Uttarkashi Tunnel: 'मां को मत बताना कि मैं...', उत्तरकाशी में सुरंग में फंसे श्रमिक ने भाई से कहा, बाकी परिजन भी खो रहे धैर्य
Uttarakhand News: उत्तरकाशी में निर्माणाधीन सुरंग का एक हिस्सा ढहने से अंदर फंस गए श्रमिकों की उनके परिवारवालों से रेडियो के माध्यम से बात हुई है.
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Uttarakhand Tunnel Collapse: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में 12 नवंबर को निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग का एक हिस्सा ढहने से उसके भीतर फंसे श्रमिकों की उनके परिवारवालों से रेडियों के माध्यम से बात हुई है, जो बेहद भावुक करने वाली है.
एएफपी ने टीओआई की रिपोर्ट के हवाले से बताया है कि सुरंग में फंसे 25 वर्षीय निर्माण श्रमिक पुष्कर ने अपने भाई विक्रम सिंह से आग्रह किया कि वह अपनी मां को यह न बताएं कि वो वहां फंस गया है.
रेडियो पर बात करते हुए पुष्कर ने विक्रम से कहा, ''मां को मत बताना कि मैं यहां फंसे लोगों में से एक हूं. अगर तुम सच बताओगे तो मां को चिंता होगी.''
श्रमिकों के परिवारवाले सुरंग के बाहर इंतजार कर रहे है और उनकी सलामती के लिए प्रार्थना कर रहे हैं. इस बीच उत्तराखंड सरकार ने परिवारवालों को रहने-खाने और स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने का निर्णय लिया है. सुरंग में फंसे श्रमिकों को पाइप के माध्यम से चना, खीर और बादाम जैसी खाने की चीजें भेजी जा रही हैं.
'हमें अधिकारियों से बस आश्वासन मिल रहा है'
सुरंग में फंसे श्रमिकों में से एक सुशील के बड़े भाई हरिद्वार शर्मा ने बताया कि बाहर आने के इंतजार में किसी तरह समय काट रहे सुरंग में बंद लोगों का स्वास्थ्य बिगड़ता जा रहा है और उनके परिवारों में घबराहट बढ़ती जा रही है.
बिहार के रोहतास जिले के रहने वाले शर्मा ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया, ‘‘हमें अधिकारियों से बस आश्वासन मिल रहा है कि फंसे श्रमिकों को बाहर निकाल लिया जाएगा. अब करीब एक सप्ताह हो चुका है.’’
आंखों में आंसू लिए शर्मा ने कहा, ‘‘सुरंग के अंदर कोई काम नहीं चल रहा है. न तो कंपनी और न ही सरकार कुछ कर रही है. कंपनी कह रही है कि मशीन आने वाली है.’’
सिलक्यारा सुरंग के बाहर प्रतीक्षारत लोगों में उत्तराखंड के कोटद्वार के गब्बर सिंह नेगी का परिवार भी है. उनके दो भाई-महाराज सिंह और प्रेम सिंह और पुत्र आकाश सिंह घटना की सूचना मिलने के बाद से मौके पर हैं और किसी अच्छी खबर पाने के लिए बेचैन हैं.
महाराज सिंह ने कहा कि उन्होंने आक्सीजन की आपूर्ति वाले पाइप के जरिए गब्बर सिंह से बात की थी और उनकी आवाज काफी कमजोर लग रही थी.
'भाई से बात नहीं कर सका'
महाराज सिंह ने बताया, ''मैं अपने भाई से बात नहीं कर सका. उसकी आवाज मुश्किल से सुनाई दे रही थी. सुरंग में रेस्क्यू का काम रुक गया है. उन लोगों के पास भोजन और पानी की भी कमी है. हमारा धैर्य जवाब दे गया है, और मैं क्या कहूं?''
सुरंग के अंदर फंसे 41 श्रमिक
बता दें कि यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर बन रही सिलक्यारा सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर की सुबह ढह गया था जिससे उसके अंदर 41 श्रमिक फंस गए थे. जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा है, सुरंग के बाहर श्रमिकों का इंतजार कर रहे उनके परिजनों में निराशा बढ़ती जा रही है.
मलबे को भेद उसमें स्टील पाइप डालकर रास्ता बनाए जाने के लिए लाई गयी शक्तिशाली अमेरिकी आगर मशीन में कुछ खराबी आने के कारण शुक्रवार (17 नवंबर) दोपहर से रुके पड़े बचाव अभियान के मददेनजर श्रमिकों के परिजनों की बेचैनी बढ़ने लगी है.
(भाषा इनपुट के साथ)
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