साधन संपन्न हैं, इस पानी को पीने और अन्य आवश्यकताओं के लिए भंडारण और उपयोग करने के लिए कंटेनरों का उपयोग कर रहे हैं. पानी को सुरक्षित बनाए रखने के लिए क्लोरीन की गोलियां भी दी गईं हैं.


राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड के निदेशक अंशू मनीष खलखो ने चल रहे समर्थन प्रयासों के बारे में बताते हुए कहा, “हम हर आधे घंटे में खाना भेज रहे हैं और हर 2-3 घंटे में संचार बनाए रख रहे हैं. अलग-अलग राज्यों के अधिकारी, रिश्तेदार और चिकित्सा पेशेवर भी नियमित रूप से उनके साथ जुड़ रहे हैं.”


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