Uttarkashi Tunnel Rescue: जीत गई जिंदगी, 17 दिन से टनल में फंसे 41 मजदूरों को निकालने की प्रक्रिया शुरू, देखें पहली तस्वीर
Uttarkashi Tunnel: 16 दिन तक तमाम मशीनें जब फेल हुईं, तब सोमवार रात बचाव कार्य उस रैट माइनर्स को दिया गया, जिस पर 9 साल पहले प्रतिबंध लगाया गया था. इस टीम ने बहुत तेजी से काम को खत्म किया.
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Uttarkashi Tunnel News: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में सिलक्यारा टनल में 17 दिनों से फंसे 41 मजदूरों को निकालने का काम शुरू हो चुका है. सिल्क्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों में सबसे पहले विजय होरी को निकाला गया. इसके बाद गणपति होरी को बाहर निकाला गया. रैट माइनर्स इन मजदूरों के लिए देवदूत बनकर सामने आए. उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी सभी मजदूरों को शॉल उढ़ाकर स्वागत करेंगे.
राहत बचाव कार्य से जुड़े अपडेट को लेकर उत्तराखंड के सीएम पुष्कर धामी ने 2:30 बजे बताया कि बाबा बौख नाग जी की असीम कृपा, करोड़ों देशवासियों की प्रार्थना एवं रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे सभी बचाव दलों के अथक परिश्रम के फलस्वरूप श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए टनल में पाइप डालने का कार्य पूरा हो चुका है.
क्या है रैट माइनिंग?
रैट माइनिंग जैसा कि इसके नाम से सप्षट है कि 'चूहों की तरह खुदाई करना'. जहां कम जगह हो या संकरी जगह हो, बड़ी मशीनें या ड्रिलिंग का ऑप्शन काम न कर सके, तो वहां रैट माइनर्स काम करते हैं. इसमें रैट माइनर्स की टीम हाथों से खुदाई करती है. ये लोग कम जगह में धीरे-धीरे हाथों से खुदाई करते हैं. यही वजह है कि इसे 'रैट माइनिंग' कहते हैं.
9 साल पहले बैन की गई प्रक्रिया
16 दिन तक तमाम एक्सपर्ट और हाईटेक मशीने मलबे को हटाने में लगी रही. ड्रिलिंग की कोशिशें करती रहीं, लेकिन सभी ऑप्शन नाकाफी साबित हो रहे थे. सोमवार रात बचाव कार्य उस रैट माइनर्स को दिया गया, जिस पर 9 साल पहले प्रतिबंध लगाया गया था. यह प्रतिबंध नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने लोगों की सुरक्षा को देखते हुए लगाया था. हालांकि, फिर भी अलग-अलग हिस्सों में रैट होल माइनिंग की जाती है.
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