(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
रैट-होल माइनिंग से लेकर वर्टिकल ड्रिलिंग तक, उत्तरकाशी में अपनाए जा चुके हैं कई तरीके, जानें इनमें अंतर?
Uttarkashi Rescue: सिलक्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने के लिए रैट होल माइनिंग का इस्तेमाल किया जा रहा है. यह तकनीक सबसे ज्यादा जोखिम भरी होती है.
Uttarkashi Tunnel Rescue: उत्तराखंड के उत्तरकाशी स्थित सिलक्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने का काम 17वें भी जारी है. बचाव अभियान इस समय अपने अंतिम चरण में है और जल्द ही मजदूरों के बाहर निकलने की उम्मीद है. हालांकि, यह अभियान इतना आसान नहीं रहा. अधिकारी रेस्क्यू ओपरेशन के दौरान अब तक कई तकनीकों का इस्तेमाल कर चुके हैं.
अधिकारियों ने अब तक जिन तकनीकों का इस्तेमाल किया है उनमें सबसे खतरनाक और जोखिम भरा रैट-होल माइनिंग (मैन्युअल ड्रिलिंग) को माना जाता है. इसके अलावा लोगों को बाहर निकालने के लिए वर्टिकल ड्रिलिंग भी की जा रही है. हालांकि, हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग पहले ही फेल हो चुकी है. बता दें कि तीनो तरीके एक दूसरे अलग हैं और इनमें काफी अंतर है.
क्या है रैट-होल माइनिंग?
रैट-होल माइनिंग एक मैन्युअल ड्रिलिंग मैथड है. इसे कुशल मजदूरों की मदद से किया जाता है. इस तरीके का इस्तेमाल आमतौर पर मेघालय में किया जाता है. इसी मदद से जमीन में संकीर्ण गड्ढे खोदे जाते हैं. यह गड्ढे इतने चौड़े होते हैं कि उसमें एक शख्स समा जाए.
गड्ढे खोदने के बाद, माइनिंग करने वाला रस्सी और बांस की सीढ़ियों की मदद से छेद में उतरता है. इस विधि का उपयोग आमतौर पर कोयला निकालने के लिए किया जाता है और इसे बेहद खतरनाक माना जाता है. इसमें दम घुटने, ऑक्सीजन की कमी और भूख से जान जा सकती है. इस कारण यह मैथड कई देशों में अवैध है.
न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड सरकार के नोडल अधिकारी नीरज खैरवाल ने स्पष्ट किया कि साइट पर लाए गए लोग रैट- होल माइनर नहीं थे, बल्कि तकनीक में एक्सपर्ट थे.
वर्टिकल ड्रिलिंग
वर्टिकल ड्रिलिंग एक बोरिंग मशीन के माध्यम से की जाती है. यह बिजली के उपकरणों का इस्तेमाल करके खोदाई करती है. उत्तराखंड में भी टनल में फंसे हुए मजदूरों को बाहर निकालने के लिए जमीन में एक वर्टिकल ड्रिल की गई है और 800 मिमी का पाइप डाला गया है.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक वर्टिकल ड्रिलिंग पूरी हो गई है और अब वहां मौजूद मिट्टी और मलबे को मैन्युअल ड्रिलिंग के माध्यम से हटाया जाएगा.
हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग (ऑगर मशीन)
ऑगर मशीन एक खास टूल है. इसे हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग या भूमिगत सुरंग बनाने के लिए डिजाइन किया गया है. इन मशीनों का इस्तेमाल पानी और गैस पाइप बिछाने और सुरंग खोदने के लिए किया जाता है.
हालांकि, उत्तराखंड में जारी रेस्क्यू ओपरेशन में ऑगर मशीन विफल रही. रिपोर्ट के मुताबिक खोदाई के दौरान मशीन धातुओं से टकराई और टूट गई.
बता दें कि उत्तरकाशी में चलाए जा रहे बचाव अभियान में अबतक वर्टिकल ड्रिलिंग मशीन ने 51 मीटर से अधिक की ड्रिलिंग कर ली है, जबकि लगभग 56 मीटर की खोदाई बाकी है. इसके बाद फंसे हुए मजदूरों को बाल्टियों के जरिए एयरलिफ्ट किया जाएगा.